Kedarnath Yatra 2025: भूस्खलन से जाम हुआ केदारनाथ मार्ग, 9 घंटे मलबे में फंसे रहे सैकड़ों श्रद्धालु
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को उस समय भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा, जब गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच भूस्खलन की वजह से रास्ता कई घंटों तक बंद रहा।
Kedarnath Yatra 2025: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को उस समय भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा, जब गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच भूस्खलन की वजह से रास्ता कई घंटों तक बंद रहा। सोमवार रात से शुरू हुई भारी बारिश के बाद मंगलवार सुबह पहाड़ दरकने लगे और बड़े-बड़े पत्थर मुख्य मार्ग पर आ गिरे। इसके चलते करीब 300 से ज्यादा यात्री रास्ते में ही फंस गए और करीब 9 घंटे तक मदद का इंतजार करते रहे।
मलबे में फंसा रास्ता, खतरे से भरा सफर
ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन का सबसे गंभीर प्रभाव भीमबली और लिनचोली के बीच देखा गया, जहां एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से मलबे में दब गया। स्थानीय प्रशासन और SDRF की टीमें तुरंत राहत कार्य में जुट गईं लेकिन लगातार गिरते पत्थरों के कारण बचाव कार्यों में भी बाधा आई। कई यात्रियों ने बताया कि वे रातभर खुले आसमान के नीचे बैठे रहे। ना खाना था, ना पानी। मोबाइल नेटवर्क भी ठप हो गया था जिससे अपनों से संपर्क करना भी मुश्किल हो गया।
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श्रद्धालु बोले– लगा जैसे जीवन रुक गया हो
पंजाब से आई श्रद्धालु सुनीता कौर ने बताया, “हम सुबह 7 बजे निकले थे लेकिन कुछ दूर चलने के बाद ही अचानक पत्थर गिरने लगे। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। बच्चों के साथ हम मलबे में फंसे रहे। ऐसा लग रहा था जैसे जीवन यहीं रुक गया हो।”
प्रशासन का दावा– स्थिति नियंत्रण में
जिला प्रशासन ने दावा किया है कि शाम तक रास्ता साफ कर दिया गया और सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। वहीं SDRF कमांडर ने बताया कि फिलहाल किसी तरह की जनहानि नहीं हुई है लेकिन यात्रियों से अपील की जा रही है कि मौसम की चेतावनी को नजरअंदाज ना करें।
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मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, खासकर केदारनाथ, बद्रीनाथ और यमुनोत्री क्षेत्रों में। तीर्थयात्रियों से अपील की गई है कि वे बिना मौसम अपडेट देखे यात्रा पर न निकलें।
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सवाल खड़े करता है सिस्टम
हर साल भारी भीड़ और आपदा की आशंका के बावजूद यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाते। सवाल यह उठता है कि क्या इतनी संवेदनशील यात्रा के दौरान रियल टाइम मॉनिटरिंग और सुरक्षित शेल्टर पॉइंट्स की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए?
केदारनाथ यात्रा सिर्फ आस्था नहीं, एक चुनौती भी है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह इस मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए स्थायी और तकनीकी उपाय करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
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