Madhya Pradesh (मध्यप्रदेश)

मध्यप्रदेश

भारत का ह्रदय स्थल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश वैसे तो टाइगर स्टेट के नाम से प्रसिद्ध है. लेकिन ये सूबा डायनासोर के अवशेष मिलने के कारण भी जाना जाता है. मध्य प्रदेश के धार जिले समेत नर्मदा घाटी के पूरे इलाके में जूरासिक काल के सबूत बिखरे पड़े हैं. धार जिले के ग्रामीण इलाकों में तो डायनासोर के अंडो के जिवाश्म की पूजा भी की जाती है. नर्मदाघाटी के एक हजार किलोमीटर के दायरे में जिसमें गुजरात का क्षेत्र भी शामिल है, यहां मिले डायनासोर को वैज्ञानिकों ने “रोजासोरस नर्मेदेंसिस” नाम दिया है. कुछ वैज्ञानिकों ने तो इस इलाके में विशालकाय ‘टाइटोनोसोरस’ के भी पाए जाने का दावा किया है. नर्मदा नदी इस देश की एकमात्र नदी है जो पश्चिम की ओर बहती है. खंबात की खाड़ी में गिरने वाली इस नदी को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है. राजधानी भोपाल से महज 40 किलोमीटर दूर होशंगाबाद जिले में आदिमानवों के अवशेष भीमबेटका नामक स्थान पर मौजूद हैं. जाहिर है मध्यप्रदेश का इतिहास, इतिहास से भी पुराना है. भारत का सबसे ज्यादा जंगल मध्यप्रदेश में है. देश का 30 प्रतिशत वन क्षेत्र इसी राज्य में है. देश की सबसे ज्यादा आदिवासी बस्तियां भी इसी सूबे में मौजूद हैं. ये राज्य अपनी शास्त्रीय और लोक संगीत के लिए भी प्रसिद्ध है. मैहर घराना, ग्वालियर घराना और सेनिया घराना इसकी मिसाल हैं. तानसेन और बैजू बावरा इसी सूबे से थे. वर्तमान भारत की सुप्रसिद्ध गायिका स्वर्गीय लता मंगेशकर और स्वर्गीय किशोर कुमार की जन्म स्थली भी मध्यप्रदेश ही है. देश में हीरे की खदान वाला पहला राज्य भी मध्यप्रदेश ही है.

पर्यटन

प्राकृतिक संपदा से संपन्न होने के कारण यहां पर्यटन के प्रचूर स्थान मौजूद हैं. इसके अलावा मंदिर और ऐतिहासिक महत्व की इमारतें भी इस प्रदेश का गौरव बढ़ाती हैं.

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान- इसे कान्हा-किसली पार्क भी कहा जाता है. कान्हा शब्द कनहार से बना है स्थानीय भाषा में इसका मतलब चिकनी मिट्टी है. ये भारत का एक महत्वपूर्ण नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व है. ये मंडला और बालाघाट जिलों से होकर छत्तीसगढ़ तक फैला है.

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान- उमरिया जिले का ये नेशनल पार्क काफी प्रसिद्ध है. पार्क के अंदर पहाड़ी पर दो हजार साल एक पुराना किला मौजूद है. इस पार्क में 22 तरह के वन्यजीव और 250 तरह की पक्षियां पाई जाती हैं.

घुघवा जीवाश्म उद्यान- डिंडौरी जिले का ये पार्क पौधों के जीवाश्म के लिए प्रसिद्ध है. इस पार्क में यूकलिप्टस के ऐसे पेड़ों का जीवाश्म मौजूद हैं जो सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के जंगल में ही पाए जाते हैं. ये पार्क इस बात का सबूत पेश करता है कि करोड़ों साल पहले सभी महाद्वीप एक साथ जुड़े हुए थे.

पेंच राष्ट्रीय उद्यान- ये छिंदवाड़ा और सिवनी जिले में है. इसे मोगली लैंड के नाम से जाना जाता है. रुडयार्ड किपलिंग की जंगल बुक का मोगली यहीं पाया गया था. इस पार्क में करीब 65 बाघ हैं. पर्यटकों खासकर बच्चों को ये नेशनल पार्क खूब आकर्षित करता है.

डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान- धार जिले में मिले करोड़ों साल पुराने डायनासोर के जीवाश्म और अंडे मिले हैं. इनके संरक्षण के लिए यहां जीवाश्म उद्यान बनाया गया है. यहां साढ़े छह कोरड़ साल पुराने डायनासोर के अंडे मौजूद हैं.

जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी- सतना के मुकुंदपुर में दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी बनाई गई है. 1915 में पहली बार इस इलाके में सफेद बाघ देखा गया था. 1920 में इस दुर्लभ बाघ की मौत हो गई थी. 1951 में रीवा के महाराज मार्तंड सिंह जूदेव ने सफेद बाघ के एक शावक को पकड़ा था. बाद में यही शावक दुनिया भर में सफेद बाघ का पिता बना.गुफाओं को और इनकी कलाकृतियों को देखकर हर कोई अचंभित रह जाता है.

