Recycled paper for passports: 5 साल की रूही मोहज्जब ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, पारंपरिक पासपोर्ट पेपर की जगह रिसाइकिल पेपर अपनाने का आग्रह
Recycled paper for passports: महज 5 साल की रूही मोहज्जब ने भारत से इस मुद्दे पर दुनिया का नेतृत्व करने का आग्रह किया है और सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एक क्रांतिकारी अनुरोध किया है। उन्होंने पीएम मोदी से पारंपरिक पासपोर्ट पेपर के स्थान पर रिसाइकिल पेपर का उपयोग करने की अपील की है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके और वनों की कटाई को रोका जा सके।
Recycled paper for passports: पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए जहां विश्वभर में अनेक पहल हो रही हैं, वहीं महज 5 साल की एक बच्ची ने इस दिशा में अनोखी मुहिम छेड़ दी है। केरल की रूही मोहज्जब ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक भावनात्मक पत्र लिखते हुए अनुरोध किया है कि देश में पारंपरिक पासपोर्ट पेपर के बजाय रिसाइकिल पेपर का उपयोग किया जाए।
रूही ने अपने पत्र में पर्यावरण की सुरक्षा और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए विश्वभर के 195 राष्ट्राध्यक्षों को संबोधित किया है। उन्होंने लिखा कि हर साल लाखों पासपोर्ट बनाए जाते हैं, जिनमें भारी मात्रा में कागज़ की खपत होती है, जिससे हजारों पेड़ काटे जाते हैं। यदि भारत रिसाइकिल पेपर से बने पासपोर्ट जारी करने वाला पहला देश बनता है, तो यह पूरी दुनिया के लिए एक नई मिसाल कायम करेगा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
रूही ने कोझिकोड प्रेस क्लब में रखा अपना विचार
7 मार्च को केरल के कोझिकोड प्रेस क्लब में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में रूही मोहज्जब की इस पहल को सार्वजनिक किया गया। इस दौरान युवा पर्यावरणविद् रूही ने वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले कागज़ की खपत के खतरनाक प्रभावों के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे पासपोर्ट जैसी एक आम वस्तु, जो हर साल करोड़ों की संख्या में जारी की जाती है, स्थिरता का प्रतीक बन सकती है।
रूही ने कार्यक्रम के दौरान कहा, “हमें यह समझना होगा कि हर छोटे बदलाव का बड़ा असर होता है। अगर हम पारंपरिक कागज़ की जगह रिसाइकिल पेपर का उपयोग करें, तो हम हजारों पेड़ों को बचा सकते हैं। यह हमारी धरती के लिए बहुत जरूरी है।”
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पैसों की बचत और पर्यावरण संरक्षण, दोनों में फायदेमंद
रूही का यह प्रस्ताव न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है बल्कि इससे सरकारी खर्चों में भी भारी बचत हो सकती है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, रिसाइकिल पेपर के इस्तेमाल से पासपोर्ट की उत्पादन लागत में कमी आ सकती है और इससे सरकार के संसाधनों का भी बेहतर प्रबंधन हो सकता है।
आंकड़ों में छिपा बड़ा संदेश
रूही की इस मुहिम के पीछे कुछ चौंकाने वाले आंकड़े हैं:
2023 में भारत ने 13 मिलियन (1.3 करोड़) से अधिक पासपोर्ट जारी किए, जिसमें लगभग 468 मीट्रिक टन कागज़ की खपत हुई।
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वैश्विक स्तर पर, हर साल लगभग 100 मिलियन (10 करोड़) पासपोर्ट जारी किए जाते हैं, जिसके लिए लगभग 3,600 मीट्रिक टन कागज़ की जरूरत होती है।
इस मात्रा में कागज़ के लिए हर साल 86,400 से अधिक पेड़ काटे जाते हैं।
यदि दुनियाभर के देश पासपोर्ट निर्माण में रिसाइकिल पेपर का उपयोग शुरू करें, तो हजारों पेड़ों को बचाया जा सकता है और यह पर्यावरणीय नुकसान को रोकने में मदद करेगा।
भारत बन सकता है पर्यावरणीय नेतृत्वकर्ता
रूही का सपना है कि भारत जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक वैश्विक अगुवा बने। उनका मानना है कि अगर भारत रिसाइकिल पेपर से बने पासपोर्ट जारी करने वाला पहला देश बनता है, तो अन्य देश भी इस पहल को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। यह कदम न केवल हरित पहल को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को पर्यावरणीय नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करेगा।
रूही का अभियान केवल कागज़ बचाने तक सीमित नहीं
यह पहल केवल पासपोर्ट निर्माण में बदलाव करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उनका कहना है कि अगर हम अपनी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करें और अधिक से अधिक रिसाइकिल सामग्री का उपयोग करें, तो हम धरती पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
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विश्व नेताओं तक पहुंचा रूही का संदेश
रूही का यह पत्र न केवल प्रधानमंत्री मोदी, बल्कि संयुक्त राष्ट्र सहित विश्वभर के 195 देशों के राष्ट्राध्यक्षों तक भी भेजा गया है। उनका उद्देश्य है कि यह पहल वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बने और दुनिया के अन्य देश भी रिसाइकिल पेपर के उपयोग को लेकर विचार करें।
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क्या सरकार उठाएगी यह कदम?
अब सवाल यह है कि क्या भारत सरकार रूही की इस अपील पर ध्यान देगी? प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत पहले ही “स्वच्छ भारत अभियान” और “हरित ऊर्जा” जैसे कई महत्वपूर्ण पर्यावरणीय कार्यक्रम चला रहा है। ऐसे में अगर सरकार इस दिशा में आगे बढ़ती है, तो यह कदम वैश्विक स्तर पर एक बड़ी मिसाल बनेगा।
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