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The story of Wasim Rizvi: वसीम रिजवी से ‘ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर’ बनने की कहानी: नाम और पहचान में बदलाव का सफर जारी

The story of Wasim Rizvi becoming 'Thakur Jitendra Narayan Singh Sengar': The journey of change in name and identity continues

The story of Wasim Rizvi नई दिल्ली: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी एक बार फिर अपनी नई पहचान को लेकर चर्चा में हैं। धर्म और नाम में कई बदलावों के बाद, उन्होंने अब ‘ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर’ के नाम से खुद को संबोधित करना शुरू कर दिया है। 2021 में इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने वाले रिजवी ने उस समय अपना नाम बदलकर ‘जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी’ रखा था। अब, उन्होंने अपने नाम में ‘सेंगर’ जोड़ लिया है, और इसे लेकर उनके समर्थक और आलोचक दोनों में उत्सुकता बढ़ गई है।

सनातन धर्म अपनाने का निर्णय और त्यागी उपनाम


वसीम रिजवी ने इस्लाम को छोड़ सनातन धर्म में प्रवेश करने का फैसला 2021 में किया था। उनके इस कदम ने उस समय काफी विवाद खड़ा कर दिया था। जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर और डासना देवी मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद के मार्गदर्शन में उन्होंने दीक्षा ली थी, जिसके बाद उन्हें ‘जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी’ का नाम मिला। इस परिवर्तन के बाद, उन्होंने कई हिंदू धार्मिक आयोजनों में भाग लिया और धार्मिक गुरुओं के साथ भी जुड़े रहे।

इस परिवर्तन के कारण उनकी मुस्लिम समुदाय से कटुता बढ़ी, और उनके परिवार ने भी उनसे सारे संबंध समाप्त कर लिए। उनके खिलाफ इस्लामिक धर्मगुरुओं द्वारा कई फतवे जारी किए गए। परिवार में विवाद इतना बढ़ा कि उनकी मां और भाई ने उनसे रिश्ते खत्म कर दिए। इस्लामिक धर्मगुरुओं के खिलाफ उनके बयान भी विवादों का कारण बने।

यति नरसिंहानंद से दूरियां


हालांकि, पिछले तीन सालों में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के विचार यति नरसिंहानंद से मेल नहीं खा सके। जितेंद्र का कहना है कि यति नरसिंहानंद का आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के प्रति रुख उन्हें असहज करता था, जिसके कारण उन्होंने उनसे दूरी बना ली। दो साल पहले उन्होंने यति नरसिंहानंद से सारे संबंध खत्म कर दिए और एक अलग पहचान की ओर अग्रसर हुए।

‘सेंगर’ उपनाम अपनाने का कारण


हाल ही में जितेंद्र नारायण ने ‘सेंगर’ उपनाम अपनाया है। इस उपनाम को अपनाने का कारण उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रभात सिंह सेंगर के साथ अपनी पुरानी मित्रता को बताया। जितेंद्र ने बताया कि प्रभात सिंह सेंगर ने उन्हें अपने परिवार का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया था। प्रभात की मां, यशवंत कुमारी सेंगर ने कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से उन्हें अपने परिवार का सदस्य मान लिया है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इससे संपत्ति में जितेंद्र का कोई अधिकार नहीं होगा।

धर्म संसद में बयानबाजी और जेल यात्रा


वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण का विवादों से जुड़ा हुआ एक और अध्याय उस समय खुला जब उन्होंने उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद नामक कार्यक्रम में एक धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। भड़काऊ बयान देने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ, जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका मंजूर की गई और इसके बाद वे जेल से रिहा हो पाए।

कुरान की 26 आयतों को हटाने की याचिका और मदरसा शिक्षा पर बयान


वसीम रिजवी उस समय भी सुर्खियों में रहे जब उन्होंने कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने दावा किया कि ये आयतें आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं और उनका इस्लामिक शिक्षा में शामिल होना उचित नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने मदरसा शिक्षा को भी आतंकवाद से जोड़ते हुए कहा कि कुछ शैक्षणिक संस्थान चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देते हैं। उनके इस बयान का शिया और सुन्नी दोनों समुदायों ने विरोध किया, और उनके खिलाफ फतवे जारी किए गए।

वसीम रिजवी का धर्म और पहचान में लगातार परिवर्तन


वसीम रिजवी का इस्लाम से सनातन धर्म में आना, फिर ‘त्यागी’ उपनाम को अपनाना और अब ‘सेंगर’ उपनाम से अपनी नई पहचान बनाना यह दर्शाता है कि उनकी धार्मिक और सामाजिक पहचान का सफर लगातार बदलता रहा है। जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर के रूप में वे अपने नए नाम और पहचान के साथ आगे बढ़ रहे हैं, और आने वाले समय में उनके इस बदलाव का समाज पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

जितेंद्र नारायण का यह सफर धर्म और पहचान को लेकर उनके संघर्ष, विवादों और मान्यताओं के प्रति उनके बदलते रुख को भी उजागर करता है।

Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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