Karauli School Condition: राजस्थान के स्कूल बनते जा रहे हादसों के अड्डे, करौली में दीवारों में करंट और छत से गिर रहा प्लास्टर, क्या किसी बड़ी त्रासदी का इंतजार है?
राजस्थान के करौली जिले में स्कूलों की बदहाली एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। करौली के स्कूलों में दीवारों में करंट और छत से गिर रहा प्लास्टर एक बड़ी समस्या है। क्या किसी बड़ी त्रासदी का इंतजार है?
Karauli School Condition: झालावाड़ में हुए दिल दहला देने वाले स्कूल हादसे ने पूरे राजस्थान को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन क्या वाकई हमने इस हादसे से कुछ सीखा है? करौली जिले के हालात देखकर तो नहीं लगता। यहां के कई सरकारी स्कूलों की जर्जर इमारतें बच्चों के लिए जानलेवा बन चुकी हैं। टपकती छतें, लटकते बिजली के तार, दीवारों में करंट और गिरता प्लास्टर… ये हालात बताते हैं कि प्रशासन शायद किसी और दुर्घटना के इंतजार में है।
जिन स्कूलों को बच्चों के भविष्य की नींव माना जाता है, वही आज उनके लिए खतरे की घंटी बनते जा रहे हैं। बार-बार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई और जिम्मेदार अफसर फाइलें आगे बढ़ाने का बहाना बना रहे हैं। आइए जानते हैं करौली के सरकारी स्कूलों की असली तस्वीर।
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वजीरपुर गेट के पास का स्कूल
1963 में स्थापित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नंबर 5 अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। तीन मंजिला इमारत की दीवारें टूटी हुई हैं, बिजली के तार लटकते हैं और छत से पानी टपकता है। छात्रों ने बताया कि बारिश के मौसम में करंट लगने की घटनाएं तक हो चुकी हैं। स्कूल इंचार्ज विमला जोशी ने बताया, “मैंने 8 बार अधिकारियों को पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बच्चों की सुरक्षा खतरे में है।”
बालिका विद्यालय में गिर रहा प्लास्टर
राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, बड़ा बाजार, करौली यहां की स्थिति और भी चिंताजनक है। स्कूल का एक हिस्सा टूट चुका है और बारिश में छत से प्लास्टर व पत्थर गिरते हैं। नई प्रिंसिपल मिथिलेश शर्मा ने कहा, “बच्चियों को बारिश के समय सुरक्षित कमरों में बैठाना पड़ता है। हमने इसकी सूचना अधिकारियों को दी, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।”
खेड़ी हैबत: किताबें भीग रही, शिक्षा बह रही
हिंडौन सिटी के खेड़ी हैबत गांव के राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय में करीब 80 छात्राएं पढ़ती हैं। बारिश में छत टपकने से फर्श पर पानी भर जाता है, किताबें और बैग भीग जाते हैं। कई बार शिकायतों के बाद भी कोई राहत नहीं मिली।
सपोटरा: 400 छात्राएं मौत के साए में
राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, सपोटरा करीब 60 साल पुराना है। हाल ही में प्रधानाचार्य कक्ष की छत का प्लास्टर गिरा, सौभाग्य से स्कूल बंद था। यहां 400 से अधिक छात्राएं हर दिन जान जोखिम में डालकर शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रेश शर्मा का कहना है कि करौली के 92 प्राइमरी और मिडिल स्कूल जर्जर हैं। सरकार और निदेशालय को प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन अब तक बजट नहीं मिला।
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क्या फिर किसी हादसे का इंतजार?
झालावाड़ की घटना के बाद भी यदि करौली जैसे जिलों में कोई सुधार नहीं हो रहा, तो यह साफ दर्शाता है कि सिस्टम संवेदनहीन हो चुका है। बच्चों की जान की कीमत फाइलों में उलझी पड़ी है और अधिकारी बजट का रोना रोते हुए आंखें मूंदे बैठे हैं। अब सवाल ये है क्या फिर से किसी बड़ी त्रासदी का इंतजार किया जा रहा है?
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