Sliderराजस्थानराज्य-शहर

Rajasthan: भरतपुर या करौली? कहां से हुआ राजपरिवार का निकास? पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बयान ने फिर छेड़ी बहस

राजस्थान की सियासत में एक बार फिर इतिहास चर्चा के केंद्र में है। भरतपुर के पूर्व राजपरिवार की उत्पत्ति को लेकर छिड़े विवाद में पूर्व मंत्री और शाही परिवार के वंशज विश्वेंद्र सिंह ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने जहां राजपरिवार के निकास को करौली से जोड़ने का दावा किया, वहीं विश्वेंद्र सिंह ने इसे सिरे से खारिज करते हुए ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ अपना पक्ष रखा है।

Rajasthan: राजस्थान की राजनीति और इतिहास के गलियारों में एक बार फिर हलचल मच गई है। वजह है भरतपुर के पूर्व राजपरिवार की उत्पत्ति को लेकर उठे सवाल। कुछ लोगों ने दावा किया कि इस राजपरिवार का निकास करौली से हुआ है, लेकिन इस दावे को भरतपुर के पूर्व मंत्री और राजपरिवार के वंशज विश्वेंद्र सिंह ने सिरे से नकार दिया है।

उन्होंने भरतपुर-डीग में आयोजित कार्यक्रम में स्पष्ट कहा कि भरतपुर की धरती अजेय जाट योद्धाओं की है और उनका वंशज कोई और नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण से शुरू हुआ यदुवंश है। विश्वेंद्र सिंह ने इस बयान के साथ इतिहास के उन पन्नों को भी खोल दिया, जो जवाहर बुर्ज पर अंकित हैं।

यदुवंशीय है भरतपुर का राजघराना

विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि जो लोग इतिहास जानते हैं, वे इस बात की पुष्टि खुद जवाहर बुर्ज जाकर कर सकते हैं, जहां भरतपुर के अंतिम शासक महाराजा बृजेन्द्र सिंह तक की वंशावली दर्ज है। उनका साफ कहना है कि भरतपुर का राजघराना न केवल यदुवंशीय है, बल्कि गौरवशाली जाट क्षत्रिय परंपरा से भी जुड़ा है।

पढ़े ताजा अपडेटNewswatchindia.comHindi NewsToday Hindi News, Breaking

क्यों छिड़ा ये वंश विवाद?

भरतपुर राजपरिवार की उत्पत्ति को लेकर एक मत यह सामने आया कि उनका निकास करौली से हुआ है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विश्वेंद्र सिंह ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि “अगर किसी को सही ज्ञान है तो वह जवाहर बुर्ज जाकर देखे, जहां अष्टधातु की लाट पर भगवान श्रीकृष्ण से लेकर अंतिम शासक बृजेन्द्र सिंह तक की वंशावली अंकित है।”

‘भरतपुर का राजघराना जाट वंशीय है’

इतिहासकार रामवीरसिंह वर्मा ने भी इस विवाद पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “भरतपुर के अंतिम नरेश महाराजा बृजेन्द्र सिंह से लेकर श्रीकृष्ण तक कुल 101 पीढ़ियों की वंशावली है। यह पूरा वंश चंद्रवंशी यदुवंशीय जाट क्षत्रिय है। थून, सिनसिनी, कुम्हेर और फिर डीग को राजधानी बनाकर 1743 में भरतपुर किले की स्थापना की गई और 1748 से लेकर मत्स्य क्षेत्र तक इस राजवंश ने शासन किया।”

Latest ALSO New Update Uttar Pradesh Newsउत्तराखंड की ताज़ा ख़बर

भरतपुर के शाही वंशावली

भरतपुर के जवाहर बुर्ज पर एक फीट मोटे लौह स्तंभ पर दर्ज राजाओं की वंशावली इस प्रकार है:

महाराजा बदन सिंह (1723-1756) – भरतपुर में पहली बार राजा की उपाधि मिली। इनके 26 पुत्रों में सबसे प्रमुख सूरजमल थे।

महाराजा सूरजमल (1707-1763) – अजेय योद्धा और कुशल प्रशासक।

महाराजा जवाहर सिंह (1763-1768) – सूरजमल के पुत्र, संतान नहीं थी।

महाराजा रतन सिंह (1768-1769) – इनके पुत्र केहरी सिंह हुए।

महाराजा रणजीत सिंह (1776-1805) – बहादुरी के लिए प्रसिद्ध, इनके चार पुत्र हुए।

महाराजा बृजेंद्र सिंह (1929-1948) – भरतपुर राज्य के अंतिम यदुवंशीय शासक, जिनके पुत्र हैं विश्वेंद्र सिंह।

Political News: Find Today’s Latest News on PoliticsPolitical Breaking News, राजनीति समाचार, राजनीति की खबरे from India and around the World on News watch india.

Follow Us: हिंदी समाचारBreaking Hindi News Live  में सबसे पहले पढ़ें News watch indiaपर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट न्यूज वॉच इंडिया न्यूज़ लाइवपर पढ़ें बॉलीवुडलाइफस्टाइल, न्यूज़ और Latest soprt Hindi News, से जुड़ी तमाम ख़बरें  हमारा App डाउनलोड करें। YOUTUBE National। WhatsApp Channels FACEBOOK । INSTAGRAM। WhatsApp Channel। TwitterNEWSWATCHINDIA 24×7 Live TV

Diksha Parmar

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button