जानिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने क्यों किया पहले ही उम्मीदवारों के ऐलान ?
BJP News of Madhya Pradesh and Chhattisgarh! हिंदी पट्टी के तीन राज्य राजस्थान ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसी साल के अंत में चुनाव होने हैं। उधर दक्षिण में तेलंगाना में चुनाव होने हैं। मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार है जबकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। याद रहे 2018 के चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस ने शिकस्त देते हुए सत्ता से बहार कर दिया था। तब बीजेपी वहां लगातार 15 साल से सत्ता में थी। 2018 के चुनाव में बीजेपी हारी। कांग्रेस की सरकार बनी। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने। लम्बे समय के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता हाथ लगी थी। 18 महीने तक सरकार चली लेकिन बीजेपी ने ऑपरेशन कमल चलकर कमलनाथ की सरकार को ख़त्म कर दिया। यह सब खेल सिंधिया के जरिये किया गया। सिंधिया तब कांग्रेस में थे और मध्यप्रदेश में कुछ करने के लिए छटपटा रहे थे। बीजेपी ने उन्हें टटोला। डील हुई और फिर एक ही झटके में सिंधिया बीजेपी में समा गए। सिंधिया के जाते है कांग्रेस से बड़ी संख्या में विधायक टूट गए। जो सिंधिया समर्थक थे वे बीजेपी के साथ गए। कमलनाथ की सरकार गिर गई। लेकिन आज भी मध्य प्रदेश के लोगों के मन में यह बात बैठी हुई है कि जिसे हमने 15 साल बात सत्ता सौपी उसे बीजेपी ने फिर गिरा दिया।
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मध्यप्रदेश बीजेपी और संघ का गढ़ है। एक समय था जब इस राज्य में कांग्रेस की तूती बोलती थी। कांग्रेस के बड़े -बड़े दिग्गज नेता थे। सबकी अपनी राजनीति थी और सबकी अपने हुजूम। सबके अपने इलाके थे और सबके अपने रसूक .कह सकते हैं कांग्रेस के कई नेता अपने-अपने इलाके के क्षत्रप ही थी। समय के साथ सबकी विदाई होती गई और फिर बीजेपी का विस्तार होता गया। वहां तो पहले से ही संघ ने अपना अड्डा खड़ा कर लिया था ,बावजूद इसके संघ और बीजेपी से कांग्रेस की लड़ाई चलती रही। चुनावी परिणाम चाहे जो भी कभी पीछे नहीं हटी।
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लेकिन इस बार मामला कुछ और ही है। शिवराज सिंह करीब 19 साल से सूबे के मुख्यमंत्री हैं और प्रदेश में मामा कहलाते हैं। भाषण देते हैं तो लोकतंत्र की बात भी करते है, लेकिन हर चुनाव में चाहते हैं कि जीत उनकी ही हो और मुख्यमंत्री वे ही बने। इस सोंच को आप क्या कहेंगे आप ही जाने। बीजेपी से जुड़े पत्रकार नुमा जीव से भी पूछिए कि शिवराज में ऐसा क्या गुण है कि उन्हें ही बार -बार सीएम बनाया जाता है। ? इसका सही जवाब किसी के पास नहीं है। चरण चुम्बक कथित पत्रकार की बात मानिये तो शिवराज सिंह बड़े नेता है और उन्होंने बड़े काम किये हैं। लेकिन जब उनसे पूछिए की कोई पांच बड़े काम को बताया जाए तो वे एक काम बह नहीं बताते। कहते है कि पिछड़े नेता है और हिन्दू समाज को आगे बढ़ने का मौका देते हैं। पिछले दिनों कुछ ऐसे पत्रकारों से जब कि पत्रकारों के लिए शिवराज सिंह क्या करते हैं तो जवाब था उसे सुनकर आप चौंक सकते हैं। मध्यप्रदेश की पत्रकारिता के बारे में देश को पता है। वहां सबकुछ सरकारी विज्ञप्ति से शुरू होती है और फिर वही ख़त्म भी हो जाती है। वहां से कोई बड़ी खबर नहीं निकलती। सभी पत्रकारों को सरकार की तरफ से कई सहूलियतें दी जाती है। घर से दफ्तर तक। सबको जमीन और सबको मकान। इसलिए वहां से कोई पहली ब्रेकिंग खबर नहीं निकलती। कह सकते हैं कि मीडिया के जरिये ही वहां की सरकार चलती है। और यह सब हर सरकार में जारी रहता है।
अब सामने चुनाव है। जानकारी के मुताबिक बीजेपी हर हाल में चाहती है कि मध्यप्रदेश में उसकी सरकार बनी रहे ताकि इसका फायदा लोकसभा चुनाव में भी मिले। अभी तक मध्यप्रदेश में बीजेपी को लगभग सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल होती रही है। लेकिन इस बार माजरा कुछ अलग ही है। कांग्रेस भी पुरे होश के साथ मैदान में है और उसे भी किसी तरह से बीजेपी सरकार को हटाना है। बीजेपी की सरकार अगर वहां नहीं हटती है तो कांग्रेस की पूरी इकाई ही ख़त्म हो जाएगी और बीजेपी यही चाहती भी है। हालांकि बीजेपी से बड़ी संख्या में नेता लोग टूटकर कांग्रेस में आ रहे है और बीजेपी को लग भी रहा है कि इस बार की लड़ाई आसान नहीं है। लेकिन संघ की बदौलत उसे यह भी आस है कि शायद इस बार फिर से मौका मिल जाए। क्या कुछ होगा यह सब देखने की बात है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए अभी से ही बीजेपी ने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है। आज भी मध्यप्रदेश के लिए 39 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है जबकि छत्तीसगढ़ के लिए 21 नामो की घोषण की गई है। याद रहे अभी तक चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव की कोई घोषणा नहीं की गई लेकिन बीजेपी जैसी पार्टी आज से ही घोषणा कर रही है। बीजेपी कह रही है कि जिस सीट पर बीजेपी कमजोर है वहां की घोषणा की जा रही है ताकि उम्मदवार को अपनी जमीन तैयार करने में मदद मिलेगी। यही हाल छत्तीसगढ़ का भी है। लेकिन सच यही है कि बीजेपी मध्यप्रदेश में भी इस बार फांसी हुई है और छत्तीसगढ़ में तो उसकी स्थिति काफी कमजोर है। केवल मीडिया के जरिये यह प्रचारित किया जा रहा है कि वहां सबकुछ ठीक है। बीजेपी की चिंता विधान सभा चुनाव में जीत को लेकर तो है ही सबसे बड़ी चिंता लोकसभा चुनाव को लेकर भी है। यह बात और है की मोदी के समानान्तर कोई विपक्षी नेता नहीं है लेकिन लोकतंत्र में कब लोग पलट देते हैं यह भी बीजेपी समझ रही है। जब बड़े -बड़े नेता हार जाते हैं तो आज के नेताओं की क्या बात !