COVID-19 Latest Update: एक्सपर्ट्स भी हैरान! भारत में कोरोना के इस नए वैरिएंट ने बढ़ाई टेंशन, क्या आप भी हैं अगले शिकार? जानें बचने का तरीका
देश में एक बार फिर कोरोना की दस्तक ने लोगों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, 12 मई से 19 मई के बीच बीते सप्ताह में 164 नए कोविड मामले सामने आए हैं, जिससे देश में कुल सक्रिय मामलों की संख्या 257 हो गई है
COVID-19 Latest Update: देश में एक बार फिर कोरोना की दस्तक ने लोगों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, 12 मई से 19 मई के बीच बीते सप्ताह में 164 नए कोविड मामले सामने आए हैं, जिससे देश में कुल सक्रिय मामलों की संख्या 257 हो गई है। प्रारंभिक आकलन बताते हैं कि हाल के अधिकांश मामले हल्के हैं, लेकिन महामारी विशेषज्ञों ने इस फैलते हुए वैरिएंट को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।
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एशियाई देशों में फिर बढ़ा खतरा, भारत में भी दस्तक
दुनियाभर में कोरोना का खतरा एक बार फिर मंडरा रहा है, और इस नई लहर का प्रकोप एशियाई देशों में सबसे ज़्यादा देखा जा रहा है। हांगकांग, सिंगापुर और चीन के कई हिस्सों से शुरू हुई यह लहर अब भारत में भी आ चुकी है। 22 मई, गुरुवार तक देश में कुल 257 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं। संक्रमण के मामलों में वैश्विक वृद्धि को देखते हुए, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारतीयों को संक्रमण से बचाव के उपाय जारी रखने की सलाह दी है।
किस राज्य में कितने मामले?
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 12 मई से 19 मई के बीच भारत में 164 नए कोविड मामले दर्ज किए गए। इनमें केरल में सबसे अधिक 95 मामले हैं, जो पिछले सप्ताह की तुलना में 69 मामलों की वृद्धि दर्शाता है। इसके बाद तमिलनाडु में 66 और महाराष्ट्र में 56 मामले हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए मामलों में वृद्धि हुई है, लेकिन फिलहाल स्थिति पूरी तरह से नियंत्रित है।
ओडिशा में ढाई साल बाद कोविड-19 का मामला
देश के सभी राज्यों को कोरोना के मामलों को लेकर अलर्ट किया गया है। गुरुवार को सामने आई जानकारी के अनुसार, ओडिशा में ढाई साल के अंतराल के बाद कोविड-19 का एक नया मामला दर्ज किया गया है। राहत की बात यह है कि मरीज की हालत स्थिर है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव एस अश्वथी ने बताया, “फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है, लेकिन चिंता की बात यह है कि संक्रमित व्यक्ति को कई अन्य बीमारियां भी हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक न तो केंद्र सरकार और न ही राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने कोविड-19 संक्रमण पर कोई विशेष सलाह जारी की है। स्वास्थ्य विभाग को स्थिति पर नज़र रखने के लिए कहा गया है और हम पूरी तरह सतर्क हैं।
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स्वास्थ्य सचिव ने जोर देकर कहा कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार, भारत के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 के छिटपुट मामले सामने आ रहे हैं और मरीज हल्के स्ट्रेन से संक्रमित पाए जा रहे हैं, जिसके गंभीर होने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने कहा, “हमें चिंता करने की कोई बात नहीं है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है।”
वायरस का प्रभाव हल्का
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि प्रारंभिक आकलन से पता चलता है कि हाल के मामले ज्यादातर हल्के हैं। महाराष्ट्र में दो लोगों की मौत ज़रूर रिकॉर्ड की गई है, हालांकि उन्हें पहले से ही सह-रुग्णताएं (कोमोरबिडिटी) थीं। अभी यह पुष्टि नहीं हुई है कि मौत कोरोना की वजह से हुई या उनकी अन्य बीमारियों के कारण।
मेडिकल रिपोर्ट्स पर गौर करें तो पता चलता है कि दुनियाभर में एक बार फिर से बढ़ते संक्रमण के मामलों के लिए ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। JN.1 प्रमुख वैरिएंट है, इसके अलावा कुछ हिस्सों में LP.8.1 वैरिएंट के कारण भी प्रकोप देखा जा रहा है। भारत में भी JN.1 को ही प्रमुख वैरिएंट माना जा रहा है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, गांधीनगर गुजरात में संक्रामक रोग-महामारी विशेषज्ञ डॉ. अनीश सिन्हा बताते हैं, “विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने JN.1 को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ (चिंता का वैरिएंट) के रूप में वर्गीकृत किया है। इसका मतलब है कि वायरस की इस प्रकृति को समझा जा रहा है, यह ज्यादा गंभीर नहीं है।”
डॉ. सिन्हा ने आगे कहा, “चूंकि JN.1 भी ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही एक रूप है और ओमिक्रॉन पिछले एक-दो साल से दुनियाभर में मुख्य कोरोना वैरिएंट है। ओमिक्रॉन और इसकी प्रकृति ज्यादा खतरनाक नहीं रही है, पर इसे शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को आसानी से चकमा देकर संक्रमण फैलाने वाला पाया गया है। JN.1 भी ज्यादा चिंताजनक नहीं है, पर सह-रुग्णता के शिकार, बच्चों और बुजुर्गों को इसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”
बचाव के उपाय
विशेषज्ञों का कहना है कि बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। ऐसे लोगों के लिए कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करना ही एकमात्र सावधानी है।
हाथों की स्वच्छता बनाए रखना, मास्क पहनना और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना बेहद ज़रूरी है।
JN.1 में कुछ अतिरिक्त परिवर्तन (म्यूटेशन) देखे गए हैं जो इसे शरीर में वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा देकर संक्रमण फैलाने के लिए योग्य बनाते हैं, हालांकि इसकी गंभीरता कम है।
ओमिक्रॉन और इसके अन्य वैरिएंट्स से संक्रमित लोगों को मुख्य रूप से सूखी खांसी, नाक बहना या बंद होना, सिरदर्द, गले में खराश, बुखार और थकावट होने, स्वाद या गंध का न महसूस होने के साथ पाचन की दिक्कत हो सकती है। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें!
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