Ranthambore Tiger Reserve: रणथंभौर से कैला देवी पहुंचा बाघिन T-84 ‘एरोहेड’ का नर शावक, बफर जोन में शुरू होगी नई जिंदगी
रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघिन टी-84 'एरोहेड' के नर शावक को मंगलवार रात करौली स्थित कैला देवी बाघ अभयारण्य में सफलतापूर्वक शिफ्ट किया गया। यह इलाका रणथंभौर का बफर क्षेत्र है और बाघों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
Ranthambore Tiger Reserve: राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। बाघिन टी-84 ‘एरोहेड’ के नर शावक को बीती मंगलवार रात करौली जिले के कैला देवी बाघ अभयारण्य में सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया गया है। यह अभयारण्य रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बफर जोन के रूप में जाना जाता है और बाघों के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
यह स्थानांतरण राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की अनुमति के बाद किया गया है, जिससे भविष्य में बाघों की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण को नई दिशा देने की उम्मीद जताई जा रही है। शावक को फिलहाल विशेष निगरानी में रखा गया है और जल्द ही इसके दो अन्य भाई-बहनों को भी शिफ्ट किया जाएगा।
देर रात सफल रही शिफ्टिंग प्रक्रिया
वन विभाग की विशेष टीम ने इस पूरी शिफ्टिंग प्रक्रिया को बेहद गोपनीयता और सतर्कता के साथ मंगलवार देर रात अंजाम दिया। यह शावक बाघिन टी-84 के तीन शावकों में से एक है, जिसे फिलहाल कैला देवी अभयारण्य के विशेष एंक्लोजर (बाड़े) में रखा गया है। वन विभाग की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो बाकी दो शावकों को भी जल्द ही अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा।
सुरक्षा के लिए तैनात की गई विशेष निगरानी टीम
शावक के स्वास्थ्य और व्यवहार में आने वाले बदलावों पर नजर रखने के लिए कैला देवी अभयारण्य में अस्थायी चौकी स्थापित की गई है। यहां वन विभाग की एक प्रशिक्षित टीम लगातार उसकी निगरानी कर रही है। यह टीम सुनिश्चित कर रही है कि शावक नई जगह पर सहज हो और उसे किसी प्रकार का तनाव न हो।
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कैला देवी: रणथंभौर का बफर क्षेत्र
कैला देवी बाघ अभयारण्य करौली-धौलपुर अभयारण्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे रणथंभौर टाइगर रिजर्व का बफर जोन माना जाता है। इस क्षेत्र में बाघों के लिए उपयुक्त जंगल, शिकार और पानी की उपलब्धता है, जिससे यह इलाका उनके लिए पूरी तरह अनुकूल माना जाता है। इस पहल को वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षण विशेषज्ञों द्वारा एक सकारात्मक कदम बताया जा रहा है।
बाघ संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि
बाघिन टी-84 ‘एरोहेड’ के शावकों को इस तरह से शिफ्ट करना न केवल राजस्थान बल्कि देशभर में बाघ संरक्षण को लेकर चल रहे प्रयासों में मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह कदम इस ओर संकेत करता है कि वन विभाग और बाघ संरक्षण संस्थाएं बाघों की सुरक्षा और उनकी संख्या में वृद्धि के लिए लगातार सक्रिय हैं।
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