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Ghee Scam: तिरुपति मंदिर में घी की मिलावट के बाद राजधानी में घी की गुणवत्ता पर सवाल, 40 से अधिक ब्रांड के बीच 1500 रुपये तक का अंतर

After adulteration of ghee in Tirupati temple, questions on the quality of ghee in the capital, difference of up to Rs 1500 between more than 40 brands.

तिरुपति मंदिर(Tirupati temple) में भगवान (Lord) को अर्पित किए जाने वाले लड्डू में इस्तेमाल हो रहे घी में मिलावट (adulteration) का मामला सामने आने के बाद, राजधानी न्यू दिल्ली (Capital Delhi) और अन्य बाजारों में बिक रहे देशी घी(Desi Ghee) की गुणवत्ता(Quality)और कीमत (Price) को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मंदिर(Mandir) में हुई घी मिलावट की खबर ने उपभोक्ताओं(Consumer) के मन में संदेह पैदा कर दिया है, जिससे बाजार में उपलब्ध घी के विभिन्न ब्रांड और उनके मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित हो गया है।

घी, जो भारतीय खानपान और धार्मिक (Religious)अनुष्ठानों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अब विभिन्न प्रकार और दामों के चलते उपभोक्ताओं (Consumers) के लिए भ्रम का कारण बनता जा रहा है। बाजार में उपलब्ध 40 से अधिक ब्रांड के घी के न्यूनतम और अधिकतम दामों में 1500 रुपये प्रति किलो तक का अंतर है। इससे उपभोक्ताओं को यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि वे किस ब्रांड का घी खरीदें, और कौन सा घी शुद्ध है।

बाजार में उपलब्ध घी के प्रकार और दामों में अंतर


अगर आप बाजार में देशी घी(Desi ghee) खरीदने जाते हैं, तो आपको 200 रुपये प्रति किलो से लेकर 2000 रुपये प्रति किलो तक के दामों में विभिन्न प्रकार के घी मिलते हैं। घी की यह विविधता ना केवल कीमत में बल्कि उसकी गुणवत्ता, उद्देश्य और ब्रांड पर भी निर्भर करती है।

  1. 200-500 रुपये प्रति किलो घी : इस रेंज में मिलने वाले घी की पैकिंग पर ‘खाने योग्य’ लिखा होता है, लेकिन इसे आमतौर पर पूजा और हवन के लिए उपयोग किया जाता है। सस्ते होने के कारण इसकी डिमांड भी अधिक होती है।
  2. 600-800 रुपये प्रति किलो घी: यह घी अच्छी गुणवत्ता का होने का दावा करता है और इसे डेयरी प्रोडक्ट के रूप में बेचा जाता है। इसमें मिलावट की संभावना कम मानी जाती है, लेकिन फिर भी उपभोक्ताओं को इसकी शुद्धता को लेकर आशंका रहती है।
  3. 1000-2000 रुपये प्रति किलो घी : इस कीमत पर मिलने वाले घी को उच्च गुणवत्ता का माना जाता है और इसे ‘हैंडमेड’ या ‘गोशाला निर्मित’ के रूप में बेचा जाता है। इनमें गिर गाय, साहीवाल गाय, देशी गाय जैसे विशेष नस्लों की गायों का घी शामिल होता है। इसके अलावा, कुछ विशेष संस्थाओं द्वारा तैयार किए गए घी की कीमत भी इस श्रेणी में आती है।

उपभोक्ताओं में भ्रम और मिलावट की आशंका


बाजार में उपलब्ध देशी घी की इतनी विविधता उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा करती है। खासतौर पर तब, जब बाजार में 600 रुपये प्रति किलो तक के घी की सबसे ज्यादा बिक्री हो रही है, लेकिन इस दायरे में मिलावट की संभावना भी अधिक रहती है। कुछ उपभोक्ता मानते हैं कि महंगा घी ही शुद्ध होता है, जबकि सस्ते घी में मिलावट की संभावना होती है।

व्यापारी राजेंद्र गोयल के अनुसार, 600 रुपये प्रति किलो तक के घी की सबसे ज्यादा डिमांड होती है। हालांकि, यह भी देखा गया है कि 200-500 रुपये तक के सस्ते घी की बिक्री भी काफी अधिक है। सस्ते घी पर मुनाफा भी ज्यादा होता है, जिससे दुकानदार अलग-अलग किस्मों के घी को ऊंची कीमत पर बेचते हैं।

मुनाफे की गणना और दूध से घी बनाने की प्रक्रिया


घी के उत्पादन और बिक्री के बीच मुनाफे का भी एक महत्वपूर्ण गणित है। जानकारों के अनुसार, 12 किलो शुद्ध दूध से लगभग एक किलो देशी घी निकलता है। इस दूध की कीमत करीब 600-800 रुपये होती है। हालांकि, बाजार में उपलब्ध कई ब्रांड 24 किलो दूध से 4 प्रतिशत क्रीम निकालते हैं और फिर घी तैयार करते हैं, जबकि बाकी दूध को बाजार में बेच दिया जाता है। इस प्रक्रिया से भी एक किलो घी का उत्पादन लगभग 600-800 रुपये के खर्च में हो जाता है।

Mansi Negi

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