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Jhasni Medical College Fire: झांसी अग्निकांड में बच सकती थी 10 मासूमों की जान, अगर अस्पताल में होती ये दो चीजें!

उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भीषण आग लग गई।

Jhansi Medical College Fire: उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भीषण आग लग गई। इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। आग लगने से कम से कम 10 बच्चों की मौत हो गई और 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा कैसे हुआ, क्या इन 10 मासूम बच्चों की जान बचाई जा सकती थी?

कैसे लगी आग?

माना जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में शॉर्ट सर्किट की वजह से यह हादसा हुआ, जिसमें 10 बच्चे जिंदा जल गए और 16 घायल हो गए। आग लगने की वजह से वहां पड़े सिलेंडर भी फट गए और बड़ा हादसा हो गया। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने 37 बच्चों को सुरक्षित बचा लिया। हादसे के वक्त एनआईसीयू में कुल 54 बच्चे भर्ती थे।

ये दो चीजें होतीं तो नहीं जाती जान

  1. सुरक्षा उपकरण: रिपोर्ट के मुताबिक, स्टाफ को आग और सिलेंडर फटने का पता इसलिए नहीं चला क्योंकि अस्पताल का अलार्म काम नहीं कर रहा था। अगर अलार्म बजता तो स्टाफ बच्चों को लेकर बाहर आ सकता था। धुआं निकलता देख शोर मचा, लेकिन तब तक स्थिति बेकाबू हो चुकी थी। अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण भी काम नहीं कर रहे थे और वे भी किसी काम के नहीं थे। इसलिए अगर अस्पताल के अंदर अच्छे और काम करने वाले सुरक्षा उपकरण होते तो बच्चों की जान बच सकती थी।
  2. दूसरा निकास द्वार: रिपोर्ट्स में बताया गया है कि झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के बच्चों के वार्ड में सिर्फ़ एक ही निकास द्वार था। इसके ज़रिए दमकलकर्मी एक-एक करके अंदर गए और एक बार में सिर्फ़ 2-3 बच्चों को ही बाहर निकाल पाए। खिड़कियों को तोड़कर बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश भी की गई। अगर वार्ड में दूसरा निकास द्वार होता तो दमकलकर्मी ज़्यादा संख्या में अंदर जा सकते थे और ज़्यादा बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

सीएम योगी ने जताई संवेदना, दिए जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को “हृदय विदारक” बताया और घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के निर्देश दिए।

उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, “जनपद झांसी के मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुए हादसे में बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुःखद एवं हृदय विदारक है। जिलाधिकारी और संबंधित अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य चलाने के निर्देश दिए गए हैं। मैं प्रभु श्री राम से दिवंगत आत्माओं की शांति और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।” मुख्यमंत्री ने संभागीय आयुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) से 12 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

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मुख्यमंत्री के निर्देश पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और स्वास्थ्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा देर रात झांसी के लिए रवाना हो गए। जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुधा सिंह और पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और बचाव कार्यों का जायजा लिया। एसएसपी सुधा सिंह ने बताया कि 16 घायल बच्चों का इलाज चल रहा है और उन्हें बचाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। सभी डॉक्टर और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने शुक्रवार को झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (SNCU Ward) में लगी भीषण आग में कई नवजात शिशुओं की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने इसे बहुत ही दुखद और हृदय विदारक घटना बताया।

उपमुख्यमंत्री का बयान

बृजेश पाठक ने सोशल मीडिया पर घटना को लेकर दुख व्यक्त कर कहा, “महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, झांसी के एसएनसीयू वार्ड में आग लगने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में कई नवजात शिशुओं की मृत्यु अत्यंत दुःखद एवं हृदय विदारक है।” उन्होंने जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाने के निर्देश दिए हैं। डिप्टी सीएम ने कहा कि वह खुद दुर्घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं और राहत कार्यों की निगरानी करेंगे। उन्होंने भगवान श्री राम से प्रार्थना करते हुए कहा, “मृत आत्माओं को शांति प्रदान करें और घायलों को शीघ्र स्वस्थ करें।”

Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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