Afganistan Earthquake: अफगानिस्तान में तड़के महसूस किए गए तेज भूकंप के झटके, जान-माल का नुकसान नहीं
अफगानिस्तान में बुधवार तड़के 5.9 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसका केंद्र हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला में था। झटकों से दहशत फैली, लेकिन अब तक किसी जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। सरकारी एजेंसियां नुकसान के आकलन में जुटी हैं, जबकि विशेषज्ञों ने इलाके को संवेदनशील बताया है।
Afganistan Earthquake: अफगानिस्तान में बुधवार तड़के धरती एक बार फिर कांप उठी। सुबह-सुबह आए इस तेज भूकंप ने लोगों में अफरा-तफरी मचा दी। हालांकि, अब तक किसी तरह की जनहानि की कोई पुष्टि नहीं हुई है। भूकंप के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन इकाइयों को अलर्ट पर रखा गया है।
रिक्टर पैमाने पर 5.9 की तीव्रता, हिंदू कुश रहा केंद्र
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, यह भूकंप सुबह 4:43 बजे भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार दर्ज किया गया। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.9 मापी गई। भूकंप का केंद्र हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला में स्थित था, जो अफगानिस्तान का भूगर्भीय रूप से सबसे सक्रिय क्षेत्र माना जाता है। यह झटका ज़मीन से लगभग 75 किलोमीटर की गहराई में उत्पन्न हुआ।
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सरकार द्वारा किए जा रहे नुकसान के मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू
भूकंप के बाद अफगानिस्तान सरकार की एजेंसियां हरकत में आ गई हैं। प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान के आकलन के लिए टीमें भेजी गई हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार अभी तक किसी तरह की गंभीर क्षति की खबर नहीं आई है, लेकिन सुदूर इलाकों से आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।
पहले भी महसूस किए गए हैं झटके
यह कोई पहली बार नहीं है जब अफगानिस्तान ने भूकंप का अनुभव किया हो। इसी साल 16 जनवरी को भी एक मध्यम तीव्रताका भूकंप दर्ज किया गया था, जिसकी तीव्रता 4.2 थी। हालांकि, उस समय भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ था।
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अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति इसे बनाती है संवेदनशील
विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान एक भूकंप-संवेदनशील क्षेत्र है क्योंकि यह भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के संधिस्थल पर स्थित है। इन प्लेटों की आपसी टकराहट के कारण यहां बार-बार भूगर्भीय हलचलें होती रहती हैं। हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला इन झटकों का केंद्र बिंदु बनती रही है।
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UNOCHA ने जताई चिंता, बताया भूकंप से पीड़ित समुदायों की हालत नाजुक
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) ने भी अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। संगठन का कहना है कि देश पहले से ही दशकों से युद्ध, गरीबी और बुनियादी संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाएं कमजोर समुदायों को और अधिक संकट में डाल देती हैं।
भूकंप से निपटने की तैयारी में कमी
विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान में आपदा प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था अभी भी पर्याप्त नहीं है। वहां की अधिकतर आबादी कच्चे मकानों में रहती है, जो भूकंप के दौरान सबसे अधिक खतरे में होते हैं। राहत और बचाव कार्यों को बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में आने वाले झटकों से जान-माल की क्षति को कम किया जा सके।
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सावधानी और जागरूकता की जरूरत
बार-बार भूकंप की घटनाएं यह संकेत देती हैं कि देश को मजबूत आधारभूत संरचना, बेहतर आपातकालीन सेवाएं और जन-जागरूकता कार्यक्रमों की जरूरत है। इससे न केवल नुकसान को कम किया जा सकता है, बल्कि आपदाओं के समय लोगों की जान भी बचाई जा सकती है।
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