Sliderउत्तर प्रदेशट्रेंडिंगन्यूज़बड़ी खबरमहाकुंभ 2025राज्य-शहर

Mahakumbh 2025: कितने प्रकार के होते हैं नागा साधु?

नागा साधुओं के गुस्से से तो हर कोई वाकिफ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागा साधु चार तरह के होते हैं। इन सभी की पहचान उनके स्वभाव से होती है। कुछ गुस्से वाले होते हैं तो कुछ बिल्कुल शांत स्वभाव के होते हैं। आइए जानते हैं इन चार तरह के नागा साधुओं के बारे में।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत हमेशा नागा साधुओं के स्नान से होती है। कुंभ के दौरान आपको हमेशा नागा साधु दिखाई देंगे। कुंभ खत्म होते ही नागा साधु वापस लौट जाते हैं। हालांकि, नागा साधु कहां जाते हैं, यह कोई नहीं जानता। लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये साधु तपस्या के लिए पहाड़ों और जंगलों में चले जाते हैं, जहां लोग उन्हें ढूंढ नहीं पाते। और वे वहां आराम से अपनी साधना कर सकते हैं। नागा साधु चार प्रकार के होते हैं।

प्रयाग में आयोजित कुंभ मेले में दीक्षा लेने वाले नागा साधुओं को राजेश्वर कहा जाता है, क्योंकि वे संन्यास के बाद राजयोग की कामना करते हैं। उज्जैन कुंभ मेले में दीक्षा लेने वाले साधुओं को खूनी नागा कहा जाता है। इनका स्वभाव काफी उग्र होता है। हरिद्वार में दीक्षा लेने वाले नागा साधुओं को बर्फानी कहा जाता है, ये शांत स्वभाव के होते हैं। नासिक कुंभ मेले में दीक्षा लेने वाले साधुओं को खिचड़ी नागा कहा जाता है। इनका कोई निश्चित स्वभाव नहीं होता।

पढ़े : हमास से ‘दोस्ती’ मंजूर नहीं! क्या डील से हिल रही है नेतन्याहू की गद्दी?

नागा साधु बनने के तीन चरण

नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी लंबी और कठिनाइयों से भरी होती है। साधकों को संप्रदाय में शामिल होने में करीब 6 साल का समय लगता है। नागा साधु बनने के लिए साधकों को तीन चरणों से गुजरना पड़ता है। जिसमें पहला महापुरुष, दूसरा अवधूत और तीसरा दिगंबर होता है। अंतिम प्रतिज्ञा लेने तक नागा साधु बनने वाले नए सदस्य केवल लंगोटी पहनते हैं। कुंभ मेले में अंतिम प्रतिज्ञा लेने के बाद वे लंगोटी त्याग देते हैं और आजीवन दिगंबर रहते हैं।

पढ़े ताजा अपडेटNewswatchindia.comHindi NewsToday Hindi News, Breaking

ज़मीन या पानी में दफ़नाना

ऐसा कहा जाता है कि नागा साधुओं का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। बल्कि, उनकी मृत्यु के बाद उन्हें दफनाया जाता है। उनकी चिता को आग नहीं लगाई जाती है क्योंकि ऐसा करना पाप माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नागा साधु पहले ही अपना जीवन समाप्त कर चुके होते हैं। वे पिंडदान करने के बाद ही नागा साधु बनते हैं, इसलिए उनके लिए पिंडदान और मुखाग्नि नहीं की जाती है। उन्हें भू या जल समाधि दी जाती है।

Latest ALSO New Update Uttar Pradesh Newsउत्तराखंड की ताज़ा ख़बर

5 लाख नागा साधु

हालांकि, समाधि देने से पहले उन्हें स्नान कराया जाता है और उसके बाद मंत्रोच्चार करके उन्हें समाधि दी जाती है। जब नागा साधु की मृत्यु होती है तो उसके शरीर पर राख लगाई जाती है और भगवा रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं। समाधि देने के बाद उस स्थान पर सनातन निशान बनाया जाता है ताकि लोग उस स्थान को गंदा न कर सकें। उन्हें पूरे सम्मान के साथ विदा किया जाता है। नागा साधुओं को धर्म का रक्षक भी कहा जाता है। नागा साधुओं के 13 अखाड़ों में सबसे बड़ा अखाड़ा जूना अखाड़ा है, जिसमें करीब 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर संन्यासी हैं।

Political News: Find Today’s Latest News on PoliticsPolitical Breaking News, राजनीति समाचार, राजनीति की खबरे from India and around the World on News watch india.

Follow Usहिंदी समाचारBreaking Hindi News Live  में सबसे पहले पढ़ें News watch indiaपर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट न्यूज वॉच इंडिया न्यूज़ लाइवपर पढ़ें बॉलीवुडलाइफस्टाइल, न्यूज़ और Latest soprt Hindi News, से जुड़ी तमाम ख़बरें  हमारा App डाउनलोड करें। YOUTUBE National। WhatsApp Channels FACEBOOK । INSTAGRAM। WhatsApp Channel। TwitterNEWSWATCHINDIA 24×7 Live TV

Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button