Alaknanda River: अलकनंदा नदी का बढ़ता जलस्तर बना संकट, मूसलाधार बारिश से कई घर जलमग्न, पुल डूबा
रुद्रप्रयाग जिले में मूसलाधार बारिश के कारण अलकनंदा नदी उफान पर बह रही है। नदी के बढ़ते जलस्तर से बाल्मीकि समाज के चार घर जलमग्न हो गए और एक पैदल पुल भी डूब गया। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू किए हैं, लेकिन लोगों ने समय पर चेतावनी न मिलने पर नाराजगी जताई है।
Alaknanda River: राज्य के पर्वतीय जिलों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश अब लोगों के लिए गंभीर संकट बनती जा रही है। विशेषकर रुद्रप्रयाग जिले के बदरीनाथ क्षेत्र में भारी बारिश के चलते अलकनंदा नदी उफान पर है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। शनिवार सुबह अचानक नदी का जलस्तर बढ़ गया, जिसके चलते वाल्मीकि समाज के चार आवासीय भवनों में पानी घुस गया। लोग किसी तरह जान बचाकर बाहर निकलने में सफल हुए।
रातभर की बारिश से तबाही का मंजर
बीती रात बदरीनाथ क्षेत्र में झमाझम बारिश होती रही। इस बारिश ने सुबह होते ही अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया। अलकनंदा नदी का जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ा कि नदी किनारे बसे घरों को खतरा पैदा हो गया। बाल्मीकि बस्ती के चार घर पूरी तरह जलमग्न हो गए, वहीं अन्य घरों को भी क्षति पहुंची है। समय रहते लोगों ने अपने परिवारों के साथ सुरक्षित स्थानों पर शरण ली।
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जलभराव ने बढ़ाई परेशानी, पुल भी डूबा
अलकनंदा नदी में आई उफान के कारण जिला चिकित्सालय और बाल्मीकि बस्ती को जोड़ने वाला मुख्य पैदल पुल भी नदी की चपेट में आ गया। यह पुल अब पूरी तरह जलमग्न है, जिससे लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा क्षेत्र में मौजूद बेलनी पुल के नीचे बनी करीब 15 फीट ऊंची शिव प्रतिमा भी पानी में डूब गई है, जो पहले एक धार्मिक आस्था का केंद्र थी।
कोटेश्वर गुफा मंदिर तक पहुंचा पानी
बारिश के कारण न केवल रिहायशी इलाके प्रभावित हुए हैं, बल्कि धार्मिक स्थल भी संकट में आ गए हैं। प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव मंदिर की गुफा तक पानी पहुंच चुका है। इस मंदिर में सावन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन मौजूदा हालात ने मंदिर तक की पहुंच को भी खतरे में डाल दिया है।
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प्रशासनिक व्यवस्था पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से बारिश को लेकर कोई पूर्व चेतावनी नहीं दी गई थी। रातभर बारिश होती रही, लेकिन न तो कोई सायरन बजा और न ही मुनादी की गई, जिससे लोग सतर्क हो पाते। अचानक जलस्तर बढ़ने से लोग फंस गए और उन्हें अपने घर छोड़कर भागना पड़ा। बाल्मीकि समाज के प्रभावित परिवारों ने प्रशासन से तत्काल सहायता की मांग की है।
लोगों की जान बची, पर नुकसान भारी
प्रभावित लोगों का कहना है कि उन्हें समय रहते कोई चेतावनी नहीं मिली, जिससे वे नुकसान से बच पाते। बाढ़ जैसी स्थिति के कारण उनका घरेलू सामान और ज़रूरी दस्तावेज नष्ट हो गए। कई परिवारों को रात्रि के समय ही घर खाली करना पड़ा। इस आपदा ने न सिर्फ लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित किया, बल्कि उन्हें मानसिक आघात भी पहुंचाया है।
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प्रशासन कर रहा राहत प्रयास
हालांकि प्रशासन की ओर से अब बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है और जिला प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए हुए है। एसडीआरएफ की टीमों को भी सतर्क किया गया है, जो जरूरत पड़ने पर राहत कार्यों में तेजी ला सकती हैं।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश से उत्पन्न आपात स्थितियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समय रहते सतर्कता और चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है। रुद्रप्रयाग जिले में अलकनंदा नदी का उफान और उससे उपजे हालात ने प्रशासन और जनता दोनों के लिए चुनौती पेश की है। अब ज़रूरत है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए तैयारियां और पुख्ता की जाएं, ताकि जन-धन की हानि को रोका जा सके।
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