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Lawyers Protest: ऑनलाइन रजिस्ट्री के खिलाफ अधिवक्ताओं का प्रदर्शन, देहरादून में सचिवालय घेराव की कोशिश, पूरे प्रदेश में ठप रहा न्यायिक कार्य

उत्तराखंड में वकीलों ने ऑनलाइन रजिस्ट्री व्यवस्था के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और सचिवालय घेराव की कोशिश की। अधिवक्ताओं का कहना है कि इस प्रणाली से उनकी आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है और आम जनता को भी दिक्कतें होंगी। पूरे प्रदेश में न्यायिक कार्य ठप रहा और विरोध आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।

Lawyers Protest: उत्तराखंड में वकीलों का आक्रोश मंगलवार को सड़कों पर खुलकर सामने आया। देहरादून से लेकर राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों तक हजारों अधिवक्ता सरकार की ऑनलाइन रजिस्ट्री व्यवस्था के विरोध में एकजुट हो गए। राजधानी देहरादून में वकीलों ने सचिवालय की ओर कूच किया और घेराव की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया।

ऑनलाइन व्यवस्था से आजीविका पर संकट: अधिवक्ताओं की चिंता

प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं का कहना है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री की प्रणाली से न केवल वकीलों की रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ेगा, बल्कि आम जनता को भी तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उनका कहना है कि ग्रामीण और तकनीकी रूप से पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस व्यवस्था को समझने और अपनाने में कठिनाई महसूस करेंगे। साथ ही, पारंपरिक विधि प्रक्रिया से जुड़े हजारों वकील, स्टांप वेंडर और टाइपिस्ट बेरोजगार हो जाएंगे।

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यूसीसी पर समर्थन, लेकिन बदलाव की मांग

वकीलों का यह भी कहना है कि वे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विरोधी नहीं हैं, लेकिन इस कानून में जिन बदलावों की आवश्यकता है, उनमें अधिवक्ताओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल ने स्पष्ट किया कि यूसीसी के वर्तमान प्रारूप में अधिवक्ताओं की भूमिका को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि विवाह पंजीकरण, संपत्ति की वसीयत या अन्य निजी मामलों में वकीलों की अनिवार्यता समाप्त की जा रही है, जिससे पेशे की गरिमा और आजीविका दोनों पर संकट आ खड़ा हुआ है।

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पिछली बैठकों में भी उठी थी आवाज

मनमोहन कंडवाल ने यह भी जानकारी दी कि 5 मार्च को गढ़वाल मंडल की सभी बार एसोसिएशनों और उत्तराखंड बार काउंसिल के प्रतिनिधियों की बैठक में इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई थी। बैठक में वकीलों के भविष्य पर मंडरा रहे संकट को देखते हुए सामूहिक विरोध का निर्णय लिया गया था।

प्रदर्शन में शामिल हुए स्टांप वेंडर, टाइपिस्ट और बस्ते वाले भी

इस विरोध में अधिवक्ताओं के साथ-साथ कोर्ट से जुड़े अन्य वर्ग जैसे टाइपिस्ट, स्टांप वेंडर और दस्तावेज़ों के बस्ते संभालने वाले कर्मचारी भी शामिल हुए। इन सभी का मानना है कि ऑनलाइन प्रणाली से उनका भी काम छिन जाएगा। देहरादून में प्रदर्शन के दौरान इन सभी की भागीदारी से विरोध और भी व्यापक हो गया।

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पूरे प्रदेश में ठप रहा न्यायिक कार्य

प्रदर्शन का असर केवल देहरादून तक ही सीमित नहीं रहा। राज्यभर में न्यायिक कार्य पूरी तरह से ठप रहा। अदालत परिसरों में सन्नाटा पसरा रहा और मुकदमों की सुनवाई तक स्थगित हो गई। बार एसोसिएशन की अगुवाई में हुए इस राज्यव्यापी विरोध ने यह साफ कर दिया कि यदि सरकार ने अधिवक्ताओं की बात नहीं मानी, तो वे रजिस्ट्री से जुड़े सभी कार्य, चाहे ऑनलाइन हों या ऑफलाइन, पूरी तरह से ठप कर देंगे।

रजत दुआ ने दी सरकार को चेतावनी

देहरादून के वरिष्ठ अधिवक्ता रजत दुआ ने कहा कि अधिवक्ता समुदाय यूसीसी का पूरी तरह विरोध नहीं कर रहा, लेकिन यदि उसमें वकीलों की भूमिका को समाप्त किया गया तो विरोध तेज होगा। उन्होंने चेताया कि सरकार ने यदि समय रहते अधिवक्ताओं की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया, तो प्रदेश में रजिस्ट्री का पूरा कामकाज बाधित होगा और इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।

सरकार की डिजिटल व्यवस्था के विरोध में उठी वकीलों की आवाज अब आंदोलन का रूप ले चुकी है। यह केवल रोजी-रोटी की लड़ाई नहीं, बल्कि न्याय प्रणाली में वकीलों की अनिवार्य भूमिका की रक्षा की भी मांग है। आने वाले दिनों में यह विरोध और तीव्र हो सकता है, यदि सरकार ने समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।Political News: Find Today’s Latest News on PoliticsPolitical Breaking News, राजनीति समाचार, राजनीति की खबरे from India and around the World on News watch india.

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