Mahakumbh 2025: 45 दिन का महाकुंभ: सिर्फ 6 दिन होंगे शाही स्नान, जानें महत्वपूर्ण तिथियां
Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 2025 का महाकुंभ आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम लेकर आ रहा है। यह महायज्ञ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 45 दिनों तक चलेगा, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संगम की पवित्र धारा में डुबकी लगाने पहुंचेंगे। महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है, जिसे शुभ और मोक्षदायी माना जाता है। केवल 6 दिन निर्धारित शाही स्नान के लिए हैं, और हर तिथि अपनी आध्यात्मिक महिमा के साथ जुड़ी हुई है।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन बड़े ही धूमधाम और भव्यता के साथ होने जा रहा है। यह 45 दिनों तक चलने वाला आयोजन आध्यात्मिकता, संस्कृति, और धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक है। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु और साधु-संत संगम के पवित्र जल में स्नान कर मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं। इस आयोजन में 6 विशेष दिन शाही स्नान के लिए निर्धारित किए गए हैं। इन तिथियों को जानना और उनका पालन करना हर श्रद्धालु के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
महाकुंभ 2025: आयोजन की अवधि
महाकुंभ 2025 का शुभारंभ मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025) से होगा और यह महोत्सव 27 फरवरी 2025 तक चलेगा। इस दौरान संगम नगरी प्रयागराज देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनेगी। कुंभ मेले का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है।
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शाही स्नान की तिथियां
महाकुंभ के दौरान शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। इसे साधु-संतों और अखाड़ों द्वारा पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने का सबसे शुभ समय माना जाता है। शाही स्नान के लिए निर्धारित तिथियां इस प्रकार हैं:
मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025)
यह पहला शाही स्नान होगा, जो कुंभ मेले की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन का स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है।
पौष पूर्णिमा (25 जनवरी 2025)
इस दिन पूर्णिमा का स्नान किया जाएगा। यह दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।
मौनी अमावस्या (10 फरवरी 2025)
मौनी अमावस्या का स्नान सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण शाही स्नान माना जाता है। इस दिन संगम पर साधु-संतों का जमावड़ा रहता है।
बसंत पंचमी (16 फरवरी 2025)
बसंत पंचमी का दिन न केवल विद्या और ज्ञान के लिए शुभ माना जाता है, बल्कि इस दिन स्नान का भी विशेष महत्व है।
माघी पूर्णिमा (24 फरवरी 2025)
इस दिन का स्नान साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष आशीर्वाद प्रदान करने वाला माना जाता है।
महाशिवरात्रि (27 फरवरी 2025)
महाकुंभ का समापन महाशिवरात्रि के दिन होगा। इस दिन का स्नान मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
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महाकुंभ की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वता
यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और परंपराओं का संगम भी है। यहां साधु-संतों का मिलन, आध्यात्मिक प्रवचन, और धार्मिक अनुष्ठान देखने को मिलते हैं। महाकुंभ में हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि संगम में स्नान करने से उनके पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रयागराज की तैयारी
महाकुंभ को ध्यान में रखते हुए प्रयागराज में व्यापक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने कुंभ क्षेत्र में सुरक्षा, सफाई, यातायात, और आवास की विशेष व्यवस्थाएं की हैं। संगम के घाटों को बेहतर बनाने और श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है।
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