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CM Yogi Decision On Teachers: सीएम योगी का फरमान, कितना सही-कितना गलत?

CM Yogi Decision On Teachers: यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ का फरमान अगर आता है तो फिर हर किसी को मानना ही पड़ता है। कई फरमान सही भी होते हैं तो कई फरमान ऐसे होते हैं जिनका कोई मतलब ही नहीं है। अब सीएम साहब ने ये ऐलान किया है कि शिक्षकों की ड्यूटी कांवड यात्रा के दौरान लगाई जाएगी….चलिए ठीक है मान लिया सीएम साहब ने सही किया, लेकिन अगर टीचर कांवड यात्रा में ड्यूटी करेंगे तो फिर स्कूलों में कौन पढ़ाएगा।


दरअससल, सरकार ने किसी की ड्यूटी खोया पाया विभाग में लगा दी तो किसी की कहीं और…जिसे देखकर ऐसा लगता है कि टीचर ना हो, कोई अलादिन का चिराग..मतलब चाहे कुछ भी करा लो। हरिद्वार के पास बसे यूपी के मुजफ्फरनगर में अगले 20 दिनों के लिए बेसिक स्कूल के कुछ शिक्षकों की ड्यूटी कांवड यात्रा के मद्देनजर रास्ते में बने कैंप में खोया पाया विभाग में और कुछ की कांवड कंट्रोल रूम में लगाई गई है। अहिल्याबाई चौक में 2 शिक्षक खोया पाया विभाग संभाल रहे हैं…अब सवाल ये उठता है कि ये तो यहां तो फिर उन बच्चों को कौन पढ़ा रहा है जो इनके जिम्मे स्कूल आते हैं।
जाहिर है सरकारी नौकरी है प्रशासन के आदेश के खिलाफ सीधे तौर पर बोलकर ये किसी भी मुसीबत में फंस सकते हैं इनकी मजबूरी है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि इन टीचर्स को यहां लगाने के बाद इनसे ये भी उम्मीद की जाती है कि ये सिलेबस टाइम से पूरा कराएं। खामपुर गांव के कंपोजिट स्कूल में 1 दो नहीं बल्कि 4 4 शिक्षकों को कांवड यात्रा का गुमशुदा केंद्र बना दिया गया है…इस स्कूल में 325 बच्चे हैं…और दस शिक्षक…उनमें से अब फिलहाल 6 ही शिक्षण कार्य में है…बाकी चार क्या खोया क्या पाया में लगे हैं…ऐसे में सवाल है कि स्कूल क्या खो रहे हैं और क्या पा रहे हैं।


कांवड यात्रा में शिक्षकों की ड्यूटी क्यों लगाई गई। ये तो सरकार ही जाने। इन सबके बीच बड़ी खबर ये भी है कि यूपी के स्कूलों में फिलहाल डिजिटल अटेंडेंस को फिलहाल टाल दिया गया है…इसे लागू कराने के लिए फिलहाल एक कमेटी बना दी गई है जो इसे लागू कराने को लेकर मंथन करेगी।

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