KESAR WALA ELECTION BOYCOTT: अमित शाह का वादा अधूरा, केसरवाला में सड़क न बनने से जनता का गुस्सा, नगर आयुक्त ने बताई समस्या की वजह
KESAR WALA ELECTION BOYCOTT: देहरादून के केसरवाला क्षेत्र में लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया क्योंकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किए गए सड़क निर्माण के वादे को अब तक पूरा नहीं किया गया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि लंबे समय से इस क्षेत्र में सड़क की समस्या बनी हुई है, लेकिन वादा पूरा न होने के कारण उनकी नाराजगी बढ़ गई। इस मुद्दे पर देहरादून के नगर आयुक्त ने बताया कि सड़क निर्माण में कुछ प्रशासनिक और तकनीकी अड़चनें आ रही हैं, जिनके समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं।
KESAR WALA ELECTION BOYCOTT : उत्तराखंड के देहरादून में केसरवाला क्षेत्र की सड़क से जुड़ी समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है। 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस क्षेत्र के लोगों से सड़क निर्माण का वादा किया था। लेकिन दो साल बीतने के बाद भी यह वादा अधूरा है। इससे नाराज़ स्थानीय निवासियों ने हाल ही में संपन्न हुए नगर निकाय चुनावों का बहिष्कार कर दिया। क्षेत्र के लगभग 400 वोटरों में से केवल 10-12 लोगों ने ही मतदान किया। यह स्पष्ट संकेत है कि जनता का भरोसा टूट चुका है।
इस मामले में अब देहरादून की नगर आयुक्त नमामि बंसल का बयान सामने आया है। उन्होंने स्वीकार किया कि केसरवाला के लोगों की समस्या पूरी तरह से जायज है और नगर निगम इस मुद्दे पर गंभीरता से काम कर रहा है। लेकिन समस्या यह है कि केसरवाला का संबंधित क्षेत्र देहरादून छावनी (कैंट) क्षेत्र में आता है। इस कारण सड़क निर्माण समेत अन्य विकास कार्यों के लिए रक्षा मंत्रालय से अनुमति लेना अनिवार्य है।
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रक्षा मंत्रालय से क्लीयरेंस न मिलने के कारण रुका विकास कार्य
नगर आयुक्त नमामि बंसल ने बताया कि नगर निगम लगातार रक्षा मंत्रालय से अनुमति लेने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में 38वें नेशनल गेम्स के दौरान पार्किंग बनाने की योजना थी। लेकिन रक्षा मंत्रालय से आवश्यक क्लीयरेंस न मिलने के कारण यह योजना भी अधूरी रह गई।
उन्होंने कहा, “हमने कई बार रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मामले में क्लीयरेंस मांगी है। जैसे ही अनुमति मिलती है, इस क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।”
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स्थानीय लोगों का क्या कहना है?
केसरवाला के निवासी इस समस्या से बेहद नाराज़ हैं। उनका कहना है कि 2022 में अमित शाह ने वादा किया था कि इस क्षेत्र में सड़क बनाई जाएगी। उस समय सभी को उम्मीद थी कि यह वादा पूरा होगा। लेकिन दो साल बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क न होने के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बारिश के दौरान क्षेत्र में आवाजाही करना मुश्किल हो जाता है। बच्चों को स्कूल जाने और मरीजों को अस्पताल ले जाने में दिक्कतें होती हैं।
चुनाव बहिष्कार के बारे में एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हमने चुनाव का बहिष्कार इसलिए किया क्योंकि हमारे मुद्दों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। जब तक हमारे क्षेत्र में सड़क नहीं बनेगी, हम कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे और न ही मतदान करेंगे।”
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राजनीतिक वादे और प्रशासनिक प्रक्रिया के बीच फंसा क्षेत्र
केसरवाला का यह मामला उन कई उदाहरणों में से एक है, जहां राजनीतिक वादे तो किए गए, लेकिन उन्हें पूरा करने की प्रक्रिया में प्रशासनिक बाधाएं आड़े आ गईं। देहरादून नगर निगम और रक्षा मंत्रालय के बीच संवाद की कमी और प्रक्रिया की जटिलता ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब संबंधित विभागों के बीच बेहतर समन्वय हो। यह मुद्दा केवल एक सड़क का नहीं, बल्कि जनता के विश्वास का है।
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