लखनऊ: वरिष्ठ नेता और दस बार के विधायक आजम खान, उनके बेटे आजम अब्दुल्ला और शिवपाल यादव भले ही समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने हैं। विधानसभा सत्र के प्रथम दिवस सत्र शुरु होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा आजम खान और उनके बेटे आजम अब्दुल्ला को शपथ दिलाये जाने के बाद वे संवैधानिक रुप से सपा विधायक ही हैं।
शिवपाल यादव सपा विधायक के रुप में पहले शपथ ले चुके थे, लेकिन इन तीनों विधायकों का अपनी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से राजनीतिक संबंध बहुत तल्ख हैं। सोमवार को विधानसभा सत्र में आजम खान और शिवपाल यादव की सपा मुखिया अखिलेश यादव से बीच कोई औपचारिक शिष्टाचार मुलाकात तक नहीं हुई। इतनी ही नहीं अखिलेश के प्रति आजम खान की बेरुखी का आलम ये था कि आजम की वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें विधानसभा सत्र में बैठने के लिए प्रतिपक्ष नेता अखिलेश यादव की बगल वाली सीट रिजर्व रखी गयी थी, लेकिन आजम वहां अखिलेश के पास वाली सीट पर न बैठकर गैलरी के पास जाकर बैठे थे।
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लगता है कि आजम खान, उनके बेटे आजम अब्दुल्ला और शिवपाल यादव ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से अपने राजनीतिक संबंध खत्म कर लिये हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि विधानसभा सत्र में सपा विधायक अपनी पार्टी की पहचान वाली लाल टोपी पहने हुए थे। सपा विधायकों ने मंहगाई और बेरोजगारी के नाम पर हंगामा भी किया लेकिन आजम के बेटे आजम अब्दुल्ला और शिवपाल यादव ने न तो लालटोपी पहनी थी और न ही वे सपा विधायकों के साथ हंगामें में शामिल थे। हालांकि शपथ लेने के बाद आजम खान विधानसभा से बाहर चले गये थे।
सपा के इन तीनों विधायकों के इस तरह के व्यवहार से यही लगता है कि वे सपा और इसके मुखिया अखिलेश यादव को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं और न ही उनके लिए अब कोई महत्व रह गया है। इन सपा विधायको का पार्टी से मोहभंग होने के परिणाम भी किसी बड़े बदलाव के रुप में जल्द ही सामने आयें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।