CJI Inquiry Committee: CJI ने गठित की तीन सदस्यीय जांच समिति
दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास में नकदी मिलने के मामले की जांच के लिए मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति में पंजाब और हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल हैं। जांच पूरी होने तक जस्टिस वर्मा को न्यायिक कार्यों से अलग रखा गया है, और समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
CJI Inquiry Committee: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में नकदी मिलने के मामले ने न्यायपालिका में हलचल पैदा कर दी है। इस मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।
तीन सदस्यीय समिति का गठन
इस जांच समिति की अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्सिट शील नागू करेंगे। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्सिट जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन को भी इस समिति का सदस्य बनाया गया है। समिति को इस मामले की गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
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घटना का विवरण
यह मामला 14 मार्च को सामने आया, जब दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास में आग लगने की घटना हुई। दमकल कर्मियों ने जब आग बुझाने का कार्य किया, तो वहां पर बड़ी मात्रा में नकदी होने की बात सामने आई। घटना के समय जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। इस घटना के बाद न्यायपालिका और प्रशासन में हलचल मच गई।
आंतरिक जांच और रिपोर्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए प्रारंभिक जांच शुरू कराई। 20 मार्च को उन्होंने इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंप दी। रिपोर्ट में घटनास्थल से मिले साक्ष्यों और अन्य जानकारी को शामिल किया गया था।
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न्यायिक कार्यों से अस्थायी अलगाव
मुख्य न्यायाधीश ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष हो, जस्टिस वर्मा को फिलहाल सभी न्यायिक कार्यों से अलग रखने का निर्णय लिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि जांच समाप्त होने तक जस्टिस वर्मा को कोई भी नया मामला न सौंपा जाए।
पारदर्शिता और आगे की प्रक्रिया
जांच की निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए समिति को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। इस मामले से जुड़े दस्तावेज़ और रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। सुप्रीम कोर्ट इस जांच की प्रगति पर नजर बनाए रखेगा और समिति की सिफारिशों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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यह मामला न्यायपालिका की साख से जुड़ा हुआ है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसे गंभीरता से ले रहा है। मुख्य न्यायाधीश द्वारा जल्द निर्णय लेते हुए जांच समिति का गठन करना न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। आने वाले दिनों में समिति की रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्रवाई तय की जाएगी, जिससे न्यायपालिका में जनता का विश्वास कायम रह सके।
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