Uttar Pradesh News: सीएम योगी ने केजीएमयू में करीब 1 हजार करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में 7 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में एक दूसरा ट्रॉमा सेंटर और कार्डियोलॉजी, सर्जरी तथा ऑर्थोपेडिक विभागों को समर्पित अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।
Uttar Pradesh News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार, 14 जुलाई को लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (के.जी.एम.यू) में लगभग 1 हजार करोड़ रुपये की 7 विभिन्न परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित किया। इससे पहले सीएम योगी ने सेंटर फॉर ऑर्थोपेडिक सुपर स्पेशियलिटी, न्यू कार्डियोलॉजी विंग और न्यू गेस्ट हाउस के ऊपर अतिरिक्त मंजिल के निर्माण कार्य का लोकार्पण किया। उन्होंने जनरल सर्जरी विभाग के नए भवन, 500 बिस्तर क्षमता वाले ट्रॉमा सेंटर विस्तार और रोगी उपयोगिता परिसर, नए प्रशासनिक भवन और डायग्नोस्टिक सेंटर तथा रोगी संबंधी आवास सुविधा ब्लॉक की आधारशिला रखी। उन्होंने उद्घाटन किए गए भवनों का निरीक्षण किया और मरीजों का हालचाल पूछा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि के.जी.एम.यू न केवल प्रदेश बल्कि देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक है। आज के.जी.एम.यू को लगभग 1000 करोड़ रुपये की लागत की विभिन्न सुविधाओं की सौगात प्राप्त हुई है। जन कल्याण हेतु स्थापित के.जी.एम.यू. संस्थान समय के अनुरूप अपने कार्यों का निर्वहन कर रहा है।
सीएम योगी ने कहा कि, के.जी.एम.यू ने अपने 120 वर्षों के शानदार सफर में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। पूरे प्रदेश, पड़ोसी राज्यों और यहां तक कि नेपाल से भी कई मरीज के.जी.एम.यू में इलाज के लिए आते हैं, क्योंकि मरीजों और उनके परिजनों को के.जी.एम.यू पर भरोसा है कि वे यहां से स्वस्थ होकर लौटेंगे।
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के.जी.एम.यू राज्य का एकमात्र चिकित्सा संस्थान है जिसने पिछली सदी और वर्तमान आदि में दो बड़ी महामारियों का सामना किया है। पिछली सदी की महामारी के दौरान, के.जी.एम.यू अपनी प्रारंभिक अवस्था में था। इस सदी की कोरोना महामारी के दौरान, के.जी.एम.यू पहला संस्थान था जिसने इस बीमारी से लड़ने के लिए खुद को परीक्षण सुविधाओं का केंद्र बनाया। कोविड-19 की जांच की सुविधा के.जी.एम.यू से ही शुरू हुई।
सीएम योगी ने कहा कि, बलरामपुर जिले में के.जी.एम.यू का एक सैटेलाइट सेंटर स्थापित किया गया है। अब समय आ गया है कि के.जी.एम.यू अपनी चिकित्सा सुविधाएं महानगरीय क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों में भी उपलब्ध कराए। पिछले वर्ष के.जी.एम.यू ने बड़े पैमाने पर संकाय सदस्यों की नियुक्ति की है। बलरामपुर में अगले सत्र से मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। उत्तर प्रदेश में नए नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। नर्सिंग चिकित्सा स्वास्थ्य की रीढ़ है। इसलिए, नर्सिंग सेवा जितनी मज़बूत होगी, हम उतने ही बेहतर परिणाम दे पाएंगे। समय रहते मैनपावर की कमी पूरी की जानी चाहिए, क्योंकि अगर हमें परिणाम देने हैं, तो हमारे पास एक टीम होनी चाहिए। लोकमंगल के प्रतिनिधि के रूप में, डॉक्टरों और सहयोगी कर्मचारियों की समाज में विशेष प्रतिष्ठा है।
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राज्य सरकार आई.आई.टी कानपुर के साथ मिलकर ‘मेड टेक प्रोग्राम’ को आगे बढ़ा रही है। आई.आई.टी कानपुर अपने नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन मेडिकल टेक्नोलॉजी के साथ आगे बढ़ रहा है। हमारा प्रयास है कि के.जी.एम.यू और एस.जी.पी.जी.आई भी इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से जुड़ें। आज दुनिया में चिकित्सा तकनीक उन्नत अवस्था में पहुंच गई है। चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें चिकित्सा तकनीक की दिशा में सक्रिय होकर बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। राज्य सरकार ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है।
सीएम योगी ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में लोगों ने बदलते भारत को देखा है। नए भारत ने जीवन के हर क्षेत्र में नई प्रगति की है। भारत की प्रगति की सराहना पूरी दुनिया में हो रही है। डबल इंजन की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। एम्स जैसे संस्थान देश में स्वास्थ्य के सर्वोत्तम केंद्र माने जाते हैं। आजादी के बाद 1998-99 तक देश में केवल एक एम्स स्थापित था। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल में देश में 6 नए एम्स की स्थापना हुई, जिनकी संख्या पिछले 11 वर्षों में बढ़कर 23 हो गई है। एम्स न केवल उच्च चिकित्सा शिक्षा के केंद्र हैं, बल्कि अनुसंधान और विकास के भी वाहक हैं। के.जी.एम.यू भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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पहले उत्तर प्रदेश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या बहुत कम थी। आजादी से लेकर वर्ष 2017 तक प्रदेश में कुल 17 मेडिकल कॉलेज बने, जिनमें 13 सरकारी, 03 पीपीपी मोड पर और 01 निजी मेडिकल कॉलेज शामिल थे। आज राज्य सरकार ‘एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज’ की अवधारणा को साकार कर रही है। अगर लोगों को जिला स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी, तो के.जी.एम.यू जैसे संस्थानों का कार्यभार भी कम होगा। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के 17 मेडिकल कॉलेजों में स्नातक स्तर पर नए प्रवेश हुए हैं। पिछले साढ़े 8 वर्षों में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। आज प्रदेश के हर जिले में डायलिसिस और प्लेटलेट की सुविधा उपलब्ध है। लोगों में अब इंसेफेलाइटिस का डर नहीं रहा। संचारी रोगों की रोकथाम के लिए जन जागरूकता बढ़ी है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि, के.जी.एम.यू में अध्ययन करना, यहां संकाय सदस्य बनना, इसकी गतिविधियों में भाग लेना, चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत प्रत्येक व्यक्ति की प्रगति का सूचक है। अपने 120 वर्षों के सफर में के.जी.एम.यू ने मरीजों को उल्लेखनीय सेवा प्रदान की है। हम सभी को रोगी को नारायण मानकर उनकी सेवा करनी चाहिए।
चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह और के.जी.एम.यू की कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा, कुलपति प्रो. अभिजीत कौर, कार्यक्रम समन्वयक प्रो. के.के. सिंह, के.जी.एम.यू. के प्रोफेसर, शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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