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All Party Delegation Meeting: सलाह भी, हिदायत भी… दिल्ली भाजपा विधायकों के साथ तीन घंटे चली पीएम की क्लास

दिल्ली के भाजपा विधायकों और सांसदों के साथ तीन घंटे चली बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से जुड़ने, संगठन को मजबूत करने और सरकारी अधिकारियों से मधुर संबंध बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने विधायकों को अधिकारियों से अनावश्यक विवाद से बचने और ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामलों में हस्तक्षेप न करने की सलाह दी।

All Party Delegation Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार शाम दिल्ली के सभी बीजेपी विधायकों और सांसदों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री के साथ इस बैठक में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और बीएल संतोष मौजूद रहे। मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे 3 घंटे तक विधायकों की क्लास ली। प्रधानमंत्री ने सभी विधायकों से बेहद सहज तरीके से बात की। 3 घंटे की बातचीत के दौरान उन्होंने कुछ विधायकों से कुछ सवाल भी पूछे, जो उनकी बातचीत पर आधारित थे। उन्होंने करीब 15 विधायकों से कुछ सवाल पूछे।

इस बैठक में प्रधानमंत्री ने संगठन, सरकार और विधायकों की अहमियत को समझने की कोशिश की। प्रधानमंत्री ने विधायकों को साफ संदेश दिया कि वे लोगों के बीच रहें, अपनी छवि सुधारें और खास तौर पर संगठन के लिए काम करें। इन सब बातों को समझाने के लिए प्रधानमंत्री ने अपने जीवन के अलग-अलग प्रसंगों का जिक्र किया।

बेवजह अफसरों से न उलझें

प्रधानमंत्री ने विधायकों को साफ संदेश दिया कि वे अपने क्षेत्र में सरकारी अफसरों से बेवजह न उलझें। उन्होंने साफ कहा कि अधिकारी एक ऐसा वर्ग है, जिनके साथ आपको मिलकर काम करने की जरूरत है। आप जितना अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे, आपको उतना ही फायदा होगा। उन्होंने साफ कहा कि आप अधिकारियों को धमकाने या उनसे बेवजह झगड़ा करने से बचें। प्रधानमंत्री ने साफ किया कि अधिकारियों को सस्पेंड करने और धमकाने से कुछ हासिल नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने विधायकों को ट्रांसफर पोस्टिंग के काम से खुद को दूर रखने की भी हिदायत दी, यह ऐसा मुद्दा है, जिसमें बेवजह उलझनें पैदा होती रहती हैं।

पढ़े : दुनिया भर में पाकिस्तान का झूठ उजागर करने वाले सांसदों से मिले पीएम मोदी, क्यों असदुद्दीन ओवैसी नहीं हुए शामिल?

अपनी छवि निखारें

प्रधानमंत्री ने विधायकों और सांसदों से कहा कि वे कोई एक मुद्दा उठाएं और उसे साथ लेकर चलें तथा उस मुद्दे के आधार पर जनता के बीच अपनी छवि सुधारने का प्रयास करें। उन्होंने उदाहरण के तौर पर केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वे रविवार को साइकिल से जाते हैं और साइकिल चलाने को उन्होंने लक्ष्य बना लिया है तथा इससे जुड़े अलग-अलग कार्यक्रम करते रहते हैं। एक तरह से उन्होंने साइकिल चलाने के जरिए अपनी पहचान बनाई है। जिसका पर्यावरण के साथ-साथ आपके शरीर पर भी अच्छा असर पड़ता है और आप स्वस्थ भी रहते हैं। यानी डॉ. मनसुख मंडाविया ने साइकिल चलाने को लेकर ऐसा अभियान चलाया है कि उन्हें एक अलग पहचान मिल गई है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से अपने क्षेत्र का कोई एक मुद्दा उठाएं और उस मुद्दे को आधार बनाकर अपनी एक अलग पहचान बनाएं।

संगठन को बेहतर बनाएं

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप ऐसे कई कार्यक्रम आयोजित करें जिससे आपका संगठन जिला स्तर पर या विधानसभा स्तर पर मजबूत हो। संगठन तभी मजबूत होगा जब वो वहां से मजबूत होगा। उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि ऐसे कई कार्य हैं जो विधायकों को अपने संगठन से जुड़े लोगों के साथ मिलकर करने चाहिए। मतलब उन्होंने कहा कि अगर हम टिफिन कार्यक्रम की बात करें तो अगर आप महीने में एक बार अपने मंडल में टिफिन कार्यक्रम आयोजित करते हैं और अलग-अलग मंडल अध्यक्षों के साथ टिफिन लेकर बैठते हैं तो अगर आप महीने में चार मंडल अध्यक्षों के साथ भी बैठते हैं तो आपका पूरा मंडल एक तरह से उस कार्यक्रम का हिस्सा बन जाता है और आपकी व्यक्तिगत छवि उभर कर आती है। इससे आप जान पाएंगे कि संगठन की जमीनी स्तर की समस्याएं क्या हैं और आपके संगठन के लोग भी जान पाएंगे कि सरकार में क्या चल रहा है।

