Chandrayaan 3 : ISRO का चांद पर जानें का मिशन अपने महत्पवूर्ण पड़ाव को पार कर चुका है। ISRO ने Chandrayaan 3 के लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलता के अलग कर दिया है। अब ISRO की ओर से विक्रम लैंडर की गति को धीमी किया जाएगा। साथ ही लैंडर की जांच भी की जाएगी।
आपको बता दें भारत के Chandrayaan मिशन ने 17 अगस्त यानि गुरुवार को एक अहम उपलब्धि हासिल की। Chandrayaan 3 में लैंडर विक्रम को पूरी सफलता के साथ प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग कर दिया हैं। अब लैंडर विक्रम चांद की ओर अकेले ही निकल पड़ा है। लेकिन सतह पर उतरने से पहले विक्रम की शुरुआती जांच होगी। लैंडर विक्रम में 4 मुख्य थ्रस्टर्स लगे हैं। यह विक्रम को चांद की कक्षा पर आसानी से उतरने में सक्षम बनाएंगे। इसके साथ-साथ और सेंसर का भी टेस्ट किया जाएगा। इसके बाद विक्रम 100 km x 30 km की सतह में जाने के लिए अपना रास्ता बनाएगा। ISRO का कहना है कि लैंडर विक्रम 23 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। अब सवाल खड़े होते है कि चांद के आस पास 7 दिन तक क्या करेगा लैंडर विक्रम? इस लेख के जरिए समझते हैं।
क्यों की जाएगी विक्रम की स्पीड धीमी?
ISRO के मुताबिक अब लैंडर विक्रम को डिबूस्ट किया जाएगा। डिबूस्ट से आशय उस प्रक्रिया से हैं जिसमें लैंडर की गति को धीमी किया जाएगा। ISRO ने ट्वीट कर कहा कि लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग किया गया है। आपको बता दें 18 अगस्त, 2023 यानि आज शुक्रवार को डिबूस्टिंग का प्लान बनाया गया है। यह प्रक्रिया शाम करीब 4 बजे शुरू की जाएगी। इस प्रोसेस का उद्देश्य लैंडर को एक ऐसी कक्षा में स्थापित किया जा सके जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 KM और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 KM है। ISRO ने बताया कि यहीं से 23 अगस्त को चंद्रयान की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय इलाके पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश की जाएगी।
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लैंडिंग स्पीड के बारें में समझे
बता दें लैंडिंग का सबसे जरूरी हिस्सा लैंडर की गति को 30 Km की ऊंचाई से आखिरी लैंडिंग तक लाने का प्रोसेस है। ऐसे में लैंडर को हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल दिशा में ट्रांसफर किया जाएगा। यह क्षमता वह प्रोसेस है जहां इसरो को अपनी काबिलियत दिखानी है। ISRO के अध्यक्ष सोमनाथ के मुताबिक लैंडिंग प्रोसेस की शुरुआत में वेग करीब 1.68 Km प्रति सेकंड है, लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह के हॉरिजॉन्टल है। यहां Chandrayaan -3 करीब 90 डिग्री झुका हुआ है। इसे वर्टिकल करना होगा। हॉरिजोन्टल (Horizontal) से वर्टिकल (vertical) दिशा में बदलने की यह पूरी प्रोसेस गणितीय रूप से एक बहुत ही मजेदार गणना है। कई बार ISRO ने इस प्रोसेस को दोहराया है। यहीं पर हमें पिछली बार (Chandrayaan -2) में परेशानी हुई थी।
लैंडिंग से पहले अपने लिए स्थान खोजेगा विक्रम
जानकारी के मुताबिक बता दें लैंडर विक्रम चांद पर लैंडिग करने से पहले अपने लिए सुरक्षित स्थान की तलाश करेगा । ISRO के मुताबिक विक्रम की लैंडिंग चंद्रमा के साउथ पोल एरिया पर की जाएगी। लैंडर चांद की सतह से करीब 100 किमी की ऊंचाई से चांद पर उतरेगा। सॉफ्ट लैंडिंग एक पेचीदा मुद्दा है। लैंडर विक्रम अपने लैंडिंग के लिए सुरक्षित और रिस्क मुक्त इलाका खोजेगा। इसके लिए लैंडिंग से पहले साइट की इमेजिंग की जाएगी। लैंडिंग के बाद 6 पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा। रोवर प्रज्ञान चंद्रमा के एक दिन या पृथ्वी के हिसाब से 14 दिनों तक सक्रिय रहेगा। एक चंद्र दिवस के बराबर चंद्रमा की सतह पर रहकर रोवर प्रज्ञान परीक्षण करेगा। आपको बता दें कि चंद्रमा का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है।
अगर दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। वास्तव में ये भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा।