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Karnataka High Court:रिटायरमेंट के बाद Date of Birth बदलाव पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला!

Big decision of High Court on change of date of birth after retirement!

Karnataka High Court: सोमवार को कर्नाटक  हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी किया हैं जिसमें किसी भी कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद अपनी आधिकारिक जन्मतिथि में परिवर्तन करने पर रोक लगा दी। यह फैसला एक व्यक्ति से जुड़े मामले का है जो 1983 से 2006 में अपनी रिटायरमेंट तक एक पल्प सुखाने वाले प्रोसेसर निर्माण इकाई में कार्यरत था। 2006 में, 58 वर्ष की आयु में, वह रिटायर हो गया था।

आपको बता दें रिटायर होने के बाद कोई भी कर्मचारी अपनी जन्मतिथि नहीं बदल सकता। यह फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोमवार को सुनाया। दरअसल, जन्मतिथि बदलने के मामले में मानवीय पहलू भी शामिल है। 2006 में रिटायर होने से पहले, इस व्यक्ति ने 1983 से 2006 तक एक पल्प सुखाने वाले प्रोसेसर यूनिट में कार्यरत था। जब उसे दोबारा काम पर रखा गया तो उन्होंने अपना जन्म 30 मार्च 1952 बताया, मगर इसका का सबूत नही हैं.

जन्मतिथि में  बदलाव

नियोक्ता ने उस व्यक्ति के स्कूल प्रमाण पत्र और भविष्य निधि की जानकारी का उपयोग करके उसकी जन्मतिथि निर्धारित की, जो 10 मार्च 1948 निकली। इससे पता चलता है कि वह 58 वर्ष की आयु में 2006 में रिटायर हुआ था। रिटायरमेंट (retirement) के बाद, उस व्यक्ति ने जन्म प्रमाण पत्र (birth certificate) प्राप्त किया, जिसमें उनकी जन्मतिथि 30 मार्च, 1952 थी। फिर, 2010 में उन्होंने फिर से नियुक्ति के लिए योग्यता मांगी। उन्होंने कहा कि चार साल बाद उन्हें रिटायरमेंट हो जाना चाहिए था।

HC में की अपील

नियोक्ता ने उसके अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार और दावा किया कि दर्ज की गई डेट सही थी और उसने अपने रिटायरमेंट लाभ पहले ही स्वीकार कर लिए थे। व्यक्ति पहले अपना मामला श्रम न्यायालय (Labor Court) में ले गया, जिसने उसे खारिज कर दिया। फिर उसने हाई कोर्ट में इसको लेकर अपील की। 

HC का फैसला 

सोमवार को मामले की सुनवाई करने वाले जज एम जी एस कमल के मुताबिक, व्यक्ति ने रिटायरमेंट के 2 वर्ष बाद अपनी जन्मतिथि पर सवाल उठाया है, जिससे उसके दावे पर संदेह पैदा होता है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के उस  फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें रिटायरमेंट (retirement) के बाद जन्मतिथि में परिवर्तन करने पर रोक लगाई गई है, खास कर से उन मामलों में जहां कर्मचारी के पास पहले भी सुधार करने का अवसर था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

जन्मतिथि बदलने की मांग नहीं कर सकता शख्स 

अदालत ने पाया कि भविष्य निधि में दर्ज जन्मतिथि, जो व्यक्ति के स्कूल रिकॉर्ड से मेल खाती थी, अंतिम थी।चूंकि व्यक्ति ने उस समय अपनी रिटायरमेंट पर  सवाल नही उठाया और अपने लाभों को स्वीकार कर लिया, इसलिए कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उसका दावा अनुचित लाभ प्राप्त करने की कोशिश कर रहा था।अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कोई कर्मचारी लंबे समय के बाद, खासकर रिटायरमेंट के बाद, जन्मतिथि बदलने की मांग नहीं कर सकता।

Written By । Prachi Chaudhary । Nationa Desk । Delhi

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