Narayan Singh body recovered after 56 year: 56 साल बाद घर पहुंचेगा शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर,प्लेन क्रैश में वीरगति को हुए थे प्राप्त
Martyr Narayan Singh's body will reach home after 56 years, the family's 56-year-old wounds have become fresh again
Narayan Singh body recovered after 56 year : भारतीय वायुसेना के 1968 में हुए हादसे के शहीद जवान नारायण सिंह का पार्थिव शरीर करीब 56 साल बाद अपने पैतृक गांव कोलपूडी में पहुंचने जा रहा है। यह घटना केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए एक भावुक क्षण है। साल 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास हुए विमान हादसे ने 102 जवानों को हमसे छीन लिया था, जिनमें से अधिकांश के पार्थिव शरीर दशकों तक बरामद नहीं किए जा सके थे।
विमान हादसे का इतिहास
7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान (AN-12-BL-534) चंडीगढ़ से लेह के लिए रवाना हुआ था। इस विमान में भारतीय सेना के कई जवान सवार थे। लेकिन, बीच रास्ते में ही हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास विमान का संतुलन बिगड़ गया और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भयानक हादसे में विमान में सवार सभी 102 जवान शहीद हो गए थे।
हादसे के बाद, भारतीय सेना ने इन शहीद जवानों के शवों की खोज के लिए व्यापक सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और मौसम की चुनौतियों के कारण सभी जवानों के पार्थिव शरीर बरामद नहीं किए जा सके। वर्ष 2003 में पहली बार पांच जवानों के पार्थिव शरीर खोजे गए थे। इसके बाद, 2018 में भी एक और शहीद जवान का पार्थिव शरीर बरामद किया गया। अब, 56 साल बाद, चार और शहीद जवानों के शव मिले हैं, जिनमें उत्तराखंड के चमोली जिले के नारायण सिंह का पार्थिव शरीर भी शामिल है।
शहीद नारायण सिंह का पारिवारिक पृष्ठभूमि
चमोली जिले के कोलपूडी गांव निवासी नारायण सिंह का परिवार लंबे समय से उनके पार्थिव शरीर के मिलने की प्रतीक्षा कर रहा था। ग्राम प्रधान और नारायण सिंह के भतीजे, जयवीर सिंह ने बताया कि नारायण सिंह का विवाह वर्ष 1962 में बसंती देवी से हुआ था, जो उस समय महज 9 साल की थीं। नारायण सिंह के शहीद होने के बाद भी, बसंती देवी को उम्मीद थी कि उनके पति एक दिन वापस लौट आएंगे। परंतु, समय के साथ यह उम्मीद भी टूट गई। अंततः, परिवार ने बसंती देवी का विवाह नारायण सिंह के छोटे भाई, भवान सिंह से करा दिया।
नारायण सिंह के भतीजे जयवीर सिंह ने बताया कि जब उनके ताऊजी का विमान हादसे का शिकार हुआ, तो पूरे गांव और परिवार में मातम का माहौल था। सेना की ओर से लगातार खोज की जाती रही, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। परिवार और गांव वालों ने नारायण सिंह की शहादत को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन दिल में एक उम्मीद हमेशा बनी रही कि कभी न कभी उनके पार्थिव शरीर की खबर जरूर मिलेगी।
शव की पहचान और घर वापसी
हाल ही में, सेना द्वारा बरामद किए गए पार्थिव शरीर की जांच की गई, जिसमें से एक शव की पहचान नारायण सिंह के रूप में हुई। उनकी शिनाख्त होने के बाद, परिवार को सूचना दी गई कि उनका पार्थिव शरीर गुरुवार को उनके गांव पहुंचेगा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
यह खबर सुनते ही, गांव और परिवार में 56 साल पुरानी यादें फिर से ताजा हो गईं।नारायण सिंह के परिवार ने बताया कि उनके ताऊजी के शहीद होने के बाद, उनकी पत्नी बसंती देवी ने कभी भी सेना या सरकार से किसी प्रकार की सुविधा की मांग नहीं की थी। जयवीर सिंह ने बताया कि, “बसंती देवी ने हमेशा यह सोचा कि उनके पति का कर्तव्य देश की सेवा करना था, और वह अपनी शहादत के बाद भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।”
सेना और प्रशासन की प्रतिक्रिया
नारायण सिंह के पार्थिव शरीर के मिलने की खबर को बहुत गंभीरता से लिया और जल्द ही उनके गांव तक पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस संबंध में ग्राम प्रधान जयवीर सिंह ने कहा, “हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इतने सालों बाद हमें ताऊजी का पार्थिव शरीर मिलेगा। यह हमारे लिए गर्व और दुख का मिला-जुला क्षण है।”
सेना के उच्चाधिकारियों ने इस अवसर पर कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने शहीदों को पूरा सम्मान दें। हम उन सभी शहीदों की खोजबीन जारी रखेंगे, जो देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए।
गांव में मातम और गर्व का मिला-जुला माहौल
गांव में नारायण सिंह के पार्थिव शरीर के आने की खबर सुनते ही मातम और गर्व का माहौल है। गांव के लोग उनकी अंतिम विदाई की तैयारियों में जुट गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने भी अंतिम संस्कार के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए हैं।