Kartik Swami Temple: भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 शंखों की पूजा और विश्व कल्याण यज्ञ का आयोजन, दक्षिण भारत के शिवाचार्यों की विशेष भागीदारी
रुद्रप्रयाग स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर में 18 मई 2025 को 108 शंखों की पूजा के साथ भव्य आध्यात्मिक आयोजन होगा। इसमें तमिलनाडु के प्रतिष्ठित शिवाचार्य वैदिक विधियों से अनुष्ठान कर उत्तर और दक्षिण भारत की एकता का संदेश देंगे। कार्यक्रम में बसुधारा यात्रा और 11 दिवसीय विश्व कल्याण महायज्ञ भी शामिल है, जिसका समापन 15 जून को पूर्णाहुति के साथ होगा।
Kartik Swami Temple: उत्तराखंड के पावन क्रौंच पर्वत स्थित भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में आगामी दिनों में एक विशाल धार्मिक आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और वैदिक परंपराओं का अद्भुत संगम होगा, जिसमें उत्तर और दक्षिण भारत की आध्यात्मिक एकता को साकार रूप मिलेगा। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद, रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन और मंदिर समिति के सहयोग से यह आयोजन भव्य रूप में संपन्न होगा।
18 मई को 108 शंखों की पूजा
18 मई 2025 को मंदिर परिसर में 108 बालमपुरी शंखों की पूजा और हवन वैदिक विधियों के साथ किया जाएगा। इस विशेष अवसर पर तमिलनाडु के प्रमुख धार्मिक पीठों से शिवाचार्य विशेष रूप से भाग लेंगे। माईलम एथेनम, कूनमपट्टी एथेनम, कौमारा मुत्त एथेनम और श्रृंगेरी पीठ जैसे प्रतिष्ठित केंद्रों के आचार्य शंख पूजन और यज्ञ के संचालन में भाग लेंगे। यह आयोजन आध्यात्मिक समरसता और भारत की विविध परंपराओं के एक मंच पर आने का प्रतीक बनेगा।
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यह धार्मिक आयोजन न केवल स्थानीय लोगों में आस्था का संचार करेगा, बल्कि देशभर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा। इससे उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को भी बल मिलेगा।
भगवान कार्तिक स्वामी की बसुधारा यात्रा
पूजन अनुष्ठान के बाद 28 मई से 4 जून तक भगवान कार्तिक स्वामी की बसुधारा यात्रा निकाली जाएगी। इस यात्रा के अंतर्गत भगवान की प्रतिमा को विशेष विधियों और वैदिक मंत्रों के साथ बदरीनाथ धाम तक ले जाया जाएगा। रास्ते में अनेक स्थानों पर श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर भगवान का स्वागत करेंगे। यह यात्रा धर्म, भक्ति और जनसमागम का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेगी।
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विश्व कल्याण के लिए होगा 11 दिवसीय महायज्ञ
इस भक्ति पर्व की अगली कड़ी में 5 जून से 15 जून तक मंदिर परिसर में ‘विश्व कल्याण महायज्ञ’ का आयोजन होगा। यह 11 दिवसीय महायज्ञ वैश्विक शांति, पर्यावरण की शुद्धि और मानव कल्याण की भावना के साथ संपन्न किया जाएगा। यज्ञ के दौरान विशेष वैदिक अनुष्ठान, मंत्रोच्चारण और प्रवचन आयोजित होंगे, जिनमें विद्वान आचार्य और संत समाज हिस्सा लेंगे।
14 जून को निकलेगी जल कलश यात्रा
महायज्ञ के दौरान 14 जून को एक भव्य जल कलश यात्रा भी आयोजित की जाएगी। श्रद्धालु पवित्र जल से भरे कलशों के साथ मंदिर की परिक्रमा करेंगे। यह यात्रा जनसमूह को पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक मूल्यों के प्रति जागरूक करने का कार्य करेगी।
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15 जून को पूर्णाहुति के साथ होगा समापन
इस आयोजन का समापन 15 जून को महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ होगा। इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आए संत, विद्वान और श्रद्धालु एकत्र होकर वैदिक रीति से यज्ञ में आहुतियां अर्पित करेंगे। आयोजन समिति ने बताया कि यह समापन समारोह अध्यात्मिक चेतना और सामूहिक प्रार्थना का अनुपम उदाहरण बनेगा।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस समग्र आयोजन से जहां लोगों की आध्यात्मिक आस्था सुदृढ़ होगी, वहीं स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। उत्तराखंड सरकार की कोशिश है कि ऐसे आयोजनों के जरिए राज्य को आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाया जाए।
यह आयोजन सभी धर्मप्रेमियों के लिए एक दुर्लभ अवसर है, जहां वे एक साथ आकर ईश्वर की भक्ति, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को आत्मसात कर सकते हैं।
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