नई दिल्ली: महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल द्वारा 16 बागी शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस देने के खिलाफ शिवसेना विधायकों की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के दलीलें सुनने के बाद इन विधायकों को बड़ी राहत देते हुए नोटिस का जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक का समय बढा दिया है। साथ ही 39 विधायकों द्वारा डिप्टी स्पीकर के खिलाफ दिये गये अविश्वास प्रस्ताव को बिना सदन में रखे मनमाने तरीके से खारिज पर महाराष्ट्र विधान सभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को नोटिस जारी किया है।सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जिस स्पीकर की भूमिका खुद सवालों के घेरे में हो, वह विधायकों का अयोग्य ठहराने संबंधी कोई फैसला कैसे ले सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के अधिवक्ताओं से पूछा कि जब 55 शिवसेना विधायकों में से एक भी विधायक ने, न तो पार्टी छोड़ी और न ही शिवसेना का किसी अन्य दल में विलय हुआ, तो फिर एकनाथ शिंदे को किस आधार पर शिवसेना विधायक दल नेता पद से हटा दिया गया और केवल 22 विधायकों की उपस्थिति में अजय चौधरी को नया दल नेता चुन लिया गया। याचिका देने वाले विधायकों के अधिवक्ताओं द्वारा सारे राजनीतिक घटनाक्रमों की जानकारी देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल के साथ-साथ नये विधायक दल नेता अजय चौधरी, चीफ व्हिप सुनील प्रभु, महाराष्ट्र सरकार और केन्द्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है। इनको जवाब दाखिल करने के लिए पांच दिन का समय दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से सभी 16 याचिकाकर्ता शिवसेना विधायकों सहित शिंदे गुट के सभी 39 विधायकों को सुरक्षा देने का भी निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 11 जुलाई की तिथि निर्धारित की है। सुप्रीम कोर्ट से आज बागी विधायकों को बहुत बड़ी राहत मिलने से शिंदे गुट में खुशी की लहर है, वहीं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खेमें में मायूसी पसरी है। अब उद्धव को अपनी सरकार के अल्पमत में आशंका के चलते फ्लोर टेस्ट का सामना करने का डर सता रहा है। शिंदे गुट आने वाले दिनों में कानूनी दायरे में रहकर उद्धव सरकार के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर सकता है।