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MAUNI AMAVASYA SHAHI SNAN: हरिद्वार में मौनी अमावस्या पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, गंगा स्नान और दान-पुण्य से गूंजी धर्मनगरी

MAUNI AMAVASYA SHAHI SNAN: हरिद्वार में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मान्यता है कि इससे जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। गंगा तटों पर भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई और दान-पुण्य कर सुख-समृद्धि की कामना की। शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान और तर्पण का विशेष महत्व होता है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा प्राप्त होती है।

MAUNI AMAVASYA SHAHI SNAN: माघ मास की पावन मौनी अमावस्या के अवसर पर हरिद्वार में आस्था का विशाल जनसागर उमड़ पड़ा। देशभर से हजारों श्रद्धालु गंगा तटों पर पहुंचे और पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित किया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हरकी पौड़ी समेत अन्य प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और विधिपूर्वक दान-पुण्य कर सुख-समृद्धि की कामना की।

मौनी अमावस्या का महत्व और धार्मिक मान्यता

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या का दिन विशेष पुण्यदायी माना जाता है। यह माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या होती है और इस दिन गंगा स्नान करने से कई जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन मौन रहकर स्नान, जप और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल, गुड़, कंबल, ऊनी वस्त्र और अन्नदान का विशेष महत्व बताया गया है।

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ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार, प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान पड़ रही इस मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दौरान बना दुर्लभ संयोग स्नान, जप और दान को कई गुना प्रभावशाली बना देता है। उन्होंने बताया कि इस दिन जो भी श्रद्धालु मौन रहकर गंगा स्नान करते हैं और पितरों का तर्पण व दान करते हैं, उन्हें पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और उनके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।

हरिद्वार में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, गंगा घाटों पर भक्ति का माहौल

मौनी अमावस्या के स्नान के लिए श्रद्धालु देर रात से ही हरिद्वार पहुंचने लगे थे। तड़के सुबह से ही हरकी पौड़ी, सप्तऋषि घाट, गऊ घाट, कुशावर्त घाट और अन्य गंगा तटों पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। हरिद्वार में इस विशेष दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल देखते ही बन रहा था। श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद मंदिरों में पूजा-अर्चना कर रहे थे और अपने कुल पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण कर रहे थे।

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दान-पुण्य और तर्पण का विशेष महत्व

मौनी अमावस्या पर श्रद्धालु केवल गंगा स्नान ही नहीं, बल्कि दान-पुण्य में भी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन विशेष रूप से ब्राह्मणों और पुरोहितों को तिल मिश्रित मिठाई, ऊनी वस्त्र, कंबल, चावल और अन्य खाद्य सामग्रियों का दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किए गए दान और पुण्य का फल कई गुना बढ़ जाता है और व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

MAUNI AMAVASYA SHAHI SNAN: A wave of devotion surged on Mauni Amavasya in Haridwar, the holy city resonated with Ganga bath and charity

इस मौके पर कई श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करता है, उसके पूर्वजों को सात पीढ़ियों तक पुण्य का लाभ मिलता है और वे भगवान नारायण में समाहित हो जाते हैं।

प्रशासन ने सुरक्षा के किए पुख्ता इंतजाम

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी। हरकी पौड़ी और अन्य प्रमुख घाटों पर पुलिस बल तैनात किया गया था, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। गंगा घाटों पर मेडिकल टीमें भी मौजूद थीं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल सहायता प्रदान की जा सके।

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भक्ति और आस्था का संगम बना हरिद्वार

मौनी अमावस्या के अवसर पर हरिद्वार पूरी तरह भक्तिमय हो गया। गंगा किनारे श्रद्धालु मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों में लीन दिखे। इस विशेष दिन पर कई साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने अपने तप और साधना को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए गंगा तट पर ही रात्रि जागरण किया।

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माघ मास की इस शुभ तिथि पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब यह दर्शाता है कि हिंदू धर्म में आस्था और परंपराओं का कितना गहरा प्रभाव है। भक्तों का विश्वास है कि गंगा स्नान और दान-पुण्य के माध्यम से वे अपने जीवन के सभी दुखों और बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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