High Court Roster Change: अबू सलेम की याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश को बताया अप्रासंगिक, रोस्टर परिवर्तन के चलते फैसला बेअसर
हाईकोर्ट ने अबू सलेम की याचिका पर दिए गए अपने पूर्व आदेश को रोस्टर परिवर्तन के कारण अप्रासंगिक घोषित कर दिया।अबू सलेम ने पुर्तगाल प्रत्यर्पण समझौते के आधार पर सजा में छूट की मांग की थी, लेकिन अब मामला नई पीठ द्वारा पुनः सुना जाएगा।अदालत ने स्पष्ट किया कि पिछले प्रक्रियात्मक आदेश अब लागू नहीं होंगे, और मामले की दोबारा सुनवाई होगी।
High Court Roster Change: मुंबई हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अबू सलेम की एक याचिका पर दिए गए अपने आदेश को अप्रासंगिक (Redundant) घोषित कर दिया है। यह फैसला अदालत में रोस्टर परिवर्तन के कारण आया, जिससे यह आदेश कानूनी रूप से बेअसर हो गया। अबू सलेम, जो 1993 मुंबई बम धमाकों का दोषी है, ने अपनी याचिका में विशेष अनुरोध किए थे, लेकिन नए बेंच के गठन के कारण अदालत ने अपने पहले के आदेश को निरर्थक करार दिया।
क्या है मामला?
अबू सलेम, जो फिलहाल नवी मुंबई की तलोजा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है, ने भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल को दिए गए प्रत्यर्पण समझौते के तहत अपनी सजा को कम करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अबू सलेम का दावा था कि उसके प्रत्यर्पण के दौरान भारत सरकार ने पुर्तगाल से यह वादा किया था कि उसे अधिकतम 25 साल से अधिक की सजा नहीं दी जाएगी, लेकिन उसे आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।
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इस याचिका पर सुनवाई पहले एक विशेष पीठ (बेंच) द्वारा की जा रही थी, जिसने कुछ आदेश भी जारी किए थे। लेकिन नए रोस्टर परिवर्तन के कारण अब यह मामला एक नई पीठ को सौंप दिया गया, जिससे पूर्व में दिए गए आदेश स्वतः ही अप्रासंगिक हो गए।
हाईकोर्ट का निर्णय
न्यायालय ने कहा कि जब किसी मामले की सुनवाई कर रही पीठ में बदलाव हो जाता है, तो पूर्व में दिए गए कुछ आदेश स्वतः ही निरर्थक हो जाते हैं, खासकर जब वे प्रक्रियात्मक आदेश होते हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अबू सलेम की याचिका पर अब नई बेंच नए सिरे से सुनवाई करेगी, और पहले के आदेशों को लागू नहीं माना जाएगा।
सरकार का पक्ष
भारत सरकार के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि अबू सलेम को दी गई सजा पूरी तरह से कानूनी है और भारत ने पुर्तगाल से कोई ऐसा वादा नहीं किया था, जो न्यायालय के फैसले को प्रभावित कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए अबू सलेम को कोई विशेष छूट नहीं दी जा सकती।
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अबू सलेम का दावा और उसकी दलीलें
अबू सलेम के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि प्रत्यर्पण संधि के उल्लंघन का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने पुर्तगाल की अदालत द्वारा पहले ही उठाए गए सवालों का हवाला देते हुए कहा कि भारत सरकार को अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालन करना चाहिए।
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रोस्टर परिवर्तन का प्रभाव
अदालतों में रोस्टर परिवर्तन का मतलब होता है कि न्यायाधीशों के कार्यभार को पुनः निर्धारित किया जाता है, जिससे कुछ मामलों की सुनवाई करने वाली पीठें बदल जाती हैं। यह प्रक्रिया नियमित अंतराल पर होती है, लेकिन कुछ मामलों में इससे कानूनी आदेशों की स्थिति भी प्रभावित हो सकती है।
अब आगे क्या होगा?
अबू सलेम की याचिका पर नई पीठ द्वारा पुनः सुनवाई की जाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नई पीठ पिछले आदेशों को ध्यान में रखते हुए कोई नया रुख अपनाएगी या फिर सरकार के पक्ष को मजबूत मानते हुए याचिका को खारिज कर देगी।
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अबू सलेम की याचिका पर हाईकोर्ट का यह फैसला कानूनी प्रक्रियाओं में रोस्टर परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाता है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि अबू सलेम को राहत मिल गई है। अब नई बेंच मामले की पुनः सुनवाई करेगी और उसके प्रत्यर्पण से जुड़े दावों पर कानूनी रूप से फैसला करेगी।
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