Pope Francis: विश्व को अलविदा कह गए करुणा, सादगी और मानवता की अमिट मिसाल
21 अप्रैल 2025 को पोप फ्रांसिस का निधन, न केवल कैथोलिक चर्च के लिए, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन शांति, समानता और मानवता के मूल्यों का प्रतीक था। पोप फ्रांसिस, जिनका जन्म अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था, ने 2013 में पोप के रूप में कार्यभार संभाला और अपने कार्यकाल में चर्च की छवि को नया दिशा दी।
Pope Francis: 21 अप्रैल 2025 को पोप फ्रांसिस का निधन, न केवल कैथोलिक चर्च के लिए, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन शांति, समानता और मानवता के मूल्यों का प्रतीक था। पोप फ्रांसिस, जिनका जन्म अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था, ने 2013 में पोप के रूप में कार्यभार संभाला और अपने कार्यकाल में चर्च की छवि को नया दिशा दी।
जीवन की शुरुआत और पादरी बनने की यात्रा
पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को हुआ था। उन्होंने 1958 में जीसुइट समाज से जुड़ने का निर्णय लिया और 1969 में पादरी के रूप में अभिषिक्त हुए। 1973 से 1979 तक अर्जेंटीना में जीसुइट समाज के प्रांतीय प्रमुख के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए कई पहल की। 1998 में ब्यूनस आयर्स के महाधर्माध्यक्ष नियुक्त होने के बाद, उन्होंने चर्च की सामाजिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता दी।
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पोप बनने के बाद की प्रमुख पहलें
पोप बनने के बाद, फ्रांसिस ने चर्च की पारंपरिक छवि को चुनौती दी। उन्होंने वेटिकन के पारंपरिक महल में रहने के बजाय, सादा जीवन जीने के लिए डोमस सैंटे मार्था में निवास किया। उनकी यह सादगी और करुणा ने उन्हें विश्वभर में सम्मान दिलाया।
सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में कदम
पोप फ्रांसिस ने हमेशा गरीबों, शरणार्थियों और उत्पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा की। उन्होंने चर्च को “युद्ध के बाद के अस्पताल” के रूप में देखा, जहाँ घावों को भरने और दिलों को गर्म करने की आवश्यकता थी। उन्होंने समलैंगिक नागरिक संघों के समर्थन में भी आवाज उठाई और चर्च को अधिक समावेशी बनाने की दिशा में कई कदम उठाए।
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वैश्विक कूटनीति और धार्मिक संवाद
पोप फ्रांसिस ने वैश्विक कूटनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अमेरिका और क्यूबा के बीच पूर्ण राजनयिक संबंधों की बहाली में मध्यस्थता की और चीन के साथ बिशपों की नियुक्ति पर समझौता किया। 2022 में, उन्होंने कनाडा में आदिवासी समुदायों के साथ चर्च द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।
स्वास्थ्य समस्याएँ और निधन
हाल के महीनों में, पोप फ्रांसिस सार्वजनिक समारोहों में कम दिखाई देने लगे थे और अधिकांश कार्यों को वेटिकन के वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से संचालित कर रहे थे। अंततः 20 अप्रैल 2025 को वेटिकन ने उनके निधन की पुष्टि की, जिससे दुनियाभर में शोक की लहर दौड़ गई।
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अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि
उनकी अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार वेटिकन सिटी में पूरे राजकीय और धार्मिक सम्मान के साथ आयोजित किया गया, जिसमें दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्षों और हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। धार्मिक संगठनों ने विशेष प्रार्थनाएं आयोजित कीं और उन्हें एक ऐसा व्यक्ति बताया जो शांति, एकता और प्रेम का सच्चा प्रतीक था।
पोप फ्रांसिस का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने कार्यों और विचारों से यह सिद्ध किया कि सच्ची शक्ति सेवा और करुणा में निहित है। उनकी शिक्षाएँ और पहलें आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेंगी। उनका योगदान न केवल चर्च के लिए, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए अमूल्य रहेगा।
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