Forest Encroachment: खलंगा फॉरेस्ट में 40 बीघा जमीन पर अवैध कब्जे की कोशिश, स्थानीय युवती की सतर्कता से उजागर हुआ मामला
देहरादून के खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट में करीब 40 बीघा भूमि पर अवैध फेंसिंग और कब्जे की कोशिश का मामला सामने आया है। स्थानीय युवती दीपशिखा रावत की सतर्कता से यह प्रकरण उजागर हुआ और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने प्रशासन को हरकत में ला दिया। अब वन विभाग ने जांच शुरू कर दी है।
Forest Encroachment: देहरादून का खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट इन दिनों एक बड़े अतिक्रमण विवाद को लेकर सुर्खियों में है। करीब 40 बीघा जंगल क्षेत्र में अचानक लोहे की फेंसिंग कर गेट लगा दिया गया, जिसे निजी संपत्ति बताकर कब्जाने की कोशिश की जा रही थी। इस घटना का खुलासा तब हुआ जब मॉर्निंग वॉक पर गई स्थानीय युवती दीपशिखा रावत ने इसे देखा और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया।
स्थानीय युवती की सतर्कता ने बचाई जंगल की जमीन
दीपशिखा रावत रोज़ाना की तरह जंगल की ओर मॉर्निंग वॉक पर जा रही थीं, जब उन्होंने देखा कि जंगल की जमीन पर तारबाड़ की जा रही है और गेट लगाने का काम हो रहा है। मौके पर मौजूद व्यक्ति ने खुद को अनिल शर्मा बताया और दावा किया कि यह जमीन अशोक अग्रवाल की है। दीपशिखा ने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया और वन विभाग को सूचित किया।
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वीडियो वायरल होने के बाद हरकत में आया प्रशासन
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, देहरादून के नागरिक और पर्यावरण प्रेमी सक्रिय हो गए। अगले ही दिन तमाम सामाजिक संगठन और स्थानीय लोग मौके पर पहुंच गए और अवैध रूप से लगाए गए लोहे के एंगल उखाड़ दिए। यह मामला तेजी से राजनीतिक और सामाजिक रंग लेने लगा।
डीएफओ ने किया निरीक्षण, पेड़ कटान पर जताई आपत्ति
मामले को बढ़ता देख देहरादून के डीएफओ अमित तंवर मौके पर पहुंचे। उन्होंने पाया कि कब्जा कर रहे व्यक्ति के पास किसी भी प्रकार की वैध अनुमति नहीं थी, जबकि कई पेड़ पहले ही काटे जा चुके थे। डीएफओ ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए और पेड़ कटान व अतिक्रमण के खिलाफ वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की बात कही।
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भू कानून संघर्ष समिति और वकीलों ने उठाए सवाल
मूल निवासी भू कानून संघर्ष समिति के मोहित डिमरी और सामाजिक कार्यकर्ता एवं एडवोकेट विकेश नेगी भी खलंगा पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह जमीन कानूनी रूप से रिजर्व फॉरेस्ट की श्रेणी में आती है। विकेश नेगी ने जानकारी दी कि इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की जा चुकी है और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
हालांकि, जिला प्रशासन की ओर से कोई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। एसडीएम हर गिरी ने इतना कहा कि उनकी टीम मौके पर गई थी और सोमवार को विस्तृत रिपोर्ट दी जाएगी। वहीं डीएफओ ने बताया कि जिला प्रशासन ने एक छोटा चक निजी स्वामित्व में दर्ज होने की जानकारी दी है, लेकिन ये कैसे संभव हुआ, यह जांच का विषय है।
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संवेदनशील इलाकों में अतिक्रमण की बढ़ती घटनाएं
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि यदि नागरिक सतर्क न हों तो प्राकृतिक संसाधनों पर अतिक्रमण और कब्जा बड़ी समस्या बन सकते हैं। जहां एक ओर आम लोग जंगलों की रक्षा में आगे आए हैं, वहीं प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
खलंगा फॉरेस्ट की यह घटना केवल एक जंगल की जमीन का मामला नहीं है, बल्कि यह उदाहरण है कि आम नागरिक यदि जागरूक हों तो बड़े से बड़े अवैध कार्यों को रोका जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में सख्त कानूनी कार्रवाई होगी और जंगल की भूमि को बचाया जाएगा।
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