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Bhawishya Badri Temple: भविष्य बदरी धाम के कपाट विधिवत खुले, पंचबद्री यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का उत्साह

भविष्य बदरी धाम के कपाट ब्रह्म मुहूर्त में विधिपूर्वक खोल दिए गए हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने पारंपरिक तरीके से भगवान को वैशाख माह की पहली फसल अर्पित की। यह धाम पंचबद्री यात्रा का अहम हिस्सा है और भविष्य में भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है।

Bhawishya Badri Temple: उत्तराखंड के चारधामों के कपाट खुलने के साथ ही पंचबद्री के प्रमुख तीर्थस्थल भविष्य बदरी धाम के कपाट भी शनिवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित संजय डिमरी की अगुवाई में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ परंपरागत विधि-विधान के अनुसार यह अनुष्ठान संपन्न हुआ।

ग्रामीणों ने अर्पित की गेहूं और जौ की हरि बालियां

कपाट खुलने के मौके पर सुभाई गांव में त्योहार जैसा माहौल रहा। ग्रामीणों ने पारंपरिक मांगल गीतों के साथ मंदिर पहुंचकर भगवान को वैशाख माह की फसल – गेहूं और जौ की हरि बालियां समर्पित कीं। यह परंपरा ग्रामीणों की आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाती है, जिसमें प्रत्येक घर से पहली फसल भगवान को अर्पित की जाती है।

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बदरीनाथ की परंपरा के अनुसार होते हैं पूजन

भविष्य बदरी धाम की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। यह मंदिर समुद्र तल से 2744 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो देवदार और सुराई के घने जंगलों से घिरा हुआ है। कपाट खुलने के बाद अगले छह महीनों तक ग्रीष्मकालीन पूजन, अभिषेक और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन बदरीनाथ की परंपरा के अनुसार किया जाएगा। इन सभी कार्यों की जिम्मेदारी बदरी-केदार मंदिर समिति (BKTC) द्वारा निभाई जाएगी।

जोशीमठ से 17 किलोमीटर दूर, पैदल यात्रा भी जरूरी

यह धाम जोशीमठ से सुबैन गांव तक 17 किलोमीटर सड़क मार्ग से जुड़ा है, जहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह यात्रा भक्तों को प्रकृति और अध्यात्म के एक अनूठे संगम का अनुभव कराती है।

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पौराणिक मान्यता से जुड़ा विशेष महत्व

भविष्य बदरी मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार, जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर की मूर्ति की कलाई जब टूट जाएगी, तब नर-नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे और बदरीनाथ धाम तक पहुंचना असंभव हो जाएगा। उस समय भगवान विष्णु का निवास भविष्य बदरी धाम में होगा। इसी वजह से यह स्थान विशेष धार्मिक महत्व रखता है।

पंचबद्री यात्रा का प्रमुख केंद्र

भविष्य बदरी धाम पंचबद्री तीर्थ यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बदरीनाथ की यात्रा करने वाले कई श्रद्धालु यहां भी दर्शन हेतु आते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता रघुवीर सिंह ने बताया कि सुभाई गांव के लोग इस दिन को उत्सव की तरह मनाते हैं और बड़े हर्षोल्लास के साथ भगवान की पूजा करते हैं।

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आध्यात्म और प्रकृति का अद्भुत संगम

नंदा देवी पर्वतमाला की तलहटी में स्थित भविष्य बदरी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति का भी अनूठा संगम है। कपाट खुलने के साथ ही यहां 6 माह तक पूजन और दर्शन की प्रक्रिया जारी रहेगी, जिससे क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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