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सख्त रुख अपनाने से बचें

पीएम मोदी ने विधायकों को साफ संदेश दिया कि वे जनता के बीच ऐसी छवि बनाएं कि जनता उन्हें सुलभ नेता के रूप में जाने। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी समय और किसी भी मुद्दे पर ऐसा रुख न अपनाएं जिससे आपकी छवि को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचे। उन्होंने कहा कि सभी के लिए सुलभ रहने की कोशिश करें और जनता के बीच अपनी अलग पहचान बनाएं।

लोगों की बात जरूर सुनें

प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार मुझे रात को 3:20 पर फोन आया। जब मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से व्यक्ति ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि कोई बहुत बड़ा रेल हादसा हुआ है और तेज आवाजें आ रही हैं। मैंने तुरंत अपने अधिकारियों से कहा कि पता लगाएं कि कहीं ऐसा तो नहीं हुआ है, तो अधिकारियों ने मुझे बताया कि फलां जगह रेल हादसा हुआ है। मैंने उसी समय अधिकारियों को बचाव कार्य और तमाम तरह की चीजें करने के निर्देश देने शुरू कर दिए और सुबह होते-होते मैं मौके पर पहुंच भी गया। दरअसल, प्रधानमंत्री इस उदाहरण से यह बताना चाहते थे कि किसी भी कॉल को नजरअंदाज करना जरूरी नहीं है, खासकर तब जब कॉल किसी अजीब समय पर की जा रही हो।

फोन पर अनावश्यक बातचीत से बचें

विधायकों से बात करते हुए पीएम मोदी ने उन्हें बेवजह या जरूरत से ज्यादा फोन पर बात न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कई बार फोन पर बात करते समय कई ऐसी बातें हो जाती हैं, जिसका उन्हें अंदाजा भी नहीं होता। उन्होंने साफ कहा कि फोन पर बेकार की बातें करने से बचना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी हिदायत दी कि अगर आपका कार्यकर्ता या आपका कोर वोटर आपको फोन करके कुछ बता रहा है तो आप उसकी बात जरूर सुनें। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अगर किसी कारणवश उनका कॉल मिस हो जाता है तो आप ऐसे लोगों को कॉल बैक करें और उनकी बात सुनें।

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हम 27 साल तक दिल्ली की सत्ता से बाहर क्यों रहे?

बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने इस ओर इशारा करते हुए पूछा कि हमें इस बात पर भी आत्मचिंतन करना चाहिए कि हम 27 साल तक दिल्ली की सत्ता से बाहर क्यों रहे! इसके पीछे के कारणों को जानना चाहिए और उन कारणों के आधार पर आगे की रणनीति बनानी चाहिए ताकि लोगों के बीच हमारी राजनीतिक पैठ बन सके। उन्होंने सामूहिक नेतृत्व शब्द पर भी अधिक ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है ताकि सरकार और संगठन अच्छे से काम कर सकें।

आपको कैसा लगा जब आपको पता चला…

प्रधानमंत्री सभी विधायकों से अभिभावक की तरह बात कर रहे थे। पूरे 3 घंटे की बातचीत के दौरान वे सभी से बहुत ही निजी तरीके से बात कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने विधायकों से यह भी पूछा कि जब आपको पता चला कि आपको प्रधानमंत्री से मिलना है तो आपको कैसा लगा। क्या आपने अपने परिवार के सदस्यों से इस बारे में चर्चा की कि आज मैं प्रधानमंत्री से मिलने जा रहा हूं या मुझे प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिल रहा है! आपके मन में किस तरह की बातें आईं? ये सभी तरह की बातें बहुत ही निजी थीं और प्रधानमंत्री ने विधायकों से मुलाकात की और उनसे बहुत ही सहज तरीके से बात की।

सोशल मीडिया पर सक्रिय रहें

प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि उनके एक मित्र सांसद थे। जब भी वो अपने क्षेत्र से बाहर होते थे तो एक रिकॉर्डेड मैसेज छोड़ जाते थे कि मैं अभी बाहर हूं, जो भी कहना है मुझे बताइए। जब ​​मैं वापस आऊंगा तो आपकी समस्या का समाधान करूंगा। इसके बाद जब अगला चुनाव हुआ तो प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा मित्र चुनाव हार गया। अब जब मैंने उनसे पूछा कि वो चुनाव कैसे हार गए तो उन्होंने कहा कि जनता को लगा कि मैंने जो रिकॉर्डेड मैसेज छोड़ा था वो कोई रिकॉर्डेड मैसेज नहीं था बल्कि मैं अंदर से बोल रहा था और मैं किसी से मिला नहीं था। दरअसल प्रधानमंत्री ऐसे उदाहरण के जरिए ये समझना चाहते थे कि आपको कैसे जनता के बीच रहना है और उनसे मिलते रहना है।

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Written By| Chanchal Gole| National Desk

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