Major changes in education sector in Uttarakhand: उत्तराखंड में शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव, डिजिटल मूल्यांकन और भारतीय ज्ञान परंपरा को मिलेगा नया आयाम
Major changes in education sector in Uttarakhand:: उत्तराखंड में शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं। डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली को लागू किया जाएगा, जिससे परीक्षा परिणामों में देरी कम होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे, जिससे छात्रों को सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का अवसर मिलेगा। महाविद्यालयों को स्थाई मान्यता देने का प्रावधान और 7500 नई सीटों का आवंटन भी किया जाएगा। इन कदमों से उत्तराखंड में उच्च शिक्षा प्रणाली को आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
Major changes in education sector in Uttarakhand : उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता और परीक्षा परिणामों की समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। द्वितीय कुलपति गोलमेज सम्मेलन 2024 में उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिनका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।
डिजिटल मूल्यांकन की पहल
परीक्षा परिणामों में देरी को समाप्त करने के लिए पहली बार उत्तराखंड में उत्तर पुस्तिकाओं के डिजिटल मूल्यांकन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस पहल को पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक संकाय में लागू किया जाएगा। यदि यह प्रक्रिया सफल होती है, तो इसे राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और संबद्ध महाविद्यालयों में लागू किया जाएगा। इस कदम से मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता के साथ-साथ गति भी सुनिश्चित होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा प्रणाली में मिलेगा विशेष स्थान
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप, उत्तराखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम तैयार और लागू किए जाएंगे। इसके लिए विशेष पाठ्यक्रम समितियां गठित की जाएंगी, जो विभिन्न विषयों का पाठ्यक्रम तैयार करेंगी। पाठ्यक्रमों का परीक्षण कर उन्हें चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। यह कदम छात्रों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराने के साथ-साथ उनके समग्र विकास में भी सहायक होगा।
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महाविद्यालयों को स्थाई मान्यता का प्रावधान
सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले राजकीय महाविद्यालय, आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने पर, स्थाई मान्यता प्राप्त करेंगे। वहीं, निजी शिक्षण संस्थानों को तीन साल के भीतर संसाधन उपलब्ध कराने की स्थिति में स्थाई मान्यता दी जाएगी। मान्यता के लिए विश्वविद्यालय नियमित रूप से इन संस्थानों का निरीक्षण करेगा।
नए शिक्षण अवसर: 7500 सीटों का आवंटन और शैक्षणिक भ्रमण
सम्मेलन के दौरान भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 7500 नई सीटों के आवंटन की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत सभी महाविद्यालय प्रस्ताव भेजेंगे। साथ ही, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति अपनी टीम के साथ देश के दो प्रमुख विश्वविद्यालयों का दौरा करेंगे। उच्च शिक्षा विभाग की पांच सदस्यीय समिति, शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी दो देशों का अध्ययन दौरा भी करेगी, जिससे उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था में वैश्विक मानकों का समावेश किया जा सके।
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शिक्षा में नवाचार और सुधार की दिशा में कदम
गोलमेज सम्मेलन में तय किए गए इन निर्णयों का उद्देश्य राज्य में उच्च शिक्षा को एक नई दिशा देना है। डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि परीक्षा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाएगी। भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम से छात्रों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का अवसर मिलेगा।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली की ओर अग्रसर उत्तराखंड
डिजिटल मूल्यांकन और भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम के समावेश से उत्तराखंड में शिक्षा क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। यह प्रयास न केवल छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा, बल्कि राज्य के सांस्कृतिक मूल्यों को भी संरक्षित करेगा