नई दिल्ली: हिन्दी में एक पुरानी कहावत है कि ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’, यानी जब समय प्रतिकूल होता है तो बुद्धि स्वतः खराब हो जाती है। यह कहावत इस समय पूरी तरह से कांग्रेस पर चरित्रार्थ हो रही है। कांग्रेस नेता अपने ही हाथों अपनी पार्टी व निजी छवि को धूमिल करने में लगे हैं। आये दिन उनकी करतूतों के कारण उनकी निजी व पार्टी के तौर पर हो रही फजीहत को वे अपनी शान समझने की भारी भूल कर रहे हैं, जल्द ही कांग्रेस को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
पिछले एक माह से कांग्रेस अपनी जमकर किरकिरी करवा रही है। जून में जब नेशनल हेराल्ड मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से ईडी ने पांच दिन तक पूछताछ की तो दिल्ली सहित पूरे देश में कांग्रेसियों ने सड़कों पर उतर कर सत्याग्रह के नाम पर तोड़फोड़ और आगजनी घटनाओं को अंजाम दिया। इसके बाद इन घटनाओं की पुनरावृत्ति कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से तीन दिन तक चली ईडी की पूछताछ के दौरान की गयीं, जो कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति करके भ्रष्टाचार दबाने की नाकाम कोशिशें भर रहीं।
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इसके अलावा लोकसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस के चार सांसदों के हंगामा करके जानबूझकर सदन की कार्रवाई बाधित करन पर निलंबित किये जाने से देश भर में कांग्रेस की छवि खराब हुई। कांग्रेस की आदिवासी व महिला विरोधी होने का प्रमाण कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपमानजनक शब्द बोलकर दे दिया।
इसी बीच सोनिया गांधी ने अधीर रंजन चौधरी का बचाव करते हुए झूठा बयान दिया कि अधीर रंजन ने राष्ट्रपति के बारे में गलती से बोले गये अमर्यादित शब्द के लिए माफी मांग ली है। इतनी ही नहीं सोनिया की संसद में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से तीखी बहस करने से भी कांग्रेस की असली वास्तविक चरित्र सामने आया।इस सब प्रकरणों पर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर है और कांग्रेस न चाहते हुए भी बैकफुट पर है।