Ankita Bhandari Murder Case: सजा के बाद हंसा अंकिता का हत्यारा, लोगों में उबाल, अदालत के फैसले के बाद भी उठे सवाल
उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में तीनों आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। फैसले के बाद आरोपी सौरभ भास्कर के हंसते हुए बाहर आने का वीडियो वायरल हो गया, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया। स्थानीय जनता ने इसे संघर्ष की जीत बताया, लेकिन कुछ ने न्याय को अधूरा करार दिया।
Ankita Bhandari Murder Case: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में शुक्रवार को कोटद्वार की एडीजे कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने तीनों आरोपियों – पुलकित आर्या, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता – को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले को प्रदेशभर में “न्याय की जीत” माना गया, लेकिन इसके तुरंत बाद कोर्ट परिसर में एक अवांछनीय दृश्य ने लोगों में रोष की लहर दौड़ा दी।
हत्यारे की हंसी ने उभारा जनाक्रोश
अदालत का फैसला सुनने के बाद जब तीनों दोषियों को कोर्ट से बाहर लाया गया, तब वहां मौजूद लोग इस बात से स्तब्ध रह गए कि दोषी सौरभ भास्कर मुस्कुराता हुआ बाहर आया। कैमरे में कैद इस दृश्य में वह न केवल मुस्कुराता दिखा, बल्कि उसने किसी सेलिब्रिटी की तरह हाथ भी हिलाया। यह देखकर लोगों में गहरा आक्रोश उत्पन्न हो गया।
सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया है, जहां लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या एक हत्या के दोषी को कोई पछतावा नहीं है? कई लोगों का मानना है कि सौरभ की यह हरकत न्याय व्यवस्था और पीड़ित परिवार के प्रति गंभीर असंवेदनशीलता को दर्शाती है।
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अदालत ने सुनाई कठोर सजा
कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) रीना नेगी की अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। फैसले के दौरान अदालत परिसर में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी, जबकि कोर्ट के बाहर लोगों की भारी भीड़ जमा थी, जो लंबे समय से इस निर्णय का इंतजार कर रही थी।
पौड़ी में जनता ने बताया ‘संघर्ष की जीत’
पौड़ी गढ़वाल के स्थानीय निवासियों ने इस फैसले को ‘जनता की जीत’ बताया। क्षेत्र के निवासी जसपाल सिंह ने कहा, “अंकिता हमारे इलाके की बेटी थी। वह अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए काम कर रही थी, लेकिन उसके साथ जो हुआ वह बर्बरता की सारी हदें पार कर गया। कोर्ट का फैसला हमारी मेहनत और एकजुटता का परिणाम है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जांच एजेंसियों और प्रशासन ने इस मामले में संवेदनशीलता दिखाई, जिससे यह निर्णय संभव हो सका।
अधूरा न्याय बताकर उठे सवाल
हालांकि, कई स्थानीय युवाओं और सामाजिक संगठनों ने इस फैसले को ‘अधूरा न्याय’ बताया। उनका मानना है कि यदि घटनास्थल के साक्ष्य नष्ट नहीं किए जाते, तो शायद दोषियों को फांसी की सजा हो सकती थी।
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युवाओं ने आरोप लगाया कि जिस रिज़ॉर्ट में यह घटना हुई थी, उसे जल्दबाजी में बुलडोजर से गिरा दिया गया, जिससे महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए। उनका यह भी कहना है कि इस कार्रवाई के पीछे कुछ राजनीतिक दबाव और प्रभावशाली लोगों को बचाने की कोशिश थी।
जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई की मांग
स्थानीय युवाओं ने एक जन प्रतिनिधि पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ही उस रिजॉर्ट को गिरवाया, जहां हत्या हुई थी। युवाओं का कहना है कि सरकार को सिर्फ दोषियों को सजा दिलाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन अधिकारियों और नेताओं पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया।
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जहां एक ओर अदालत के फैसले ने अंकिता भंडारी के परिवार और उनके समर्थकों को राहत दी है, वहीं दूसरी ओर दोषी की हंसी और घटना से जुड़े विवादित कदमों ने इस केस को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह मामला एक बार फिर सवाल उठा रहा है कि क्या न्याय सिर्फ सजा देने से पूरा होता है या सच्चाई को सामने लाना भी उतना ही आवश्यक है?
अब जनता की निगाहें सरकार और न्यायपालिका पर हैं कि क्या वे इस मामले के हर पहलू को न्याय के दायरे में लाकर, सच्चे अर्थों में इंसाफ दिला पाएंगे।
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