Guru Tegh Bahadur : अत्याचार और अन्याय के ख़िलाफ़, सनातन धर्म के लिए गर्दन कटवाने वाले गुरु की कहानी
भारत में मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब की हुकूमत थी। उस दौर में औरंगज़ेब ग़ैर मुसलमानों पर बहुत ज़्यादा अत्याचार करता था। हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाता था। औरंगज़ेब के अत्याचार से परेशान कुछ कश्मीरी पंडित गुरु तेग बहादुर के पास पहुंचे, और अपनी व्यथा सुनाई।
नई दिल्ली: चांदनी चौक की गलियों में सन्नाटा (Guru Tegh Bahadur) पसरा हुआ था, और सन्नाटा क्यों न पसरे एक महापुरुष ने धर्म की रक्षा के लिए अपनी गर्दन जो कटवा दी थी। उस महापुरुष के लहू से इतने वीर पैदा हुए, कि मुग़ल साम्राज्य की नींव हिल गई। इसके बाद मुगल साम्राज्य का पतन होने लगा।
भारत में मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब की हुकूमत
ये कहानी है सत्रहवीं सदी की, जब भारत में मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब की हुकूमत थी। उस दौर में औरंगज़ेब ग़ैर मुसलमानों पर बहुत ज़्यादा अत्याचार करता था। हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाता था। औरंगज़ेब के अत्याचार से परेशान कुछ कश्मीरी पंडित गुरु तेग बहादुर के पास पहुंचे, और अपनी व्यथा सुनाई।
गुरुजी (Guru Tegh Bahadur) ने कश्मीरी पंडितों को आश्वासन दिया और कहा कि औरंगजेब से कहो कि पहले वो मेरा धर्म परिवर्तन करवा दे। ये बात चारो तरफ फैल गई। गुरुजी स्वयं दिल्ली की ओर प्रस्थान किए। दिल्ली में चांदनी चौक के पास गुरुजी रुके थे। औरंगजेब गुरुजी के पास इस्लाम कबूल करने का प्रस्ताव भेजवाया।
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गुरुजी ने औरंगजेब के प्रस्ताव को अस्वीकार किया
गुरुजी ने औरंगजेब के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। जिसके बाद औरंगजेब के सैनिकों ने गुरुजी के सिर को धड़ से अलग कर दिया। चांदनी चौक की वो भूमि गुरुजी के लहू से लाल हो गई। एक पल के लिए चारों तरफ सन्नाटा छा गया। सनातन धर्म की रक्षा के लिए किसी व्यक्ति का ये सबसे बड़ा बलिदान था।
धन्य है वो मातृभूमि जिन्होंने गुरु तेग बहादुर जैसे धर्म रक्षको को जन्म दिया। ये देश और सनातन धर्म हमेशा गुरु तेग़ बहादुर के बलिदान पर गर्व करता रहेगा. इतिहासकारों ने गुरुजी को हिंद दी चादर कहकर संबोधित किया। आज भी गुरुजी से हम प्रेरणा लेकर धर्म रक्षक बन सकते हैं। अपने स्वाभिमान, आत्म सम्मान, सभ्यता, संस्कृति और परंपरा की रक्षा कर सकते हैं। हर दौर में ज़ुल्म को मिटाने के लिए महापुरूष अवतरित होते रहते हैं, और पापियों का नाश करते हैं।