खजुराहो- ये स्थान मध्यकालीन मंदिरों के लिए जाना जाता है. काम क्रिड़ा के विभिन्न आयोमों और भाव-भंगिमाओं को यहां पत्थर पर उकेरा गया है. इसका इतिहास करीब एक हजार साल पुराना है. 1986 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है.

उदयगिरि की गुफाएं- विदिशा जिले में इन गुफाओं में प्राचीन हिंदु देवी-देवताओं की प्रतिमाएं पत्थरों पर उकेरी गई हैं. राजधानी भोपाल से 57 किलोमीटर दूर इन गुफाओं को और इनकी कलाकृतियों को देखकर हर कोई अचंभित रह जाता है.

सांची- रायसेन जिले में ये एक बौद्ध स्मारक है. ये स्मारक तीसरी सदी ईसापूर्व से बारहवी सदी की हैं. यहां छोटे-बड़े अनेक स्तूप हैं. दो नंबर का स्तूप सबसे बड़ा है. बौद्ध पर्यटकों का ये एक बड़ा केंद्र है.

भीमबेटका की गुफाएं- रायसेन जिले में ही स्थित इन गुफाओं में आदिमानवों के सबूत बिखरे पड़े हैं. यहां की गुफाओं में रहने वाले आदिमानवों ने जो चित्र बनाए थे वो करोड़ों साल बितने के बाद भी संरक्षित हैं. इन्हें देखना एक रोमांचकारी अनुभव होता है.

मांडू- ये धार जिले में परमार वंश का एक प्राचीन शहर है. पहाड़ की चोटी पर बसे इस शहर में जहाज महल, हिंडोला महल और शाही हम्माम वास्तुकला के अनोखे उदाहरण हैं. ये स्थान बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां रानी रूपमती का एक झरोखा भी है जहां से वो नर्मदा नदी के दर्शन किया करती थीं.

अमरकंटक- ये अनूपपुर जिले का वो स्थान है जहां से नर्मदा और सोन नदियां निकलती हैं. इसी स्थान पर विंध्य पर्वतमाला और सतपुड़ा पर्वतमालाओं का मिलन होता है. यहां से निकलकर नर्मदा नदी पश्चिम की ओर और सोन नदी पूर्व की ओर बहने लगती है. इसके आसपास कई दर्शनीय स्थान हैं.

भेड़ाघाट जलप्रपात- जबलपुर जिले में ये मध्यप्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल है. यहां नर्मदा नदी 50 फीट की भेड़ाघाट जलप्रपात- जबलपुर जिले में ये मध्यप्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल है. यहां नर्मदा नदी 50 फीट की

पचमढ़ी- नर्मदापुरम जिले में ये मध्यप्रदेश का एक प्रसिद्ध हिलस्टेशन है. इसे मध्यप्रदेश का कश्मीर भी कहा जाता है. सतपुड़ा पर्वत श्रेणी से घिरा ये एक सुंदर पठार है. इसकी ऊंचाई 1067 मीटर है. इस स्थान की खूबसूरती के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है.

ग्वालियर का किला- ग्वालियर में गोपाचल पर्वत पर बना ये किला भारत के महत्वपूर्ण किलों में से एक है. कहते हैं कि कुशवाह वंश के राजा सूरजसेन ने किले का निर्माण करवाया था. इसके बाद अलग अलग काल खंडों में यहां अलग अलग शासकों का राज रहा. ये किला पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है.व्यवसाय मध्यप्रदेश में उद्योग और रोजगार के साधन भी काफी हद तक प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर है. सूबे में कोयला, बाक्साइट, आयरनओर, हीरा, चूना पत्थर, मैगनीज प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है. खेती किसानी भी भरपूर होती है. सभी प्रकार की दालें, धान और गेहूं के लिए तो मध्यप्रदेश जाना ही जाता है. कृषि पर आधारित उद्योगों में यहां चीनी उद्योग, सूती कपड़ा उद्योग, वनस्पती घी और कृत्रिम रेशम उद्योग प्रमुख हैं. इसके अलावा सीमेंट उद्योग, भारी विद्युत उपकरण, चीनी मिट्टी उद्योग, कागज उद्योग, बीड़ी उद्योग के साथ ही लकड़ी, कत्था और लाख का भी काम होता है.

अन्य जानकारियां

क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश का दूसरा बड़ा राज्य है. सूबे की साक्षरता दर 69.3 प्रतिशत है. पुरुष साक्षरता 78.7 प्रतिशत है तो वहीं महिलाओं में साक्षरता 59.2 प्रतिशत ही है. सबसे ज्यादा साक्षरता वाला संभाग जबलपुर है तो वहीं सबसे कम साक्षरता वाला संभाग इंदौर है. कर्क रेखा राज्य के बिल्कुल बीचो बीच से 14 जिलों से होकर गुजरती है. देश की सबसे बड़ी मस्जिद ताज-उल-मस्जिद राजधानी भोपाल में बनी हुई है. देश में कुपोषण के मामले में भी मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है.     

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