प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को सपा के वरिष्ठ नेता और विधायक आजम खान को उनके खिलाफ दर्ज 87वें केस में भी जमानत दे दी, लेकिन इसके बावजूद आजम का अभी जेल से उनका बाहर आना संभव नहीं है। रामपुर पुलिस ने तीन दिन पूर्व ही उन्हें एक नये मामले में आरोपी बनाकर गिरफ्तारी वारंट जेल भिजवाया था। इस कारण जब तक उन्हें अब इस नये मामले में जमानत नहीं मिलती है, तब तक उन्हें सलाखों के पीछे ही रहना होगा।
सपा विधायक आजम खान दो साल से अधिक समय से सीतापुर जेल में बंद हैं। उनके खिलाफ पिछले कुछ सालों में विभिन्न आरोपों में 87 केस दर्ज थे और इन सभी मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है। आजम को अपने बेटे के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में आजम की सांसद पत्नी फातिमा और विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम को भी उनके साथ जेल में बंद रहना पड़ा था।
आजम खान को आज जिस मामले में जमानत मिली है, वह वफ्फ बोर्ड संपत्ति को अवैध रुप से कब्जा करने के मामले में पत्रकार जमीर नक़वी ने दर्ज कराया था। इस मामले में हाईकोर्ट में जमानत पर की सुनवाई पांच महीने पहले हो गयी थी, लेकिन अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के कई माह तक फैसला न सुनाये जाने पर आजम खान के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने महीनों फैसला सुरक्षित रखने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट को फटकार लगायी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वह 10 दिन में अपना फैसला सुनाये। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश पर अमल करते हुए आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी, लेकिन रामपुर पब्लिक स्कूल की मान्यता प्राप्त करने में फर्जी प्रमाण पत्र लगाने के पुराने मामले में पुर्न विवेचना को वाद पिछले सप्ताह आरोपी बनाये जाने और जेल में वारंट तामिल कराये जाने से आजम को जेल में ही रहना होगा। इस मामले में भी उन्हें जमानत करानी होगी। तभी उनका जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो सकेगा।