नई दिल्ली: महाराष्ट्र की सियायत से संबंधी मामले में शिंदे गुट के 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्यता ठहराने की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कई तरह के संवैधानिक पहलू हैं। इसलिए इसकी सुनवाई के लिए बड़ी बेंच (पांच सदस्यीय वाली संविधान पीठ) के गठन की आवश्यकता बतायी। कोर्ट ने उद्धव ठाकरे व शिंदे गुट के अधिवक्ताओं से इस मामले में एक सप्ताह के अंदर (अगले बुधवार तक) लिखित में हलफनामा दाखिल कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकरण में अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंधवी के दलीलें दी। सिब्बल ने अदालत को बताया कि कोर्ट के महाराष्ट्र विधान सभा के डिप्टी स्पीकर की कार्रवाई पर रोक लगाने के अगले दिन ही राज्यपाल ने प्लोर टेस्ट करा दिया। उन्होने कहा कि अदालत अयोग्यता के लिए कार्रवाई को रोक लगा सकती है, लेकिन दसवीं अनुसूची के तहत होने वाली कार्रवाई को कैसे रोक सकती है। अधिवक्ता सिंधवी ने कहा कि शिंदे किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए फिर भी उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया गया।
शिंदे गुट के अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में दल बदल कानून लागू नहीं होता, क्योंकि किसी पार्टी में दो फाड़ होने पर जिस नेता के पक्ष में ज्यादा संख्या बल होता है, उसे ही पार्टी नेता माना जाता है। उन्होने कहा कि शिंदे गुट के विधायकों ने किसी तरह की मर्यादा नहीं तोड़ी, उन्होने दायरे में रहकर ही काम किया है। साल्वे ने कहा जो नेता अपने पक्ष में 20 विधायक भी नहीं जुटा पाया, वह कोर्ट से राहत पाने की उम्मीद कैसे कर सकता है। अब सबकी निगाहें 1 अगस्त पर होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं।