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Crypto currency News: अमेरिका की क्रिप्टो नीति से प्रभावित नहीं होगा भारत, केंद्र सरकार सतर्क

Crypto currency:अमेरिका द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को विदेशी मुद्रा रिजर्व में शामिल करने की संभावनाएं तलाशने से भारतीय क्रिप्टो उद्यमी उत्साहित हैं, लेकिन भारत की नीति इस पर प्रभावित नहीं होगी।

Crypto currency News Update: अमेरिका की ओर से क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने और इसे विदेशी मुद्रा रिजर्व में शामिल करने की संभावनाओं की जांच की जा रही है। इससे दुनियाभर में क्रिप्टो निवेशकों और उद्यमियों के बीच उत्साह बढ़ गया है, लेकिन भारत इस पर सतर्कता बरत रहा है। केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का रुख अब भी क्रिप्टोकरेंसी के प्रति नकारात्मक बना हुआ है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को क्रिप्टोकरेंसी उद्यमियों से मुलाकात की और दोहराया कि वह अमेरिका को क्रिप्टो दुनिया का सरताज बनाएंगे। उन्होंने इस डिजिटल मुद्रा को देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका देने और अमेरिकी विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल करने की संभावनाओं पर चर्चा की। हालांकि, भारत सरकार और आरबीआई इस पर कोई जल्दबाजी में निर्णय लेने के मूड में नहीं हैं।

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क्रिप्टोकरेंसी पर भारत सरकार की सतर्कता

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार की स्थिति पहले की तरह ही बनी हुई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारत सरकार और आरबीआई की क्रिप्टोकरेंसी के प्रति जो चिंताएं थीं, वे अब भी बरकरार हैं। उन्होंने कहा, “हम क्रिप्टोकरेंसी को किसी भी रूप में मान्यता नहीं दे सकते, क्योंकि इसे जारी करने और नियंत्रित करने वाला कोई संगठन नहीं है। इसलिए, इसे न तो करेंसी माना जा सकता है और न ही वित्तीय परिसंपत्ति।”

शेयर बाजार, बॉन्ड और केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी की जाने वाली मुद्राओं को वित्तीय संपत्ति इसलिए माना जाता है क्योंकि उनके पीछे कोई न कोई प्राधिकरण होता है। कागजी मुद्रा भी आरबीआई की जिम्मेदारी होती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी का कोई जिम्मेदार नहीं होता।

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भारत सरकार का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी फैसले से पहले इसकी पूरी आर्थिक और वित्तीय स्थिरता का अध्ययन किया जाना चाहिए। इसीलिए आरबीआई द्वारा गठित एक कार्यसमूह इस पर रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसकी जल्द ही घोषणा हो सकती है।

आरबीआई का सख्त रुख और क्रिप्टोकरेंसी के संभावित खतरे

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हमेशा से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। पूर्व गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने अक्टूबर 2024 में पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में एक व्याख्यान के दौरान कहा था कि, “क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय प्रणाली में किसी भी प्रकार का प्रभुत्व नहीं मिलना चाहिए। यह बैंकों और मौद्रिक व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा है। इससे केंद्रीय बैंकों का मुद्रा आपूर्ति पर नियंत्रण समाप्त हो सकता है।”

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2019 में, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की अध्यक्षता में गठित एक अंतर-मंत्रालीय समिति ने भी क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया था। समिति का मानना था कि यह मुद्रा वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा दे सकती है और इसके जरिए काले धन को सफेद करने, आतंकवाद को फंडिंग देने और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है।

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क्रिप्टोकरेंसी पर मौजूदा नीति

भारत सरकार ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया है, लेकिन इसके लेनदेन को नियंत्रित किया गया है। इनकम टैक्स एक्ट के तहत, क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर 30% का टैक्स लगाया गया है।

भारत में बिटकॉइन, डॉजकॉइन, एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग हो रही है, लेकिन यह पूरी तरह निवेशकों के जोखिम पर आधारित है। आरबीआई ने पहले भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपनी चेतावनी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि इसमें अत्यधिक अस्थिरता है और निवेशकों को भारी नुकसान हो सकता है।

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अमेरिका की क्रिप्टो नीति और भारत का रुख

क्रिप्टोकरेंसी को अमेरिका की ओर से बढ़ावा देने की नीति पर भारत सरकार पैनी नजर बनाए हुए है। हालांकि, भारत सरकार इस बात को लेकर स्पष्ट है कि वह आरबीआई के सुझावों के आधार पर ही कोई कदम उठाएगी, न कि अमेरिका की नीति से प्रभावित होकर।

अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर किए जा रहे प्रयोगों पर भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि इस डिजिटल करेंसी की प्रकृति को देखते हुए इसे विदेशी मुद्रा भंडार में समायोजित करना कठिन होगा।

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क्या क्रिप्टोकरेंसी को मिलेगा आधिकारिक दर्जा?

विशेषज्ञों का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को भारत में आधिकारिक दर्जा मिलने की संभावना फिलहाल कम है। इसके तीन प्रमुख कारण हैं:

  1. कोई नियामक संस्था नहीं: क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने वाली कोई केंद्रीय इकाई नहीं है, जिससे इसमें धोखाधड़ी और अनियमितताओं का खतरा बढ़ जाता है।
  2. अस्थिरता: क्रिप्टोकरेंसी के दामों में भारी उतार-चढ़ाव होता है, जिससे यह एक विश्वसनीय मुद्रा नहीं बन सकती।
  3. राष्ट्रीय सुरक्षा और मनी लॉन्ड्रिंग का खतरा: सरकार का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में किया जा सकता है, जिससे देश की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है।

हालांकि, भारत सरकार और आरबीआई दोनों ही डिजिटल करेंसी के भविष्य को लेकर सतर्क हैं। अगर वैश्विक स्तर पर इसे व्यापक मान्यता मिलती है और इसकी सुरक्षा व स्थिरता को लेकर मजबूत ढांचा तैयार किया जाता है, तो हो सकता है कि भविष्य में भारत भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई नया रुख अपनाए।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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