Lord Hanuman : एक अनोखा मंदिर जहां अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं हनुमान जी
भगवान श्रीराम के सबसे बड़े भक्त माने जाने वाले हनुमान जी को सारी दुनिया एक बाल ब्रह्मचारी के रूप में जानती है. लेकिन रामायण में हनुमान जी के पुत्र का भी वर्णन मिलता है, हालांकि वहां भी हनुमान जी ब्रह्मचारी के रूप में ही सिद्ध हुए. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं.
Lord Hanuman : हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी एक पत्नी भी थी। पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख किया गया है। भारत में एक ऐसा मंदिर प्राचीन मंदिर मौजूद हैं जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान है। आइए जानते हैं कि हनुमान जी का विवाह कैसे और किससे हुआ था।
आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले में स्थित हनुमान जी का यह मंदिर कई मायनों में खास है। इस मंदिर में हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला ब्रह्मचर्य मुद्रा की बजाय गृहस्थ मुद्रा में विराजमान हैं।
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हनुमान जी के सभी भक्तों का मानना है कि वे बचपन से ही ब्रह्मचारी रहे और वाल्मीकि, कम्भ, रामायण और रामचरित मानस सभी में बालाजी के इसी संस्करण का उल्लेख मिलता है। लेकिन पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख है। इसका सबूत है आंध्र प्रदेश के खम्मम ज़िले में बना एक खास मंदिर जो प्रमाण है हनुमान जी की शादी का।
यह मंदिर याद दिलाता है रामदूत के उस चरित्र का जब उन्हें विवाह के बंधन में बंधना पड़ा था। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि भगवान हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी नहीं थे। पवनपुत्र का विवाह भी हुआ था और वो बाल ब्रह्मचारी भी थे।
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कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण ही बजरंगबली को सुवर्चला के साथ विवाह बंधन में बंधना पड़ा। दरअसल हनुमान जी ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था।
हनुमान, सूर्य से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। सूर्य कहीं रुक नहीं सकते थे इसलिए हनुमान जी को सारा दिन भगवान सूर्य के रथ के साथ साथ उड़ना पड़ता और भगवान सूर्य उन्हें तरह-तरह की विद्याओं का ज्ञान देते। लेकिन हनुमान जी को ज्ञान देते समय सूर्य के सामने एक दिन धर्मसंकट खड़ा हो गया।
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कुल 9 तरह की विद्या में से हनुमान जी को उनके गुरु ने 5 तरह की विद्या तो सिखा मगर बची चार तरह की विद्या और ज्ञान ऐसे थे जो केवल किसी विवाहित को ही सिखाए जा सकते थे।
हनुमान जी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे और इससे कम पर वो मानने को राजी नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट था कि वह धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को कुछ विशेष विद्याएं नहीं सिखला सकते थे।
सूर्य देव ने हनुमान जी को इस परिस्थिति में विवाह करने की सलाह दी। साथ ही हनुमान जी ने वचनबद्धता के तहत विवाह करने और शिक्षा प्राप्त करने का वचन भी दिया। लेकिन सभी इस बात को लेकर चिंतित थे कि हनुमान जी की दुल्हन कहां मिलेगी और उनसे कौन विवाह करेगा।
सूर्य देव की धर्मपरायण और बुद्धिमान पुत्री सुवर्चला हनुमान जी से विवाह करने के लिए तैयार हो गई। इसके बाद सुवर्चला हमेशा के लिए अपनी तपस्या में लीन हो गई और हनुमान जी ने अपनी शिक्षा समाप्त कर ली।
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इस तरह हनुमान जी भले ही शादी के बंधन में बंध गए हो लेकिन शारीरिक रूप से वे आज भी एक ब्रह्मचारी ही हैं।
पाराशर संहिता में तो लिखा गया है सूर्य देव ने स्वयं कहा था कि इस विवाह से हनुमान जी के ब्रह्मचर्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तथा यह विवाह केवल ब्रह्मांड की भलाई के लिए हुआ था।
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