बांग्लादेश में हाल के दिनों में राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों में भारी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। इस घटनाक्रम का सबसे बड़ा और चौंकाने वाला पहलू शनिवार को तब सामने आया, जब देश के उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ओबैदुल हसन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह घटना शेख हसीना सरकार के पतन और छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बीच घटित हुई, जिसने देश में न्यायपालिका के कामकाज को हिलाकर रख दिया है।
प्रधान न्यायाधीश ओबैदुल हसन का इस्तीफा: क्या है वजह?
प्रधान न्यायाधीश ओबैदुल हसन ने शनिवार को दोपहर एक बजे के करीब अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया। इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण छात्रों द्वारा चलाया गया भेदभाव विरोधी आंदोलन बताया जा रहा है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्रधान न्यायाधीश और अपीलीय डिवीजन के न्यायाधीशों को इस्तीफा देने के लिए दोपहर एक बजे तक का समय दिया था। छात्रों की इस मांग और न्यायिक तख्तापलट के आरोपों के बीच, प्रधान न्यायाधीश ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
सिर्फ प्रधान न्यायाधीश ही नहीं, अन्य पांच जजों का भी इस्तीफा
प्रधान न्यायाधीश ओबैदुल हसन के इस्तीफे के बाद, बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय की अपीलीय डिवीजन के पांच अन्य जजों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उच्चतम न्यायालय के जनसंपर्क अधिकारी मोहम्मद शफीकुल इस्लाम ने मीडिया को बताया कि न्यायमूर्ति हसन के इस्तीफे के बाद अपीलीय डिवीजन के न्यायाधीश मोहम्मद अशफाकुल इस्लाम को कार्यवाहक प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। इन इस्तीफों ने बांग्लादेश की न्यायपालिका में एक बड़ी खलबली मचा दी है, और देश के न्यायिक ढांचे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नवगठित अंतरिम सरकार और छात्रों का उग्र विरोध
इस घटनाक्रम के कुछ ही दिन पहले, शेख हसीना सरकार ने राजनीतिक दबाव और जनता के आक्रोश के चलते इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने बृहस्पतिवार को अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली थी। इस राजनीतिक बदलाव के बाद, छात्रों और अन्य सामाजिक समूहों के बीच उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था, जिसमें न्यायपालिका को लेकर गहरी नाराजगी जताई गई। छात्रों ने प्रधान न्यायाधीश और अन्य जजों पर न्यायिक तख्तापलट का आरोप लगाया और अदालत परिसर की घेराबंदी करने का ऐलान किया।
सेना की तैनाती और न्यायपालिका की सुरक्षा
प्रदर्शनकारी छात्रों के दबाव और उच्चतम न्यायालय के घेराव के चलते, बांग्लादेशी सेना के जवानों को न्यायालय परिसर में तैनात किया गया। प्रधान न्यायाधीश हसन ने सुरक्षा के मद्देनजर और बदलते हालात को देखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि वर्तमान परिस्थितियों में, न्यायपालिका की सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है। उनके अनुसार, इस्तीफे के लिए कुछ औपचारिकताएं हैं, जिन्हें पूरा करके वे अपना इस्तीफा राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को भेज देंगे।
इस समय, बांग्लादेश के लोगों की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि नवगठित अंतरिम सरकार और न्यायपालिका मिलकर देश को किस दिशा में ले जाएंगे। राजनीतिक उथल-पुथल और न्यायपालिका में हुए इन इस्तीफों के बाद, बांग्लादेश के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए देश के नेतृत्व को गंभीर और प्रभावी कदम उठाने होंगे।