Rajasthan waterfall: सावन से पहले पाड़ाझर जलप्रपात पर मेहरबान हुआ मानसून, शिवलिंग पर हर दिन गिर रही जलधारा
राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में स्थित पाड़ाझर जलप्रपात पर सावन से पहले ही मानसून मेहरबान हो गया है। करीब 100 फीट ऊंचाई से गिरता यह झरना न केवल प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है, बल्कि इसके नीचे स्थित गुफा में भगवान शिव का दरबार भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां पहाड़ों से बहती जलधाराएं हर दिन शिवलिंग का प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक करती हैं।
Rajasthan waterfall: राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में मानसून की दस्तक के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य एक बार फिर जीवंत हो उठा है। कोटा से करीब 65 किलोमीटर दूर स्थित पाड़ाझर जलप्रपात बारिश के चलते पूरी रफ्तार से बहने लगा है। यहां का शांत जंगल अब झरने के गर्जन और पक्षियों की चहचहाट से गूंज उठा है। खास बात यह है कि इस झरने के नीचे स्थित गुफा में शिवलिंग पर लगातार जलधारा गिरती है, मानो खुद प्रकृति भोलेनाथ का अभिषेक कर रही हो।
इस प्राकृतिक धरोहर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें झरने की गूंज और बहते जल का अद्भुत नजारा मन मोह लेता है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि एडवेंचर और ट्रेकिंग पसंद करने वालों के लिए भी स्वर्ग से कम नहीं।
साल भर बहता है पाड़ाझर का झरना
कोटा वन्यजीव प्रभाग के भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य में स्थित यह झरना करीब 35 मीटर (लगभग 100 फीट) ऊंचाई से गिरता है और साल में करीब 10 महीने बहता रहता है। मानसून में इसका प्रवाह और भी अधिक तेज़ हो जाता है, जो पर्यटकों को खासा आकर्षित करता है।
शिवलिंग पर होता है प्राकृतिक जलाभिषेक
झरने के ठीक नीचे एक प्राचीन गुफा स्थित है, जहां शिवलिंग स्थापित है। यह गुफा करीब 30 मीटर लंबी है और यहां बना पवित्र तालाब और मंदिर इसे एक धार्मिक स्थल में बदल देता है। बारिश के मौसम में पहाड़ियों से रिसता पानी सीधा शिवलिंग पर गिरता है, जिसे स्थानीय लोग ‘प्राकृतिक जलाभिषेक’ कहते हैं।
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आदिमानव की गुफाएं और ऋषियों की तपोभूमि
इस स्थान की एक और खासियत यहां की प्रागैतिहासिक गुफाएं हैं। माना जाता है कि इन गुफाओं में प्राचीन ऋषियों ने तपस्या की थी। आज भी ये गुफाएं सुरक्षित हैं और यहां पक्षियों और वन्यजीवों की मौजूदगी इसे प्राकृतिक अभयारण्य जैसा बनाती है।
कैसे पहुंचे पाड़ाझर महादेव झरना
यहां पहुंचने के दो प्रमुख रास्ते हैं। एक रास्ता रावतभाटा से लुहारिया रोड होकर जाता है, जो निजी वाहनों से ही तय किया जा सकता है। दूसरा रास्ता राणा प्रताप सागर बांध के सेटल डैम से चैनपुरा गांव तक जाता है, जहां से गाड़ी से पाड़ाझर पहुंचा जा सकता है। हालांकि भारी बारिश के दौरान कुछ रास्ते नालों के चलते अवरुद्ध हो सकते हैं, इसलिए मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा करें।
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प्राकृतिक सौंदर्य का अनमोल खज़ाना
यह जलप्रपात मानसून के दौरान अपनी संपूर्ण भव्यता में दिखाई देता है। बरसात में यहां का हरा-भरा वातावरण, झरने की कलकल और शिव गुफा की शांति – तीनों मिलकर एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक अनुभव प्रदान करते हैं।
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