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Madhya Pradesh News: एमपी में मरे हुए लोगों के नाम पर बंटा करोड़ों का अनाज, जांच में उजागर हुआ राशन घोटाले का चौंकाने वाला सच

मध्य प्रदेश में हाल ही में सामने आए एक चौंकाने वाले घोटाले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि कई ऐसे नामों पर सरकार द्वारा गेहूं और चावल वितरित किया गया, जो वर्षों पहले इस दुनिया से जा चुके हैं।

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में हाल ही में सामने आए एक चौंकाने वाले घोटाले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि कई ऐसे नामों पर सरकार द्वारा गेहूं और चावल वितरित किया गया, जो वर्षों पहले इस दुनिया से जा चुके हैं। ये तथाकथित “मुर्दे” सरकारी रिकॉर्ड में जिंदा थे और उनके नाम पर लाखों क्विंटल अनाज उठाया गया।

क्या है पूरा मामला?

यह घोटाला तब उजागर हुआ जब खाद्य विभाग ने राशन वितरण की प्रक्रिया का डिजिटलीकरण किया और लाभार्थियों का आधार वेरिफिकेशन शुरू किया गया। जैसे-जैसे आधार से लिंक किए गए डेटा की जांच शुरू हुई, तो कई ऐसे नाम सामने आए जो या तो मृतक थे या फिर वर्षों से किसी और राज्य में रह रहे थे। इन मृतकों के नाम पर राशन कार्ड सक्रिय थे और उन पर नियमित रूप से खाद्यान्न जारी किया जा रहा था।

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किन जिलों में हुआ सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा?

जांच में पाया गया कि भोपाल, सागर, छिंदवाड़ा, रीवा और ग्वालियर जिलों में सबसे अधिक अनियमितताएं पाई गईं। अकेले सागर जिले में लगभग 4,000 ऐसे राशन कार्ड पाए गए जो या तो मृत लोगों के थे या फर्जी नामों पर बनाए गए थे। इन कार्डों के माध्यम से लाखों रुपये का अनाज वितरण दर्शाया गया, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही थी।

कैसे हुआ घोटाला?

इस घोटाले में शामिल लोगों ने गरीबों के नाम पर बने राशन कार्ड को बनाए रखा और हर महीने उस पर मिलने वाला अनाज खुद उठाकर बाजार में बेचते रहे। इस प्रक्रिया में कुछ सरकारी कर्मचारी, डीलर और बिचौलिए शामिल थे। मृत व्यक्तियों के नाम, आधार नंबर और अन्य विवरणों का गलत उपयोग कर कार्ड को एक्टिव रखा गया और राशन उठाया गया।

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सरकार की प्रतिक्रिया

राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कड़ा रुख अपनाया है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं, वहीं कुछ अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने आदेश दिए हैं कि राज्यभर में राशन कार्डों की व्यापक जांच की जाए और मृतकों के नाम पर जारी सभी फर्जी कार्डों को तत्काल रद्द किया जाए।

विपक्ष का आरोप

विपक्षी दलों ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर सीधा हमला बोला है। उनका कहना है कि जब सरकार गरीबों को दो वक्त का खाना देने में विफल हो रही है, तब सरकारी तंत्र में बैठे लोग मरे हुए लोगों के नाम पर अनाज हड़प रहे हैं। यह न सिर्फ भ्रष्टाचार है बल्कि मानवता के साथ मज़ाक भी है।

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आगे की कार्रवाई

सरकार ने अब सभी राशन कार्डों को आधार और जनसंख्या रजिस्टर से जोड़ने का काम तेज़ कर दिया है। साथ ही जिन लोगों ने फर्जी तरीके से अनाज लिया है, उनसे वसूली करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। दोषी पाए जाने वालों पर IPC की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा।

यह घटना हमें बताती है कि भ्रष्टाचार सिर्फ जीवित लोगों तक सीमित नहीं रह गया है, अब मृतकों के नाम पर भी सरकारी योजनाएं लूटी जा रही हैं। यह सिस्टम की एक बड़ी विफलता है जिसे दुरुस्त करना बेहद आवश्यक है। पारदर्शिता, जवाबदेही और डिजिटल निगरानी ही ऐसे घोटालों पर अंकुश लगा सकती है।

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