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Delhi Budget Session Update: आप सरकार के दौरान डीटीसी चली गई घाटे में, 400 बसें भी हो गईं कम – कैग रिपोर्ट का दावा

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को विधानसभा सत्र में डीटीसी के कामकाज पर कैग की रिपोर्ट पेश की। सदन में पेश की जाने वाली यह तीसरी कैग रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज का पूरा ब्योरा है। रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के ऑडिट में कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं, जो इस निगम की खस्ताहालत को दर्शाती हैं।

Delhi Budget Session Update: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को विधानसभा सत्र में डीटीसी के कामकाज पर कैग रिपोर्ट पेश की। सदन में पेश होने वाली यह तीसरी कैग रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज का पूरा ब्योरा है। रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के ऑडिट में कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं, जो इस निगम की खस्ताहालत को दर्शाती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, डीटीसी पिछले कई सालों से लगातार घाटे में चल रही है, इसके बावजूद कोई ठोस बिजनेस प्लान या विजन डॉक्यूमेंट नहीं बनाया गया है।

डीटीसी पर कैग की रिपोर्ट करीब एक महीने पहले आई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली परिवहन निगम की वित्तीय समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय और परिचालन लक्ष्य तय करने के लिए सरकार के साथ कोई समझौता ज्ञापन (एमओयू) नहीं हुआ। साथ ही, अन्य राज्य परिवहन निगमों (एसटीयू) के साथ प्रदर्शन की तुलना नहीं की गई। 2015-16 में निगम के पास 4,344 बसें थीं, जो 2022-23 तक घटकर 3,937 रह गईं। सरकार से वित्तीय सहायता मिलने के बावजूद भी निगम सिर्फ 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीद सका।

29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना नहीं हुआ वसूल

इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि बसों की आपूर्ति में देरी के लिए 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूल नहीं किया गया। डीटीसी का कुल घाटा 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 60,750 करोड़ रुपये हो गया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2022 तक निगम ने 3,937 बसों का संचालन किया, जो आवश्यक 5,500 से काफी कम था। वहीं डीटीसी बेड़े में पुरानी बसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जहां 2015-16 में केवल 0.13% बसें ओवरएज थीं, वहीं 2023 तक यह आंकड़ा बढ़कर 44.96% हो गया।

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668.60 करोड़ रुपए का संभावित राजस्व घाटा

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार नई बसें न खरीदे जाने से परिचालन क्षमता प्रभावित हो रही है। बसों की उपलब्धता और उनकी दैनिक उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि निगम की बसें औसतन 180 से 201 किलोमीटर प्रतिदिन चल सकीं, जो निर्धारित लक्ष्य (189-200 किलोमीटर) से कम है। बसों के बार-बार खराब होने और रूट प्लानिंग में खामियों के कारण 2015-22 के बीच 668.60 करोड़ रुपए का संभावित राजस्व घाटा हुआ।

2009 से बस किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार किराया तय करने की आजादी न होने के कारण डीटीसी अपने परिचालन खर्च भी नहीं निकाल पाई। दिल्ली सरकार 2009 से बस किराए में बढ़ोतरी नहीं कर पाई, जिससे निगम की आय प्रभावित हुई। वहीं विज्ञापन अनुबंधों में देरी और डिपो की खाली जमीन का व्यावसायिक उपयोग न करने के कारण निगम को संभावित राजस्व का भी नुकसान हुआ। इसके अलावा विभिन्न मदों में सरकार से 225.31 करोड़ रुपये वसूलने बाकी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि डीटीसी की कई तकनीकी परियोजनाएं भी अप्रभावी साबित हुईं। 2017 में ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (एएफसीएस) लागू किया गया था, लेकिन यह 2020 से बेकार पड़ा है। वहीं, 2021 में 52.45 करोड़ रुपये की लागत से बसों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे अभी तक पूरी तरह से चालू नहीं हो पाए हैं। वहीं, डीटीसी में प्रबंधन और आंतरिक नियंत्रण की भी भारी कमी देखी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, कर्मचारियों की सही संख्या तय करने के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई, जिसके कारण ड्राइवरों, तकनीशियनों और अन्य महत्वपूर्ण पदों की भारी कमी रही, जबकि कंडक्टरों की संख्या जरूरत से ज्यादा पाई गई।

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यहां देखें सीएजी रिपोर्ट के पॉइंट्स

  • 2015-22 के दौरान वाहन उत्पादकता में गिरावट औसतन 180-201 किलोमीटर प्रति बस प्रतिदिन रही, जबकि लक्ष्य 189-200 किलोमीटर था।
  • पुरानी बसें 31 मार्च, 2022 तक, 656 ओवरएज बसें परिचालन में थीं, जिससे अधिक ब्रेकडाउन हो रहे थे।
  • अप्रभावी रूट प्लानिंग कुल 814 रूटों में से केवल 468 (57%) रूटों पर बसें चलाई जा रही थीं।
  • 2015-22 के दौरान परिचालन घाटा ₹14,198.86 करोड़ था क्योंकि कोई भी रूट परिचालन लागत को कवर नहीं कर सका।
  • राजस्व हानि 7.06% से 16.59% किलोमीटर बसों द्वारा संचालित नहीं की जा सकी, जिसके परिणामस्वरूप ₹668.60 करोड़ का संभावित राजस्व नुकसान हुआ।
  • ब्रेकडाउन दर अधिक है, बसें प्रति 10,000 किमी पर 2.90 से 4.57 बार टूटती हैं।
  • स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली (एएफसीएस) विफल रही, दिसंबर 2017 में लागू हुई, लेकिन मई 2020 से कार्यात्मक नहीं है।
  • मार्च 2021 में 3,697 गैर-कार्यात्मक बसों में सीसीटीवी सिस्टम लगाए गए, ₹52.45 करोड़ का भुगतान किया गया, लेकिन चालू नहीं हुआ।
  • डीआईएमटीएस क्लस्टर बसें बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, संचालन डीटीसी से बेहतर है, हालांकि प्रति किमी राजस्व कम है।
  • किराया निर्धारण में कोई स्वायत्तता नहीं; किराया अंतिम बार 3 नवंबर, 2009 को संशोधित किया गया था; सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती रही।
  • बकाया वसूलने में विफलता: परिवहन विभाग से 225.31 करोड़ रुपये की वसूली लंबित है, 6.26 करोड़ रुपये का संपत्ति कर और भू-भाड़ा तथा 4.62 करोड़ रुपये का अन्य बकाया लंबित है।
  • विज्ञापन राजस्व की हानि विज्ञापन अनुबंधों में देरी के कारण संभावित राजस्व की हानि हुई।
  • गलत टैक्स क्रेडिट के कारण हानि: जीएसटी में गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट के कारण 63.10 करोड़ रुपये का ब्याज और जुर्माना देना पड़ा।
  • वित्तीय स्थिरता के लिए कोई रोडमैप नहीं निगम के वित्तीय संकट को सुधारने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई।
  • कर्मचारी प्रबंधन का अभाव कार्मिक नीति को 2013 में मंजूरी मिलने के बाद इसमें कोई संशोधन नहीं किया गया, जिससे आवश्यक कर्मचारी नियोजन प्रभावित हुआ।

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आंतरिक नियंत्रण का अभाव, निर्णय लेने में देरी, संचालन में कमजोर प्रबंधन, विभागों के बीच समन्वय की कमी और लंबित देनदारियों की वसूली में लापरवाही।

इस रिपोर्ट से साफ है कि डीटीसी के संचालन में गंभीर वित्तीय और प्रबंधकीय चुनौतियां हैं। शराब घोटाले और मोहल्ला क्लीनिक के बाद यह तीसरी सीएजी रिपोर्ट है। रिपोर्ट पेश होने के बाद सदन में हंगामा मचने की उम्मीद है।

क्या कहा दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने?

इस बीच दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा, ’21 मार्च 2025 को दिल्ली के महालेखाकार ने मेरे कार्यालय में मुझसे मुलाकात की और मुझे दिल्ली सरकार से संबंधित सीएजी रिपोर्ट के विभिन्न लंबित पैरा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने मेरा ध्यान इस गंभीर तथ्य की ओर आकर्षित किया कि तत्कालीन विधानसभा की लोक लेखा समिति या सरकारी उपक्रमों की समिति (सीओजीयू) ने पिछले 10 वर्षों के दौरान कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। इससे भी गंभीर बात यह है कि प्रशासनिक विभागों ने भी सीएजी रिपोर्ट के पैरा पर अपने एक्शन टेकन नोट प्रस्तुत नहीं किए हैं, जिन्हें तीन महीने के भीतर विधानसभा में पेश किया जाना चाहिए।’

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Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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