Wildlife Conservation: भारतीय वन्यजीव संस्थान में संरक्षण सम्मेलन का शुभारंभ, वन्यजीव संरक्षण पर हुई गहन चर्चा
देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान में तीन दिवसीय भारतीय संरक्षण सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उद्घाटन करते हुए देश में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन में शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने संरक्षण से जुड़े अहम विषयों पर विचार-विमर्श किया।
Wildlife Conservation: देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) में बुधवार से तीन दिवसीय भारतीय संरक्षण सम्मेलन की शुरुआत हो गई है। इस सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने देश में वन्यजीव संरक्षण के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश में बाघों के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व कार्य हुए हैं और इन प्रयासों का परिणाम है कि वर्ष 2014 में जहाँ 47 टाइगर रिजर्व थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 58 हो गई है।
हर साल औसतन एक नया टाइगर रिजर्व
भूपेंद्र यादव ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में देश में औसतन हर साल एक नया बाघ अभ्यारण्य जोड़ा गया है। यह भारत की वन्यजीव नीति और संरक्षण प्रतिबद्धता का परिणाम है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार केवल बाघों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य प्रमुख जीवों जैसे गंगा डॉल्फिन, एशियाई हाथी, स्लोथ भालू और काले हिरण के संरक्षण के लिए भी विशेष योजनाएं चला रही है।
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सम्मेलन में जुटे देशभर के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक
इस अवसर पर उत्तराखंड सरकार के वन मंत्री सुबोध उनियाल सहित विभिन्न राज्यों के अधिकारी, शोधकर्ता और पर्यावरण विशेषज्ञ मौजूद रहे। भारतीय वन्यजीव संस्थान का यह सम्मेलन एक ऐसा मंच प्रदान कर रहा है जहाँ वैज्ञानिक, नीति निर्माता और क्षेत्रीय अधिकारी वन्यजीव संरक्षण के अनुभव और नीतियाँ साझा कर रहे हैं। सम्मेलन में वन्यजीवों की सुरक्षा, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है।
मधुमक्खियों पर विशेष व्याख्यान
सम्मेलन के दौरान आईआईएसईआर त्रिवेंद्रम की प्रोफेसर डॉ. हेमा सोमनाथन ने “मधुमक्खियों की संवेदी और संज्ञानात्मक पारिस्थितिकी” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियां कैसे देखती हैं, सीखती हैं और भोजन की खोज करती हैं। उनका यह प्रस्तुतिकरण पारिस्थितिकीय तंत्र में मधुमक्खियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों के लिए यह व्याख्यान काफी ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक रहा।
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सीएम धामी से केंद्रीय मंत्री की मुलाकात
सम्मेलन के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिष्टाचार भेंट की। इस मुलाकात में राज्य में चल रही पर्यावरणीय परियोजनाओं, वन्यजीव संरक्षण योजनाओं और इको-टूरिज्म से संबंधित विषयों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने राज्य के विशेष पर्यावरणीय मुद्दों को उठाते हुए केंद्र से सहयोग की अपेक्षा जताई।
उत्तराखंड की जैव विविधता पर मुख्यमंत्री का जोर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड जैव विविधता से समृद्ध राज्य है और यहां की सरकार पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदायों की सहभागिता को भी महत्वपूर्ण मानती है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को राज्य सरकार द्वारा वन क्षेत्र के विकास, संवेदनशील प्रजातियों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियों से अवगत कराया।
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सम्मेलन से निकलेंगी भविष्य की नीतियां
यह तीन दिवसीय सम्मेलन देश के लिए वन्यजीव संरक्षण और पारिस्थितिकीय संतुलन की दिशा में अहम साबित हो रहा है। सम्मेलन के समापन पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी जिसमें विशेषज्ञों के सुझावों और चर्चाओं को शामिल किया जाएगा। इससे देश की आगामी संरक्षण नीतियों को दिशा देने में मदद मिलेगी।
भारतीय वन्यजीव संस्थान में आयोजित यह सम्मेलन न केवल वैज्ञानिकों और नीति निर्धारकों के लिए विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर है, बल्कि यह आने वाले वर्षों में भारत की वन्यजीव और पारिस्थितिकी संरक्षण रणनीतियों को मजबूती देने का भी माध्यम बन रहा है।
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