Valley of Flowers: फूलों की घाटी में सैलानियों की बहार, प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनी विश्व धरोहर
उत्तराखंड की फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए फिर से खुल गई है, जिससे भारत और विदेश से हज़ारों प्रकृति प्रेमी यहाँ आ रहे हैं। हिमालयी फूलों की 350 से ज़्यादा प्रजातियों के साथ, यह घाटी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और जैव विविधता का केंद्र है। जुलाई और अगस्त इसके चरम महीने हैं, जब घाटी का पूरा खिलता हुआ मनमोहक नज़ारा देखने को मिलता है।
Valley of Flowers: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध “फूलों की घाटी” एक बार फिर प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों से गुलजार हो उठी है। हर वर्ष की तरह इस बार भी 1 जून को घाटी को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया, और तब से लेकर अब तक हजारों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी यहां पहुंच चुके हैं। मानसून की पहली बारिश के साथ ही घाटी के रंग-बिरंगे फूलों ने पूरी वादी को जैसे जन्नत में तब्दील कर दिया है।
अब तक 3428 पर्यटक कर चुके हैं घाटी का दीदार
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से लेकर अब तक कुल 3428 पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार कर चुके हैं। इनमें से 3295 भारतीय और 53 विदेशी सैलानी हैं। पार्क की रेंज ऑफिसर चेतना कांडपाल के अनुसार, 80 भारतीय पर्यटकों ने ऑनलाइन परमिट बुक किया, जबकि एक विदेशी पर्यटक ने भी ऑनलाइन माध्यम से परमिट लेकर घाटी का भ्रमण किया।
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प्राकृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण
फूलों की घाटी यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व प्राकृतिक धरोहर स्थल है। यह घाटी नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आती है और इसमें 350 से अधिक प्रकार के दुर्लभ हिमालयी पुष्प पाए जाते हैं। घाटी की जैव विविधता और अल्पाइन वनस्पतियों की मौजूदगी इसे एक अनोखा आकर्षण बनाती है। यही कारण है कि जून से लेकर अक्टूबर तक हजारों की संख्या में पर्यटक यहां की यात्रा करते हैं।
बरसात के साथ खिले फूल, जुलाई-अगस्त में होता है चरम सौंदर्य
घाटी में फिलहाल मानसूनी मौसम की शुरुआत के साथ ही फूल खिलने लगे हैं, लेकिन असली सौंदर्य जुलाई और अगस्त में देखने को मिलता है। इस दौरान घाटी फूलों से पूरी तरह लकदक हो जाती है। यही वह समय होता है जब यहां सर्वाधिक पर्यटक पहुंचते हैं। प्रशासन भी इन महीनों में अतिरिक्त व्यवस्थाएं करता है ताकि पर्यटकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
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राजस्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी
पार्क प्रशासन के अनुसार, अब तक ऑनलाइन परमिट बुकिंग से ₹16,200 की आय हुई है, जबकि ऑफलाइन परमिट से ₹6,66,650 का राजस्व अर्जित किया गया है। इससे यह स्पष्ट है कि घाटी न केवल पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करवा रही है, बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति में भी योगदान दे रही है।
सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन पर विशेष ध्यान
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान प्रशासन घाटी की सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए विशेष सतर्कता बरत रहा है। पर्यटकों को घाटी में प्लास्टिक और कचरा न फैलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही गाइड और वन रक्षक पर्यटकों को पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी जानकारियां भी दे रहे हैं। घाटी में प्रवेश के लिए परमिट प्रणाली लागू है जिससे अनियंत्रित भीड़ से बचा जा सके और जैव विविधता को सुरक्षित रखा जा सके।
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प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल
फूलों की घाटी उन लोगों के लिए आदर्श पर्यटन स्थल है जो प्रकृति की गोद में कुछ शांत और मनमोहक पल बिताना चाहते हैं। यहां की शांति, हरियाली, फूलों की खुशबू और पहाड़ों का सौंदर्य पर्यटकों के मन को छू जाता है। यहां की यात्रा न केवल रोमांचकारी होती है बल्कि आत्मिक शांति भी प्रदान करती है।
अक्टूबर तक खुली रहेगी घाटी
प्रशासन के अनुसार, फूलों की घाटी हर वर्ष 1 जून को खोली जाती है और 31 अक्टूबर को पर्यटकों के लिए बंद कर दी जाती है। पर्यटक इन महीनों में किसी भी समय परमिट लेकर घाटी का भ्रमण कर सकते हैं। हालांकि जुलाई और अगस्त के महीने सबसे उपयुक्त माने जाते हैं जब घाटी अपने पूरे सौंदर्य पर होती है।
फूलों की घाटी न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि यह प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य और जैव विविधता का जीवंत उदाहरण है। इसे संरक्षित रखना और इसके महत्व को समझना हर प्रकृति प्रेमी और प्रशासन की जिम्मेदारी है। इस घाटी की यात्रा हर किसी के जीवन में एक अविस्मरणीय अनुभव बनकर रह जाती है।
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