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Chinmoy Das Arrest: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर बोलीं शेख हसीना

चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका पुलिस की जासूसी शाखा ने देशद्रोह के आरोप में ढाका हवाई अड्डे से गिरफ़्तार किया था। वे बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ़ कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे।

Chinmoy Das Arrest: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शुक्रवार को हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की और इसे “अन्यायपूर्ण” करार दिया तथा उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।

चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका पुलिस की जासूसी शाखा ने देशद्रोह के आरोप में ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार किया था। वह बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ़ कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे।

शेख हसीना ने धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा की अपील की

शेख हसीना ने अपने पत्र में लिखा, ‘सनातन धर्म के एक शीर्ष नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है। उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।’

उन्होंने यह भी कहा कि, हाल ही में चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया और उससे पहले अहमदिया समुदाय के मस्जिदों, मठों, चर्चों और घरों पर हमला किया गया, लूटपाट की गई और आग लगा दी गई।

सभी समुदायों की सुरक्षा पर जोर

अपने बयान में हसीना ने कहा, ‘सभी समुदायों के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता तथा उनके जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।’

पूर्व प्रधानमंत्री का यह बयान देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमलों और धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की घटनाओं के बीच आया है। यह घटना बांग्लादेश में धार्मिक सहिष्णुता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है।

चिन्मय दास कौन हैं?

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें श्री चिन्मय कृष्ण प्रभु के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश में इस्कॉन समुदाय के एक प्रभावशाली धार्मिक नेता हैं। वे पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं और धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के प्रबल समर्थक हैं। हाल ही में उन्हें देशद्रोह के आरोप में ढाका पुलिस ने गिरफ़्तार किया था, जिसके बाद उनकी गिरफ़्तारी ने विवाद खड़ा कर दिया है।

चिन्मय दास की गिरफ़्तारी और आरोप

चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था। उन पर 25 अक्टूबर 2024 को चटगांव में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के झंडे का अपमान करने का आरोप था। 22 नवंबर को उन्होंने रंगपुर में एक रैली में हिंदू समुदाय पर हुए हमलों की निंदा की थी। अदालत ने 26 नवंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें हिरासत में रखने का आदेश दिया था। उनके और 18 अन्य के खिलाफ देशद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया है।

हिंदू समुदाय के लिए संघर्ष के प्रतीक बन गए चिन्मय कृष्ण

अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद शुरू हुई हिंसा में चिन्मय कृष्ण दास, जो कुछ महीने पहले तक बहुत मशहूर नहीं थे, एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे। हिंदू मंदिरों और समुदायों पर हमलों के खिलाफ आवाज उठाकर उन्होंने तेजी से लोकप्रियता हासिल की। ​​39 वर्षीय साधु ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा के लिए लड़कर अपनी पहचान बनाई।

Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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