IIT JAM 2025: संकल्प और संघर्ष की मिसाल, घोड़ा-खच्चर चलाने वाला अतुल अब आईआईटी मद्रास का छात्र
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग निवासी अतुल कुमार ने घोड़े-खच्चर चलाकर पढ़ाई करते हुए आईआईटी जेएएम 2025 में ऑल इंडिया 649वीं रैंक हासिल की। अब वे आईआईटी मद्रास में एमएससी गणित की पढ़ाई कर रहे हैं। उनकी सफलता ने कठिन परिस्थितियों में भी सपने पूरे करने की मिसाल पेश की है।
IIT JAM 2025: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के वीरों देवल गांव के रहने वाले अतुल कुमार ने अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना करते हुए ऐसा मुकाम हासिल किया है, जो हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है। घोड़े और खच्चर चलाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने वाला यह युवा अब देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, आईआईटी मद्रास का हिस्सा बन चुका है। अतुल ने वर्ष 2025 की आईआईटी जेएएम परीक्षा में पूरे देश में 649वीं रैंक प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि मेहनत और लगन से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
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आईआईटी जेएएम में सफलता, अब एमएससी गणित की पढ़ाई
अतुल ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से बीएससी किया। बीएससी के दौरान उन्हें कई बार आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। इसी लगन और मेहनत का परिणाम रहा कि उन्हें आईआईटी जेएएम परीक्षा में उल्लेखनीय सफलता मिली और अब वे आईआईटी मद्रास में एमएससी गणित की पढ़ाई कर रहे हैं। 21 जुलाई को अतुल चेन्नई पहुंच गए और अपनी नई शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत की।
मुख्यमंत्री ने फोन पर दी बधाई, प्रेरणा बताया
अतुल की इस शानदार उपलब्धि की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें फोन पर बधाई दी। बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्य परिस्थियों में भी यदि कोई व्यक्ति संकल्प लेकर मेहनत करे तो कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने अतुल को उत्तराखंड के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बताया और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि अतुल जैसे युवाओं की कहानियां पूरे समाज को आगे बढ़ने की ऊर्जा देती हैं।
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घोड़ा-खच्चर चला कर की पढ़ाई, गरीबी नहीं बनी बाधा
अतुल का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। वे बेहद साधारण और गरीब परिवार से आते हैं। उनके पिता घोड़ा-खच्चर चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं और अतुल भी इस काम में उनका हाथ बंटाते थे। उन्होंने केदारनाथ जैसे दुर्गम क्षेत्रों में खच्चर चलाकर यात्रियों को सेवा दी और उसी पैसे से अपनी पढ़ाई जारी रखी। यह आर्थिक स्थिति किसी भी छात्र को हतोत्साहित कर सकती थी, लेकिन अतुल ने इसे अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी ताकत बनाया।
परिवार और शिक्षा के प्रति समर्पण
अतुल के परिवार में माता-पिता, एक छोटा भाई और एक बहन हैं। उनकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। आर्थिक तंगी के बावजूद उनका परिवार उन्हें पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करता रहा। खुद अतुल भी शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह समझते थे और कठिन हालात के बावजूद हमेशा पढ़ाई को प्राथमिकता दी। उनके इस समर्पण और संघर्ष ने उन्हें आज एक नई पहचान दिलाई है।
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युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत
अतुल की यह कहानी यह बताती है कि सफलता के रास्ते में चाहे कितनी भी रुकावटें क्यों न हों, यदि नीयत मजबूत हो और मेहनत सच्ची हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। अतुल ने अपने आत्मविश्वास और परिश्रम के बल पर साबित कर दिया है कि परिस्थितियाँ चाहें जैसी भी हों, व्यक्ति यदि ठान ले तो वह किसी भी ऊँचाई को छू सकता है।
समाज को संदेश
अतुल की सफलता सिर्फ उनकी नहीं है, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा ही सशक्तिकरण का सबसे बड़ा माध्यम है। अतुल की कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रकाशपुंज है, जो कठिनाइयों से जूझते हुए अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।
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