Uttarakhand News: लालकुआं में दुर्गा पूजा, बंगाल की संस्कृति की झलक, श्रद्धालुओं ने की सुख-समृद्धि की कामना
Uttarakhand News: Durga Puja in Lalkuan, glimpse of Bengal's culture, devotees wished for happiness and prosperity
Uttarakhand News: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में नवरात्रि का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां रामलीला के साथ-साथ मां दुर्गा के भव्य पंडाल सजाए गए हैं। इन पंडालों में विशेष रूप से लालकुआं स्थित सेंचुरी पेपर मिल की दुर्गा पूजा को खास माना जाता है, क्योंकि यहां बंगाल की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। पिछले कई दशकों से यह परंपरा चली आ रही है, जहां बांग्ला रीति-रिवाज और वाद्य यंत्रों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है।
बंगाल से आए कारीगर और पुजारी: परंपरा की अमिट छाप
हर साल इस आयोजन के लिए पश्चिम बंगाल से कारीगर और पुजारी लालकुआं आते हैं। इन कारीगरों द्वारा मां दुर्गा की भव्य मूर्ति का निर्माण किया जाता है, जो 10 फीट से भी अधिक ऊंची होती है। मूर्ति के साथ मां लक्ष्मी, माता सरस्वती, भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश की भी प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। मां दुर्गा की मूर्ति को महिषासुर का वध करते हुए स्थापित किया जाता है, जो बंगाल की परंपरागत दुर्गा पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बंगाली रीति-रिवाज और आराधना का अनूठा अनुभव
पूरे आयोजन में बंगाल की संस्कृति की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है। पूजा के दौरान बांग्ला वाद्य यंत्रों की धुन पर आरती की जाती है, जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पूरे समर्पण के साथ हिस्सा लेते हैं। आरती के समय का दृश्य विशेष रूप से अद्भुत होता है, जहां छोटे बच्चे भी बांग्ला वाद्य यंत्र बजाते हुए मां दुर्गा की आराधना करते हैं। इस दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा से सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं।
सिंदूर खेला और बंगाली मान्यताएं
बंगाली परिवारों की मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि के दौरान मां भगवती अपने मायके आती हैं, और उनका स्वागत विशेष रूप से किया जाता है। नवमी के दिन ‘सिंदूर खेला’ का आयोजन होता है, जहां बंगाली महिलाएं सिंदूरदान करती हैं। यह माना जाता है कि इस परंपरा से पति की आयु लंबी होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। सिंदूर खेला के बाद महाआरती का आयोजन होता है, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
इस प्रकार, लालकुआं में आयोजित दुर्गा पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बंगाल की संस्कृति और परंपरा का एक जीवंत उदाहरण है, जो न केवल स्थानीय लोगों बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करता है।