BJP News: राजनीतिक खेल को कौन जाने ! बीजेपी (BJP) को लग रहा था कि जयंत चौधरी को बीजेपी के साथ लेकर वेस्टर्न यूपी को साधा जा सकता है लेकिन जयंत चौधरी ने बीजेपी के साथ जाने से साफ़ मना कर दिया है। अब बड़ी खबर ये है कि जयंत आगामी 17 -18 जुलाई को बंगलुरु में हो रही विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने जा रहे हैं। इसकी घोषणा भी उन्होंने कर दी है। जयंत के बदले इस खेल से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है।
उधर, सुभासपा प्रमुख ने दो दिन पहले ही कहा था कि वे दिल्ली में होने वाली एनडीए की बैठक में शामिल होंगे। लेकिन आज खबर आ रही है कि वे अभी एनडीए की किसी बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। राजभर ने खुद इस बात को आगे बढ़ाया है। अब दूसरी कहानी यह बनती दिख रही है कि लखनऊ में राजभर के साथ कई विपक्षी नेताओं की बात हो रही है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के नेताओं ने भी राजभर से बात की है। सम्भावना जताई जा रही है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो राजभर भी विपक्षी एकता में शामिल हो सकते हैं।
बता दें कि राजभर हमेशा पाला बदलते रहते हैं। पिछले चुनाव में वे सपा के साथ मिलकर चुनाव लाडे थे। लेकिन चुनाव के बाद सपा से उनकी नहीं बनी और गठबंधन से अलग हो गए। वे फिर से बीजेपी (BJP) के साथ गलबहियां करते दिखे। हालांकि 2017 के चुनाव में राजभर की पार्टी बीजेपी के साथ ही लड़ी थी। वे मंत्री भी बनाये गए थे लेकिन बाहत दिन तक सीम योगी के साथ वे नहीं चल पाए। लेकिन इस बार वे फिर से बीजेपी के साथ जाने को तैयार थे। अब अचानक क्या हुआ ही यह तो कोई नहीं जनता लेकिन लखनऊ से जो खबरे मिल रही है उससे यही पता चलता है कि राजभर विपक्षी पार्टियों से भी बात कर रहे हैं और वे जितनी सीटें मांग रहे हैं उस पर विपक्ष तैयार भी है। अगर राजभर विपक्षी खेमे में जाते हैं तो बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है।
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बीजेपी राजभर के जरिए पूर्वांचल की राजनीति को साधना चाहती है। बीजेपी लग रहा है कि उसका मिशन 80 तभी सफल हो सकता है जब पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी में जीत हासिल हो सके। राजभर के जरिए बीजेपी पूर्वी यूपी के कई सीटों को जितने का प्रयास कर रही है। राजभर की जिन जातियों में पहुँच है उन जातियों के वोट करीब दर्जन भर सीटों को प्रभावित करती है। ऐसे में राजभर अगर बीजेपी के तो बीजेपी का मिशन पूरा हो सकता है। लेकिन अब राजभर ने अपना निर्णय बदल दिया है।
उधर वेस्टर्न यूपी में जयंत चौधरी का दबदबा आज भी कायम है। हलाकि वे अभी तक अखिलेश यादव के साथ राजनीति करते रहे हैं और सफल भू हुए हैं लेकिन पंचायत चुनाव के बाद यह कहानी आगे बढ़ने लगी कि अखिलेश और जयंत में बातचीत नहीं हो रही है और दोनों के बीच मनमुटाव भी है। बीजेपी इसका लाभ लेना चाहती थी। जयंत से बीजेपी नेताओं की कई बैठके भी हुई। इसके बाद कहा गया कि जयंत बीजेपी के साथ आ सकते हैं। लेकिन जयंत की परेशानी ये है वे जिन इलाकों की राजनीति करते हैं वह जाट और मुस्लिम बहुल इलाका है और यही समाज उनका वोट बैंक भी है। यह समाज अभी बीजेपी के खिलाफ है और जयंत बीजेपी के साथ जाकर अपने वोट बैंक का नुकसान नहीं कर सकते। ऐसे में जयंत ने अब बीजेपी के साथ जाने से साफ़ मना कर दिया है।